सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हेमंत को तात्कालिक राहत, पर दूर नहीं हुईं मुश्किलें, ईडी की जांच जारी, दोबारा समन की तैयारी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हेमंत को तात्कालिक राहत, पर दूर नहीं हुईं मुश्किलें, ईडी की जांच जारी, दोबारा समन की तैयारी
झारखंड सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हेमंत को तात्कालिक राहत, पर दूर नहीं हुईं मुश्किलें, ईडी की जांच जारी, दोबारा समन की तैयारी

डिजिटल डेस्क, रांची। अवैध माइनिंग और शेल कंपनियों में निवेश के आरोपों से जुड़ी पीआईएल पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से तात्कालिक राहत तो मिल गई है, लेकिन इससे उनकी मुश्किलें पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैं। ईडी ने झारखंड में अवैध माइनिंग से संबंधित मामले में एक हजार करोड़ से भी अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग का पता लगाया है और इसी प्रकरण में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछताछ के लिए उन्हें एक बार फिर समन जारी करने की तैयारी की जा रही है। ईडी ने इस मामले में पहली बार बीते 1 नवंबर को समन जारी कर उन्हें 3 नवंबर को पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन सीएम ने अपनी व्यस्तताओं का हवाला देते हुए तीन हफ्ते का समय मांगा था।

सीएम के इस आग्रह पर ईडी ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है। सूत्रों के मुताबिक 15 नंवबर के बाद किसी भी दिन सोरेन को दूसरी बार समन किया जाएगा। नियम यह है कि अगर तीन समन के बाद भी वे पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं होते हैं तो ईडी आगे की कार्रवाई के लिए अदालत का रुख कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सीएम हेमंत सोरेन एवं उनके करीबियों पर अवैध माइनिंग और शेल कंपनियों में निवेश के आरोपों से जुड़े पीआईएल को सुनवाई योग्य नहीं माना था। यह पीआईएल शिवशंकर शर्मा नामक शख्स ने झारखंड हाईकोर्ट में दाखिल की थी, जिसकी मेंटेनब्लिटी पर सवाल उठाते हुए हेमंत सोरेन एवं सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की थी। इस एसएलपी पर सुनवाई के दौरान प्रतिवादी ईडी के वकील ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि शेल कंपनियों में निवेश और माइनिंग लीज आवंटन के मामले में पर्याप्त तथ्य हैं, जिसके आधार पर पीआईएल पर सुनवाई जारी रखी जानी चाहिए। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की दलील को नकारते हुए कहा था कि अगर ईडी के पास शेल कंपनियों में कथित निवेश और माइनिंग लीज आवंटन के मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत हैं तो वह खुद इसकी जांच कर सकती है। वह एक व्यक्ति की ओर से दाखिल पीआईएल की आड़ में जांच के लिए कोर्ट का आदेश क्यों चाहती है?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट में चल रही पीआईएल पर सुनवाई जरूर निरस्त हो गई है, लेकिन अवैध खनन मामले में ईडी की जांच इस आदेश से अप्रभावित रहेगी।

गौरतलब है कि ईडी ने झारखंड में अवैध खनन, ट्रांसपोटिर्ंग और अन्य कारोबार के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बीते मई महीने से कार्रवाई शुरू की गई थी। इन मामलों में अब तक 50 से भी ज्यादा ठिकानों पर हुई छापामारी के दौरान अब तक कुल छह लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें सीनियर आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल, सीएम सुमन कुमार, सीएम हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्र, पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश, कोलकाता का कारोबारी और झारखंड के बड़े नेताओं व नौकरशाहों का करीबी अमित अग्रवाल, पंकज मिश्र का सहयोगी बच्चू यादव शामिल हैं। साहिबगंज में छापेमारी के दौरान ईडी को पंकज मिश्रा के घर से एक लिफाफा मिला था। इसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बैंक खाते से जुड़ा चेकबुक था। इसमें से दो चेक बुक हस्ताक्षरित थे। हालांकि, इसमें राशि का उल्लेख नहीं किया गया था।

ईडी ने पंकज मिश्र एवं अन्य के खिलाफ दायर चार्जशीट में उसे मिलने वाले राजनीतिक संरक्षण का विस्तार पूर्वक उल्लेख किया है। पंकज मिश्रा के न्यायिक हिरासत में रिम्स में भर्ती रहने के दौरान फोन पर अधिकारियों से बात करने और मुख्यमंत्री के नाम पर उन्हें डराने का मामला भी ईडी ने पकड़ा था। ईडी ने साहिबगंज में अवैध खनन की जांच के दौरान इस बात के भी सबूत जुटाये हैं कि पंकज मिश्रा व उसके सहयोगी अवैध खनन के मामले में जिले के अधिकारियों को मुख्यमंत्री का नाम लेकर डराते थे। ईडी की चार्जशीट के मुताबिक मुख्यमंत्री के नाम पर राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए अधिकारियों को कार्रवाई करने से रोका जाता था।

जाहिर है, इस पूरे प्रकरण में ईडी द्वारा हेमंत सोरेन को दोबारा समन होते ही उनकी परेशानियां बढ़ सकती हैं।

 

 (आईएएनएस)

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Created On :   8 Nov 2022 5:00 PM IST

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