नीतीश भले ही पीएम बनने की दौड़ में न हों, पर उन्होंने भाजपा को चकमा दिया

Nitish may not be in the race to become PM, but he dodged the BJP
नीतीश भले ही पीएम बनने की दौड़ में न हों, पर उन्होंने भाजपा को चकमा दिया
मिशन लोकसभा चुनाव- 2022 नीतीश भले ही पीएम बनने की दौड़ में न हों, पर उन्होंने भाजपा को चकमा दिया

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए हाल ही में दिल्ली का तीन दिवसीय दौरा किया, जिसका भगवा ब्रिगेड पर गहरा प्रभाव पड़ा है। अब सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार अगले आम चुनाव में नरेंद्र मोदी को मुख्य चुनौती देने का सपना देख रहे हैं?

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि नीतीश कुमार देश के राजनीतिक नेताओं में सबसे तेज दिमाग वाले हैं। वह अपनी ताकत और कमजोरियों से पूरी तरह वाकिफ हैं और इसलिए वह खुद को विपक्षी दलों के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं कर रहे हैं।

बिहार के राजनीतिक विशेषज्ञ रजनीश सिंह ने कहा, भाजपा की बिहार इकाई अन्य विपक्षी नेताओं के बीच मतभेद पैदा करने के उद्देश्य से विपक्षी पीएम उम्मीदवार के रूप में नीतीश कुमार का नाम उछाल रहा है। नीतीश कुमार को उनके साथी राजनीतिक कमांडरों जैसे जद-यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, राज्य के मंत्री अशोक चौधरी और विजय चौधरी का समर्थन प्राप्त है, जो दूसरों के बीच हमेशा कहते हैं कि नतीश में प्रधानमंत्री बनने की सभी क्षमताएं हैं, लेकिन वह दौड़ में नहीं हैं।

दिल्ली में मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान नीतीश कुमार ने इस बात से इनकार किया था कि वह अगले प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में हैं। उन्होंने कहा था, हमारा लक्ष्य विपक्ष को भाजपा के खिलाफ एकजुट करना है। विपक्षी दलों के पास भाजपा को चुनौती देने और उसे हराने की पर्याप्त ताकत है। लेकिन मैं 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होने की दौड़ में नहीं हूं।

विपक्षी दल जानते हैं कि भाजपा उन्हें किस तरह घेरने की कोशिश कर रही है और शायद यही वजह है कि वे भगवा खेमे का विरोध करने वाली ताकतों को एकजुट करने की नीतीश कुमार की पहल के प्रति सकारात्मक मंशा दिखा रहे हैं। इसका कुछ संबंध भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा द्वारा हाल ही में पटना में विपक्ष मुक्त सरकार के लक्ष्य को हासिल करने के दावे से हो सकता है।

भाजपा ने हाल के दिनों में कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों में सरकारों को सफलतापूर्वक गिरा दिया। लेकिन बिहार में नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़ लिया और अपनी वह सरकार खुद गिरा दी, जिसमें शामिल रहकर भाजपा बिहार की सत्ता में होने का दावा कर रही थी। नीतीश ने राजद, कांग्रेस और वाम दलों के साथ गठबंधन कर महागठबंधन की सरकार बना ली, जिससे भगवा खेमे को काफी निराशा हुई।

भाजपा से नाता तोड़ने के बाद जदयू के ललन सिंह ने कहा था कि बिहार में भाजपा के 16 लोकसभा सांसद हैं, पश्चिम बंगाल में 17 सांसद हैं और झारखंड में 11 हैं। अगर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव बिहार में भाजपा को शून्य पर लाने में कामयाब हो जाते हैं, और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और झारखंड में हेमंत सोरेन ने भी ऐसा ही किया, तो भाजपा लोकसभा में 272 के बहुमत के निशान से अपने आप नीचे आ जाएगी, और ऐसा संभव है।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया था कि विपक्षी नेताओं को भाजपा को हराने के लिए भाजपा की चुनावी रणनीति अपनानी चाहिए। वास्तविक विचार संकट की स्थिति में चुनावी लाभ लेना है। इस लिहाज से भाजपा को उन राज्यों में डबल इंजन सरकार का फायदा है, जहां वह सत्ता में है। नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, हेमंत सोरेन, के. चंद्रशेखर राव, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, नवीन पटनायक और एम.के. स्टालिन को केंद्र में भाजपा के आठ साल के शासन के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाने पर विचार करना चाहिए।

यदि ये नेता अपने-अपने राज्यों में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने में कामयाब होते हैं, तो भाजपा को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। सूत्रों ने कहा कि नीतीश कुमार के तीन दिवसीय दिल्ली दौरे के बाद भाजपा के शीर्ष नेताओं ने कथित तौर पर अपनी बिहार इकाई को नीतीश कुमार पर हमला करने का संदेश दिया। इसलिए, नीतीश कुमार के खिलाफ सुशील कुमार मोदी, गिरिराज सिंह, संजय जायसवाल, विजय कुमार सिन्हा, अश्विनी कुमार चौबे, तारकिशोर प्रसाद सहित अन्य लोगों ने बयान जारी किए।

सुशील मोदी ने कहा, नीतीश कुमार ने पूर्व में जॉर्ज फर्नाडीस, शरद यादव और आर.सी.पी. सिंह को अपमानित किया था। वह ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के साथ भी ऐसा ही करेंगे। हालांकि, ललन सिंह और कुशवाहा ने नीतीश कुमार से सॉरी कहा और जद-यू में बने रहे, जबकि अन्य को हटा दिया गया।

सुशील मोदी पर प्रतिक्रिया देते हुए ललन सिंह ने कहा, आप जो झेल रहे हैं, उससे ज्यादा अपमान किसी को नहीं मिलता है। नीतीश कुमार और जद-यू के खिलाफ आपके सभी प्रयासों और बयानों के बावजूद आपकी पार्टी ने आपको कोई पद नहीं दिया है। फिर भी, हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

 

(आईएएनएस)

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Created On :   11 Sept 2022 11:30 AM GMT

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