तीरथ सिंह रावत का इस्तीफा, उत्तराखंड बीजेपी विधानमंडल दल की बैठक आज
डिजिटल डेस्क, देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने रात शुक्रवार (02 जुलाई 2021) करीब 11 बजे राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपा। उत्तराखंड के इतिहास में वे सबसे कम दिन के लिए मुख्यमंत्री रहे। वह केवल 115 दिन सीएम पद पर बने रह पाए। 2002 में भगत सिंह कोश्यारी 123 दिन CM रहे थे। संवैधानिक संकट को उन्होंने इस्तीफे की वजह बताया। राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद मौका देने के लिए तीरथ सिंह रावत ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया।
धन सिंह रावत और सतपाल महाराज अब उत्तराखंड के नए सीएम हो सकते हैं। फिलहाल सतपाल महाराज का पलड़ा सबसे भारी लग रहा है। महाराज उत्तराखंड सरकार में पर्यटन, सांस्कृतिक और सिंचाई मंत्री है। शनिवार दोपहर 3 बजे विधान मंडल की बैठक बुलाई गई है। इसमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होंगे। मीडिया इंचार्ज मनवीर सिंह चौहान ने बताया कि इस बैठक का नेतृत्व उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष मदन कौशिक करेंगे। बैठक में सभी विधायकों को उपस्थित रहने के लिए कहा गया है।
तीरथ सिंह पिछले बुधवार से दिल्ली में ही थे। इस दौरान उनकी बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह के साथ बैठक हुई थी। तीरथ सिंह रावत ने इस्तीफे की पेशकश की खबरों के बीच रात करीब 10 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। माना जा रहा था कि वो अपने इस्तीफे का आधिकारिक तौर पर ऐलान कर सकते हैं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इस्तीफे के सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध ली थी। इसके कुछ देर बाद उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया।
तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे की वजह संवैधानिक संकट पैदा होना बताया गया है। त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर 10 मार्च 2021 को तीरथ सिंह को सीएम पद की शपथ दिलाई गई थी। उन्हें इस पद पर बने रहने के लिए उपचुनाव लड़ना था। इसके लिए उनके पास दो महीनों का समय बचा था। बीजेपी का प्लान तीरथ सिंह के चेहरे पर अगले साल का विधानसभा चुनाव लड़ने का था, लेकिन अब ये प्लान बदलता दिखाई दे रहा है।
तीरथ सिंह रावत ने इस संदर्भ में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक पत्र लिखा था। पत्र में कहा गया था कि आर्टिकल 164-ए के हिसाब से उन्हें मुख्यमंत्री बनने के बाद 6 महीने में विधानसभा का सदस्य बनना था, लेकिन आर्टिकल 151 कहता है कि अगर विधानसभा चुनाव में एक वर्ष से कम का समय बचता है तो वहा पर उप-चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। उतराखंड में संवैधानिक संकट न खड़ा हो, इसलिए मैं मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना चाहता हूं।
तीरथ सिंह रावत जब सीएम बने थे तब पौड़ी गढ़वाल से सांसद थे। ऐसे में तीरथ सिंह रावत को 6 महीने के भीतर विधानसभा उपचुनाव जीतना था। उनकी गंगोत्री से चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थी। कोविड-19 की परिस्थितियों की वजह से उत्तराखंड में उप-चुनाव अभी तक नहीं हुए।
मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही तीरथ सिंह अपने बयानों को लेकर चर्चा में थे। उनके बयानों ने बीजेपी की खूब फजीहत कराई है। तीरथ सिंह ने एक बयान में कहा था कि कोरोनावायरस एक जीव है और उसे भी जीने का अधिकार है। कुंभ के दौरान तीरथ सिंह रावत ने जिस तरह से भीड़ को जमा होने की छूट दी और उसके बाद कोरोना जांच के नाम पर फर्जीवाड़े में उनके करीबियों का नाम उछला, उससे उनकी स्थिति काफी खराब हो गई।
Created On :   2 July 2021 11:47 PM IST