भाजपा नेताओं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का बंगाल सरकार को नोटिस
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म के एक मामले में वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय और अन्य की याचिका पर सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार और एक महिला शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने न्यायमूर्ति एम.आर. शाह की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि 2018 में उसके साथ दुष्कर्म किया गया था, लेकिन शिकायत 2020 में दर्ज की गई है। शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि इस संबंध में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की गई है, लेकिन हाईकोर्ट ने पुनरीक्षण (रिविजन) याचिका को मंजूर कर लिया।
वरिष्ठ वकील ने आगे दलील दी कि 2018 से 2020 में शिकायत दर्ज करने तक शिकायतकर्ता द्वारा सामूहिक दुष्कर्म के आरोपों के संबंध में एक कोई बात नहीं की गई। उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि इस अवधि के दौरान आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ कई अन्य आपराधिक शिकायतें दर्ज की गई थीं, लेकिन उनमें से किसी में भी सामूहिक दुष्कर्म का कथित अपराध नहीं था। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश एक और वरिष्ठ अधिवक्ता पी.एस. पटवालिया ने शीर्ष अदालत से मामले में याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान करने का आग्रह किया। मामले में गिरफ्तारी से संरक्षण के पहलू पर, शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं से अंतरिम संरक्षण के लिए अपने अनुरोध के साथ उच्च न्यायालय जाने को कहा।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने ललिता कुमारी मामले में संविधान पीठ के फैसले का हवाला दिया और कहा कि वर्तमान मामले में प्रारंभिक जांच की गई है, जहां यह पाया गया कि शिकायत में कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके मुव्वकिलों की अवैध जांच की गई थी। पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ के समक्ष दलील दी कि वह इस मामले में गुण-दोष या मेरिट पर बहस नहीं करेंगे। हालांकि, शीर्ष अदालत ने दोहराया कि याचिकाकर्ताओं को उच्च न्यायालय का रुख करना चाहिए और दिवाली की छुट्टी के बाद मामले की आगे की सुनवाई निर्धारित की गई। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि जिष्णु बसु और प्रदीप जोशी सहित अन्य ने 29 नवंबर, 2018 को एक अपार्टमेंट में उसके साथ दुष्कर्म किया। महिला ने उसके साथ मारपीट का भी आरोप लगाया। याचिकाकर्ताओं ने अलीपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के फैसले से असंतुष्ट होकर शीर्ष अदालत का रुख किया है। मजिस्ट्रेट ने इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था।
(आईएएनएस)
Created On :   25 Oct 2021 11:00 PM IST