दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका: याददाश्त खो चुके हैं सत्येंद्र जैन, विधानसभा और मंत्रिमंडल से अयोग्य घोषित किया जाए
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) के नेता सत्येंद्र जैन को विधानसभा और मंत्रिमंडल से अयोग्य घोषित करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि वह दिमाग तौर पर अस्वस्थ हो गए हैं और याददाश्त खो चुके हैं। याचिका में कहा गया है कि उन्हें स्मृति हानि (मेमोरी लॉस) हो गई है। जैन वर्तमान में एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 31 मई से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में है।
याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 191(1)(बी) के तहत दिमागी तौर पर अस्वस्थ शख्स विधानसभा का सदस्य नहीं बना रह सकता, लिहाजा उन्हें पद पर बरकरार रख कर दिल्ली सरकार नियमों का उल्लंघन कर रही है। याचिकाकर्ता आशीष कुमार श्रीवास्तव द्वारा अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह के माध्यम से दायर की गई जनहित याचिका (पीआईएल) में कहा गया है, दिल्ली सरकार स्पष्ट रूप से अनुच्छेद 191 (1) (बी) के तहत भारत के संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि एक व्यक्ति को विधान सभा या राज्य विधान परिषद का सदस्य चुने जाने और सदस्य होने पर अयोग्य घोषित किया जाएगा, यदि वह विकृतचित्त है और सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित किया गया है।
जैन, जिनकी जमानत 31 मई से विभिन्न सुनवाई में खारिज कर दी गई थी, वर्तमान में शहर के सरकारी लोक नायक जय प्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल में भर्ती हैं, क्योंकि उन्होंने चिकित्सा समस्याओं की शिकायत की है। सीबीआई ने जैन, उनकी पत्नी और अन्य पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध का आरोप लगाया है। 31 मार्च को, ईडी ने अस्थायी रूप से मंत्री के स्वामित्व वाली और नियंत्रित कंपनियों से संबंधित 4.81 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को कुर्क किया था।
6 जून को, ईडी ने जैन, उनकी पत्नी और उनके सहयोगियों से संबंधित कई स्थानों पर छापे मारे, जिन्होंने या तो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उनकी सहायता की थी या मनी लॉन्ड्रिंग की प्रक्रियाओं में भाग लिया था। छापेमारी के दौरान 2.85 करोड़ रुपये नकद और 1.80 किलोग्राम वजन के 133 सोने के सिक्के बरामद किए गए। हाल ही में जैन को निलंबित करने की मांग वाली एक ऐसी ही याचिका को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था।
यह तर्क दिया गया था कि जैन को 2015-2016 में कोलकाता स्थित एक फर्म के साथ हवाला लेनदेन में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर गिरफ्तार किया गया। इसमें आगे कहा गया कि गिरफ्तारी प्रतिकूल और कानून के शासन के लिए असंगत है, क्योंकि वह जनता के हित में कानून के शासन को बनाए रखने की संवैधानिक शपथ लेने वाले एक लोक सेवक है।
(आईएएनएस)
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Created On :   10 Aug 2022 11:00 PM IST