डीके शिवकुमार कांग्रेस के लिए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कितने महत्वपूर्ण, राजनीतिक करियर के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री को भी दी है चुनावी पटखनी

How important is DK Shivakumar for the Congress in the Karnataka assembly elections, during his political career he has defeated the former Prime Minister as well
डीके शिवकुमार कांग्रेस के लिए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कितने महत्वपूर्ण, राजनीतिक करियर के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री को भी दी है चुनावी पटखनी
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 डीके शिवकुमार कांग्रेस के लिए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कितने महत्वपूर्ण, राजनीतिक करियर के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री को भी दी है चुनावी पटखनी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अब 20 दिनों से भी कम का समय बचा है। इस बीच एक नेता का नाम सुर्खियों में बना हुआ है। लिंगायत समुदाय के बाद राज्य में किसी दूसरे समुदाय का दबदबा है तो वह है वोक्कालिगा समाज है। यह समाज प्रदेश में करीब 11 फीसदी है। इस समुदाय के वोट कई सीटों पर जीत-हार का अंतर तय करते हैं। वोक्कालिगा समुदाय को लुभाने के लिए कांग्रेस के पास एक कद्दावर नेता है और उसका नाम है डीके शिवकुमार।

1400 करोड़ की संपत्ति के मालिक डीके शिवकुमार को कांग्रेस के लिए संकटमोचक के तौर माना जाता है। वह राज्य में कांग्रेस के लिए स्टार प्रचारक भी है। मौजूदा वक्त में वह अपने भाषणों के जरिए कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में चुनावी हुंकार भरने का काम कर रहे हैं। 

जीत का चौका लगाएंगे डीके

डीके शिवकुमार कांग्रेस की ओर से पिछले कई सालों से कनकपुरा सीट से बड़े मार्जिन से चुनाव जीतते आ रहे हैं। पार्टी ने एक बार फिर उन्हें इसी सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। डीके ने 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में कनकपुरा सीट से लड़ते हुए भारी मतों से जीत हासिल की है। इस बार वे जीत का चौका लगाने के लिए चुनावी मैदान में उतरे हैं।

इन दिग्गजों को दी चुनाव में पटखनी

गौरतलब है कि, अपनी सियासी पारी के दौरान डीके शिवकुमार कई बड़े नेताओं चुनावी मैदान में हरा चुके हैं। साल 1990 की बात है, जब उन्हें कांग्रेस से टिकट नहीं मिला था, तब उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा को हराया था। इसके 10 साल बाद डीके शिवकुमार ने देवगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी को भी चुनावी मैदान में पटखनी दी थी। जिसके बाद वे कर्नाटक में एक कद्दावर नेता के रूप में उभर कर सामने आए। डीके की इस जीत ने बता दिया कि वह हर मुश्किल स्थिति से निपटना जानते हैं। 2004 के लोकसभा चुनाव में डीके शिवकुमार का सियासी अनुभव का बड़ा प्रमाण देखने को मिला, जब उन्होंने कनकपुरा लोकसभा सीट से अनुभवहीन तेजस्विनी को टिकट दिलवाकर देवगौड़ा से सीधा मुकाबला करवा दिया था। चुनावी नतीजे आए और अनुभवहीन तेजस्विनी ने देवगौड़ा को चुनाव में मात दी। 

कांग्रेस के लिए जरूरी हैं डीके 

डीके शिवकुमार को कांग्रेस का वफादार सिपाही माना जाता है। उनके मतभेद किसी के भी साथ रहे हो लेकिन सियासत को समझते हुए उन्होंने कई बड़े कदम उठाए हैं। इस बात का सबूत 2018 के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिला था, तब राज्य में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था, तब कांग्रेस ने जेडीएस के साथ हाथ मिलाया। जिसके बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार बन गई थी। माना जाता है कि डीके ने ही इस गठबंधन में अहम भूमिका निभाई थी। हालांकि, इस बार के भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अकेले चुनावी मैदान में उतर रही है। 

कांग्रेस नेता डीके की सूझबूझ का सबूत

साल 2017 के गुजरात की राज्य सभा सीटों के लिए चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने एक और सियासी सूझबूझ का सबूत दिया था। तब डीके को अंदेशा हो गया था कि पार्टी के कुछ नेता बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। यह संभव माना जा रहा था कि बीजेपी कांग्रेस नेताओं को अपने खेमे में ला सकती है। 

इस दौरान डीके ने पार्टी आलाकमान से अपील कर कहा कि कांग्रेस नेताओं को कुछ समय के लिए गुजरात से बेंगलुरु उनके रिजॉट में भेज दिया जाए। उनकी सियासी सूझबूझ की वजह से कांग्रेस को हमेशा से फायदा होता रहा है। हालांकि, यह बात अलग है कि उन पर समय-समय पर सियासी भ्रष्टाचार के अरोप लगे, साल 2019 के सिंतबर माह में मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी के मामले में उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया गया था। 

उनके निजी जीवन की बात करें तो 15 मई 1962 को कर्नाटक के मैसूर में डीके का जन्म हुआ था। उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन की तक पढ़ाई की है और शुरुआत से ही उनकी रुचि सामाजिक कार्यों में रही है। साल 1993 में उनकी शादी उषा शिवकुमार के साथ हुई थी। उस शादी से उनकी दो बेटियां और एक बेटा है। 

Created On :   22 April 2023 1:33 PM GMT

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