कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बेंगलुरू में मेकेदातु पदयात्रा निकालने पर कांग्रेस को फटकार लगाई
- बेंगलुरु में कोई विरोध प्रदर्शन न करे
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने गुरुवार को विपक्षी कांग्रेस द्वारा मेकेदातु परियोजना पर काम शुरू करने की मांग को लेकर आयोजित पदयात्रा पर आपत्ति जताई है। अदालत ने आगे कांग्रेस को आदेश दिया कि वह अब से बेंगलुरु में कोई विरोध प्रदर्शन न करे। मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति एस.आर. कृष्णकुमार ने यह आदेश दिया।
पीठ ने सरकार से यह भी देखने के लिए कहा कि विरोध और आंदोलन फ्रीडम पार्क के परिसर तक ही सीमित हैं और वाहन सवारों और आम लोगों को परेशान नहीं करते हैं। पीठ ने कहा, हमें उच्च न्यायालय पहुंचने में एक घंटे का समय लगा। आम लोगों को कैसे आना-जाना चाहिए? सरकार को इस पर प्रतिबंध जारी करना चाहिए।
आईपीसी की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा) और कर्नाटक पुलिस अधिनियम, 1963 के तहत उल्लंघन के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए अधिकार क्षेत्र के पुलिस निरीक्षकों को सशक्त बनाने के लिए आदेश जारी किया गया है। मेकेदातु पदयात्रा 2.0, सरकार द्वारा परियोजना को लागू करने की मांग करते हुए, गुरुवार को नेशनल कॉलेज ग्राउंड में समाप्त होगी, जहां पार्टी ने एक विशाल सम्मेलन आयोजित किया है।
पदयात्रा रामनगर से फिर से शुरू हुई, जहां इसे कोविड की तीसरी लहर के चरम के दौरान रोक दिया गया था। कांग्रेस नेता मेखरी सर्कल से बसवनागुडी नेशनल कॉलेज ग्राउंड तक 78.9 किलोमीटर का पैदल मार्च निकाल रहे हैं। कर्नाटक पुलिस ने प्रदेश अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार और विपक्ष के नेता सिद्धारमैया को जुलूस निकालने और विरोध मार्च निकालने पर कोविड दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, दोनों नेताओं ने अपने खिलाफ चल रहे मामलों को सत्ताधारी भाजपा का राजनीतिक प्रतिशोध बताया है। मेकेदातु आंदोलन से कांग्रेस का लक्ष्य बेंगलुरु और आसपास के जिलों में जनता से संपर्क बनाना है। पदयात्रा में हजारों लोग शामिल हुए हैं। प्रमुख लिंगायत संत मुरुघा राजेंद्र ने भी विरोध मार्च को अपना समर्थन दिया है।
(आईएएनएस)
Created On :   3 March 2022 1:31 PM GMT