आधी आबादी की सियासत में नहीं आधी हिस्सेदारी, बस लुभावने वादों के भरोसे वोट लेने की सियासी कोशिश
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डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। मतदाताओं की संख्या में आधी हिस्सेदारी रखने वाली महिलाओं की सियासत में भी आधी भागीदारी होनी चाहिए, इसकी राजनैतिक बयार अब चलने लगी है। किसी भी सूबे की सियासत अब महिलाओं के इर्द गिर्द घूमने लगी है। तभी हर राजनैतिक दल महिलाओं को लेकर तमाम लुभाने वाली घोषणा करने लगे हैं। पंजाब में सियासी ताज किसके सर पर सजेगा इसका फैसला नारी शक्ति ही करेंगी। पंजाब में एक करोड़ से ज्यादा महिला मतदाता है। जो वोट के जरिए सूबे के भाग्य निर्धारित करेंगी।
पंजाब में एक करोड़ से ज्यादा महिला मतदाता हैं। भले ही सियासत में महिलाओं की स्थिति ज्यादा सही नहीं है। आजादी से लेकर अब तक राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बराबर की नहीं रही। संख्या में आधी आबादी की सियासत में अनदेखी होती चली आई है। पंजाब में 1951 से लेकर 2017 के विधानसभा चुनावों तक केवल 89 महिलाएं ही विधायक बन कर जनता की आवाज में सदन में पहुंची है जो 1799 पुरूष विधायकों की अपेक्षा न केवल बहुत कम है बल्कि ये आंकड़ें साफ तौर पर दर्शाते है कि राजनीति में महिलाओं की स्थिति आधुनिक दौर में भी नाजुक बनी हुई है।
आपको बता दें कि पंजाब में कुल 2,12,75,067 मतदाता हैं। इनमें से 1,11,87,857 पुरुष मतदाता हैं। वहीं, महिला मतदाताओं की संख्या 1,00,86,514 है। पिछले चुनावों में महिला मतदाताओं का वोटिंग प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले ज्यादा रहा था। आंकड़ो के कारण ही महिला वोटरों की ओर हर दल का विशेष झुकाव है। पार्टियों की ओर से महिला मतदाताओं के लिए कई बड़ी घोषणाएं कर चुकी हैं। पंजाब में वोट देने में महिलाएं हमेशा पुरूषों से आगे रही है।
पंजाब की महिलाएं
- डॉ उपिंदरजीत कौर सुल्तानपुर लोधी विधानसभा सीट से पहली बार 1997 से 2007 तक तीन बार विधायक बनी। तीनों बार ही वो कैबिनेट मंत्री। वो पहली बार पंजाब में महिला वित्त मंत्री बनीं।
- राजिंदर कौर भट्ठल 1996 में भारतीय इतिहास में 8 वीं व पंजाब की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। वो पंजाब की पहली महिला डिप्टी सीएम भी बनी।
- रजिया सुल्ताना 2002 व 2007 में लगातार जीती व 2017 में तीसरी बार विधायक बनने पर पंजाब की पहली महिला मुस्लिम कैबिनेट मंत्री बनी।
Created On :   20 Jan 2022 3:13 PM IST