लखीमपुर खीरी, पीलीभीत बनी भाजपा के लिए मुसीबत का सबब

Lakhimpur Kheri, Pilibhit became a cause of trouble for BJP
लखीमपुर खीरी, पीलीभीत बनी भाजपा के लिए मुसीबत का सबब
यूपी का चुनावी घमासान लखीमपुर खीरी, पीलीभीत बनी भाजपा के लिए मुसीबत का सबब

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कई कारणों से विधानसभा चुनाव में तराई क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इस क्षेत्र में सबसे अधिक परेशानी वाला स्थान लखीमपुर खीरी है, जहां चौथे चरण में 23 फरवरी को मतदान होना है। लखीमपुर खीरी अब 3 अक्टूबर की उस घटना के लिए सबसे ज्यादा जानी जाती है जिसमें किसानों के विरोध के बाद केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा के स्वामित्व वाली एसयूवी द्वारा चार किसानों और एक पत्रकार को कुचल दिया गया था।

उसके बाद हुई हिंसा में भाजपा के तीन कार्यकर्ता मारे गए। आशीष मिश्रा जेल में हैं और अजय मिश्रा टेनी अपने मंत्री पद पर बने हुए हैं, हालांकि उन्हें जनता की नजरों से दूर रहने के लिए कहा गया है। घटना की जांच करने वाली एसआईटी ने कहा है कि यह पूर्व नियोजित थी। मतदाताओं में भारी बेचैनी है और भाजपा के स्थानीय नेता जमीनी हालात से भली-भांति वाकिफ हैं।

पलिया के एक युवा किसान सुरजीत सिंह कहते हैं, घाव अभी भी कच्चे हैं और सत्तारूढ़ दल ने अपने वादे पूरे नहीं किए हैं जिसमें अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करना शामिल है। किसान आक्रामक नहीं हो रहे हैं, लेकिन उनमें आक्रोश की एक मजबूत लहर है। पार्टी को एक और झटका तब लगा जब धौरहरा से उसके विधायक बाला प्रसाद अवस्थी समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए।

निघासन में, जहां 3 अक्टूबर की घटना हुई, भाजपा ने मौजूदा विधायक राम कुमार पटेल की जगह शशांक वर्मा को नियुक्त किया है। पड़ोसी पीलीभीत में भी स्थिति बेहतर नहीं है। स्थानीय भाजपा सांसद वरुण गांधी किसानों के मुद्दों पर अपनी ही पार्टी की आलोचना करने के बजाय मुखर रहे हैं। गांधी को सिख समुदाय से काफी समर्थन प्राप्त है। उनकी मां मेनका गांधी एक सिख हैं और किसानों के आंदोलन के दौरान उनके आसन के साथ-साथ लखीमपुर खीरी की घटना जिसमें उन्होंने मंत्री की गिरफ्तारी की मांग की थी, उसने भी यहां भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

भाजपा ने पलटवार करते हुए वरुण गांधी और मेनका गांधी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटाकर अब स्टार प्रचारकों की सूची से हटा दिया है। बीजेपी ने परेशानी को भांपते हुए अपने चार में से दो उम्मीदवारों को भी बदल दिया है। बरखेड़ा में किशन राजपूत की जगह स्वामी प्रवक्ताानंद को लिया गया है जबकि बीसलपुर में विवेक वर्मा को अज्ञश वर्मा की जगह लिया गया है।

हालांकि, पार्टी ने पीलीभीत सदर से संजय गंगवार और पूरनपुर विधानसभा सीटों से बाबूराम पासवान को बरकरार रखा है। भाजपा के शीर्ष नेताओं ने अभी तक इस क्षेत्र में प्रचार शुरू नहीं किया है और पार्टी के सूत्र उनके कार्यक्रम के बारे में टाल-मटोल कर रहे हैं।

(आईएएनएस)

Created On :   28 Jan 2022 4:00 PM IST

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