विशेषाधिकार हनन साबित हुआ तो संसद में बढ़ जाएंगी राहुल गांधी की मुश्किलें, जानिए क्या होता है विशेषाधिकार हनन, राहुल पर क्यों लगा ये आरोप?
- राहुल गांधी पर सदन के कामकाज के नियम 353 और 369 का उल्लंघन करने का आरोप है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि उन पर आरोप है कि वो संसद की मर्यादा को सही ढंग से निर्वाह नहीं कर पाए हैं। जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें संसद के विशेषाधिकार हनन के तहत 15 फरवरी को अपना जवाब देना होगा। अब राहुल को लोकसभा सचिवालय के समक्ष अपना भी पक्ष रखना होगा। यह पूरा मामला भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी के एक शिकायत पर आगे बढ़ा है। दोनों सांसदों ने राहुल गांधी की शिकायत लोकसभा सचिवालय से की थी। जिसके बाद राहुल को सचिवालय की ओर से नोटिस भेजा गया है। जिसका जवाब 15 फरवरी तक देना अनिवार्य है।
लोकसभा सचिवालय ने मांगा जवाब
बता दें कि, राष्ट्रपति अभिभाषण के बाद राहुल गांधी ने 7 फरवरी को संसद में अपना भाषण दिया था। जहां उन्होंने मोदी सरकार और बिजनेस मेन गौतम अडानी को एक साथ होकर जनता को धोखा देने का आरोप लगाया था। लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी ने उनके इस बयान को संसद के मान को भंग करने वाला बताया था। राहुल पर आरोप लगाते हुए बीजेपी ने कहा था कि वह बिना कुछ जाने सरकार पर निराधार आरोप लगा रहे हैं। अगर राहुल के पास किसी भी प्रकार के सबूत हैं तो वह संसद के पटल पर रखे और देश को भी बताएं कि भारत सरकार और अडानी दोनों मिले हुए हैं। राहुल गांधी के गौतम अडानी वाले बयान को लेकर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्वाद जोशी ने लपकते हुए उनकी शिकायत लोकसभा सचिवालय से कर दी थी। जिसके बाद अब सचिवालय ने राहुल गांधी से जवाब मांगा है।
राहुल गांधी पर सदन के कामकाज के नियम 353 और 369 का उल्लंघन करने का आरोप है। प्रह्लाद जोशी के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति के ऊपर बिना सबूत के आरोप नहीं लगा सकते लेकिन राहुल ने ऐसा किया। राहुल गांधी विशेषाधिकार हनन से कैसे लड़ते हैं अब देखना दिलचस्प होगा। आइए जानते हैं कि राहुल के खिलाफ जो संसद विशेषाधिकार हनन का मामला सामने आया है वह क्या है और दोषी पाए जाने पर सजा का क्या प्रावाधान है।
क्या होता है विशेषाधिकार हनन
- जब किसी प्रतिनिधि द्वारा संसद के पटल पर कोई गलत तथ्य रखा या बोल जाता है।
- सदन के दौरान कोई ऐसी टिप्पणी जो असंसदीय हो, जो सदन की गरिमा को भंग करती हो। ऐसे में विशेषाधिकार हनन के तहत उस सदस्य पर कार्रवाई हो सकती है।
- एक सदस्य दूसरे सदस्य पर अपशब्द कहता है जिसे उसकी भावना आहत होती है। उस परिस्थति में भी विशेषाधिकार हनन का मामला बन सकता है। कुल मिलाकर देखें तो संसद की जो गरिमा है उसे बनाया रखना होता है क्योंकि देश के कोने-कोने से जनप्रतिनिधि आते हैं और अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
कब लाया जा सकता है विशेषाधिकार हनन
- जब किसी सदस्य द्वारा संसद में गलत और भ्रामक तथ्य रखे जाते हैं तब दूसरे सदस्य उसके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव ला सकते हैं। लेकिन उस व्यक्ति को सदन का सदस्य होना जरूरी है। इसके साथ ही विशेषाधिकार लाने वाले सदस्य के पास गलत और भ्रामक तथ्य के खिलाफ ठोस सबूत होना चाहिए। सरल भाषा में समझे तो उनके दावों में दम होना चाहिए।
- अगर कोई सदस्य के खिलाफ विशेषाधिकार हनन लाना चाहता है तो सबसे पहले सांसद को पहले लोकसभा महासचिव को सुबह 10 बजे से पहले लिखित में सूचना देनी होती है। अगर यह सूचना 10 बजे के बाद जारी होती है तो उसे अगले दिन की बैठक में शामिल किया जाता है।
हनन के क्या हैं नियम
लोकसभा नियम पुस्तक के अध्याय 20 में नियम संख्या 222 और राज्यसभा सांसद की नियमपुस्तिका के अध्याय 16 में नियम 187 विशेषाधिकार को नियंत्रित करता है। इसके अनुसार सदन का कोई भी सदस्य लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति की सहमति से एक प्रश्न उठा सकता है। जिसमें सदन का या किसी समिति के विशेषाधिकार के उल्लंघन का मामला शामिल है।
सजा की हो सकती है सिफारिश
विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव की जांच करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष 15 सदस्यों की समिति का गठन करते हैं। जिनका काम होता है कि वह तथ्यों को जांच करे। अगर सदस्य को दोषी पाया गया तो वह सजा की सिफारिश भी कर सकता है।
Created On :   13 Feb 2023 6:12 PM IST