गंगा के कटाव पर ममता ने पीएम को लिखा पत्र

Mamta wrote a letter to PM on the erosion of Ganga
गंगा के कटाव पर ममता ने पीएम को लिखा पत्र
पश्चिम बंगाल सियासत गंगा के कटाव पर ममता ने पीएम को लिखा पत्र

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल के मालदा, मुर्शिदाबाद और नदिया जिलों में गंगा-पद्मा नदी के किनारे हो रहे कटाव पर विचार करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर फरक्का बैराज परियोजना प्राधिकरण (एफबीपीए) के विस्तारित अधिकार क्षेत्र की बहाली की मांग की है, ताकि केंद्र राज्य सरकार के साथ परामर्श करके पूरे क्षेत्र में तत्काल बैंक सुरक्षा योजनाओं को लागू कर सके, जैसा कि वादा किया गया था।

इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि पिछले दो दशकों में पश्चिम बंगाल में मालदा, मुर्शिदाबाद और नदिया जिलों में गंगा-पद्मा नदी के किनारे लगातार नदी के कटाव के कारण सार्वजनिक उपयोगिताओं, निजी संपत्तियों और कृषि भूमि का भारी नुकसान हुआ है, मुख्यमंत्री ने कहा, वहां 1996 की भारत-बांग्लादेश गंगा संधि के संदर्भ में गंगा-पद्मा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। मालदा, मुर्शिदाबाद और नदिया जिलों में फरक्का के डाउनस्ट्रीम और अपस्ट्रीम दोनों में कटाव हुआ।

मुख्यमंत्री ने कहा, पश्चिम बंगाल में नदी प्रणाली के साथ कटाव की समस्या की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लगभग 2,800 हेक्टेयर उपजाऊ भूमि नदी से घिरी हुई है और सार्वजनिक व निजी संपत्तियों को पिछले 15 वर्षो के दौरान 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। ममता ने लिखा, नदी के किनारे इस तरह का कटाव बड़े पैमाने पर नदी के तल में गाद और फरक्का बैराज के निर्माण के परिणामस्वरूप नदी के प्रवाह को बार-बार स्थानांतरित करने के कारण हुआ है। इसे देखते हुए तत्कालीन जल संसाधन मंत्रालय ने वर्ष 2005 में विस्तार किया। फरक्का बैराज परियोजना प्राधिकरण (एफबीपीए) का कार्य क्षेत्राधिकार 40 किलोमीटर है। इसके दायरे में बैराज के अपस्ट्रीम से लेकर 80 किलोमीटर डाउनस्ट्रीम तक पूरे खंड में कटाव और नदी तट संरक्षण कार्य शुरू किया जाना है।

ममता ने लिखा, राज्य सरकार के कई बार अनुनय के बावजूद एफबीपीए ने 120 किमी के विस्तारित क्षेत्राधिकार में नदी के कटाव की समस्या का समाधान नहीं किया है। इसने पश्चिम बंगाल में मालदा, मुर्शिदाबाद और नदिया जिलों के 15 ब्लॉकों के 400 वर्ग किलोमीटर में नदी के कटाव के कारण भूमि का नुकसान और बढ़ गया है। उन्होंने लिखा, इसलिए, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया एफबीपीए के विस्तारित क्षेत्राधिकार को वापस लेने के निर्णय पर पुनर्विचार करें, ताकि केंद्र सरकार की पूर्व प्रतिबद्धता को पूरा किया जा सके और विस्तारित क्षेत्राधिकार के पूरे खंड में तत्काल तट सुरक्षा योजनाओं को शुरू करने की व्यवस्था की जा सके।

राज्य सरकार के लिए नए संरक्षण कार्यो के लिए आवश्यक धनराशि की व्यवस्था करना कठिन होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि 31 अगस्त, 2021 को राज्य मंत्रिपरिषद के प्रतिनिधिमंडल के केंद्रीय जलशक्ति मंत्री से मुलाकात के दौरान यह मामला फिर से उठाया गया था, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। मुख्यमंत्री ने कहा, मैं इस अवसर पर यह भी सूचित करना चाहूंगी कि गंगा-पद्मा नदी द्वारा कटाव के अलावा, महानंदा, फुलहार, टैंगोन, अतराय और पुनर्भव जैसी सीमा पार नदियों के साथ सतत बाढ़ और कटाव 21 ब्लॉकों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय रहा है।

उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर और मालदा नाम के तीन जिले। 2017 में आई भीषण बाढ़ के परिणामस्वरूप 4978 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 2,570 करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन किया गया, राज्य सरकार ने एक व्यापक बाढ़ प्रबंधन योजना तैयार की है और इसे मूल्यांकन के लिए मई 2021 में गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग को भेजा है।

(आईएएनएस)

Created On :   22 Feb 2022 7:30 PM IST

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