चुनाव नहीं कराने का कोई बहाना नहीं है : अल्ताफ बुखारी

There is no excuse for not holding elections: Altaf Bukhari
चुनाव नहीं कराने का कोई बहाना नहीं है : अल्ताफ बुखारी
कश्मीर चुनाव नहीं कराने का कोई बहाना नहीं है : अल्ताफ बुखारी

डिजिटल डेस्क,  श्रीनगर। अपनी पार्टी के प्रमुख अल्ताफ बुखारी ने आईएएनएस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि कश्मीर के लोगों ने अनुच्छेद 370 और 35ए के निरस्त होने के बाद बदलाव को स्वीकार कर लिया है और शांतिपूर्ण जीवन की आशा कर रहे हैं।

बुखारी ने कहा, जमीन पर बदलाव को महसूस करते हुए लोग शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं क्योंकि वे समझ गए हैं कि शांति जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए फायदेमंद है, न कि केंद्र सरकार के लिए। उन्होंने कहा, अगर कानून और व्यवस्था की कोई समस्या है, तो हम पीड़ित हैं, केंद्र सरकार नहीं। हम शांति चाहते हैं, हम शांति के हितधारक हैं।

अपनी पार्टी को भाजपा की बी टीम बताने के लिए नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी पर निशाना साधते हुए बुखारी ने कहा कि अगर वे सोचते हैं कि लोगों को सच बताना भाजपा के एजेंडे से जुड़ा हुआ है तो यह गलत है।

बुखारी ने कहा कि कश्मीर की पारंपरिक पार्टियों ने लोगों को धोखा दिया है और वे लाशों पर अपनी राजनीति करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर अब कोई पथराव नहीं हो रहा है तो इसका श्रेय लोगों और सुरक्षा बलों को जाना चाहिए। उन्होंने कहा, जो लोग आज शासन कर रहे हैं वे पेलेट नहीं चलाते हैं। उपराज्यपाल ने पैलेट के इस्तेमाल का आदेश नहीं दिया है। पेलेट का इस्तेमाल महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के शासन के दौरान किया गया था।

बुखारी ने कहा कि उनकी पार्टी लोगों को सिर्फ भावनात्मक नारों से नहीं बांध सकती है। जम्मू और कश्मीर की नियति केंद्र सरकार के साथ है। उन्होंने कहा, परिसीमन हो चुका है और मतदाता सूची को संशोधित कर दिया गया है। अब चुनाव नहीं कराने का कोई बहाना नहीं है।

बुखारी ने कहा कि अनुच्छेद 370 की बहाली एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, लेकिन पूछा कि क्या कोई राजनीतिक दल या चुनाव इसे वापस ला सकता है? उन्होंने कहा, विधानसभा के चुनाव अनुच्छेद 370 या 35ए की बहाली के लिए नहीं हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट में है और केवल अदालत ही इसे बहाल कर सकती है। उन्होंने कहा कि पिछले 75 सालों से कश्मीर में चुनाव भावनाओं से जीते गए हैं, न कि विकास और बुनियादी ढांचे के मुद्दों पर।

उन्होंने कहा, लोगों ने जनमत संग्रह, स्वायत्तता और स्वशासन और अब अनुच्छेद 370 के बारे में बात की है। पहले यह अनुच्छेद 370 को बचाने के बारे में था और अब इसे बहाल करने के बारे में है। उन्होंने कहा, वे युवाओं के जीवन को नष्ट करने के लिए जुनून पैदा करते हैं जो उन्हें या तो जेलों या कब्रों की ओर ले जाते हैं। बुखारी ने कहा कि लोगों ने सच्चाई की राजनीति को स्वीकार कर लिया है, जो तथ्यों के बारे में है।

उन्होंने कहा, हमारा भाग्य दिल्ली के साथ है। दिल्ली ने हमें घाव दिए हैं और दिल्ली अकेले उपचार कर सकती है। हमें इस्लामाबाद, वाशिंगटन या लंदन से कोई समाधान नहीं मिलेगा। हम भाजपा को पसंद नहीं कर सकते हैं, लेकिन हमें केंद्र सरकार से बात करनी होगी। 5 अगस्त, 2019 को एक प्रस्ताव पारित करने से भाजपा को रोकने के लिए राजनीतिक दलों के सत्ता में आने की बात पर उन्होंने कहा कि विधानसभा के पास ऐसी कोई शक्तियां नहीं हैं।

उन्होंने कहा, क्या जम्मू-कश्मीर विधानसभा के किसी भी प्रस्ताव का कोई मूल्य है? अतीत में, स्वायत्तता का प्रस्ताव विधानसभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से पारित किया गया था, लेकिन इसे कूड़ेदान में फेंक दिया गया। जब उस पिछली असेम्बली के पास शक्ति नहीं थी, तो इस असेम्बली के पास क्या शक्ति होगी।

बुखारी ने कहा, स्वायत्तता प्रस्ताव पारित होने के बाद, वे उस समय अदालत में क्यों नहीं गए? उन्हें अदालत में यह कहना चाहिए था कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने दो तिहाई बहुमत के साथ एक प्रस्ताव पारित किया है, हमें स्वायत्तता प्रदान करें।

 

 (आईएएनएस)

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Created On :   27 Nov 2022 12:00 PM IST

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