कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड तोड़ना आज भी बीजेपी का सपना, पीएम मोदी भी इस कांग्रेस नेता को नहीं दे सके टक्कर

कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड  तोड़ना आज भी बीजेपी का सपना, पीएम मोदी भी इस कांग्रेस नेता को नहीं दे सके टक्कर
गुजरात विधानसभा चुनाव-2022 कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड तोड़ना आज भी बीजेपी का सपना, पीएम मोदी भी इस कांग्रेस नेता को नहीं दे सके टक्कर

डिजिटल डेस्क, गांधीनगर। भारतीय जनता पार्टी पिछले 27 सालों से गुजरात में लगातार अपनी सरकार चला रही है और इस साल भी आगामी विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल के लिए पूरी एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। इस बार पार्टी मिशन 150 पर कार्य कर रही है। भाजपा का सपना अभी तक पूरा नही हुआ है, जिसे वो पूरा करना चाहती है और इसका इंतजार पार्टी को सालों से है।  हालांकि, बीजेपी पिछले तीन दशकों से राज्य को अपना सबसे बड़ा गढ़ बना चुकी है लेकिन आज तक सबसे बड़ी जीत के मामले में कांग्रेस को पीछे नही कर पाई है और ना कांग्रेस का रिकॉर्ड तोड़ पाई है।

अगर गुजरात के इतिहास को देखा जाए तो साल 1985 में कांग्रेस पार्टी सबसे ज्यादा 149 सीटें जीतीं थी। वहीं साल 2002 में बीजेपी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पीएम मोदी की अगुवाई में रहा था। गुजरात में हुए दंगों के बाद चुनाव में बीजेपी को 127 सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि, बीजेपी को कांग्रेस के जीत का रिकॉर्ड तोड़ना आज भी एक सपना है। गुजरात सियासत में आज भी माना जाता है कि कांग्रेस ने जिस नेता की बदौलत ऐतिहासिक जीत हासिल की थी, उसको पीएम मोदी भी टक्कर नहीं दे सके। यानी चुनाव के दौरान वैसा सियासी फॉर्मूला नहीं बैठा सके, जिसकी बदौलत बीजेपी उस रिकॉर्ड को तोड़ सकती। 

किसकी बदौलत मिली थी कांग्रेस को बड़ी जीत?

साल 1985 में जिस नेता के बदौलत कांग्रेस पार्टी को इतनी बड़ी जीत मिली थी उनका नाम माधव सिंह सोलंकी हैं। सोलंकी ने कुल 182 सदस्यीय वाली विधानसभा में 149 सीटों पर कांग्रेस को जीत दिलाई थी। माधव ने क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम फॉर्मूले के सहारे बड़ी जीत दर्ज किया था। इसी फॉर्मूले ने गुजरात में बीजेपी के उदय में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बाद से ऐसी जीत ना बीजेपी और ना कांग्रेस पार्टी ने दोहराया पाया।

रिजर्वेशन के दांव से मिली थी जीत

साल 1981 में माधव सिंह सोलंकी ने बख्शी कमीशन से गुजारिश किया कि गुजरात में ओबीसी के लिए रिजर्वेशन का प्रावधान किया। जिससे राज्य में बड़ी संख्या ने आंदोलन करना शुरु कर दिया और दंगों के कारण सैकड़ों लोग मारे गए थे। रिजर्वेशन समर्थक और विरोधी गुटों के बीच माधव सिंह ने अपने पद से साल 1985 में इस्तीफा सौंप दिया। इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में चार साल पहले किया गया दांव पेंच काम कर गया और कांग्रेस को 182 सीटों में से 149 सीटों पर जीत मिलीह। इससे पाटीदार तबका कांग्रेस पार्टी से नाराज हो गया और आगे जाकर बीजेपी की तरफ अपना झुकाव किया। 

किसे कब कितनी सीटें मिली

राज्य के गठन के बाद पहली बार साल 1960 में विधानसभा चुनाव हुए तो 132 सीटों में कांग्रेस को 112 सीटों पर जीत मिली थी। उसके बाद 1975 तक कांग्रेस सत्ता पर बरकरार रही। साल 1980 में जब भाजपा की सरकार गिरी तो कांग्रेस के नेता माधव सिंह सोलंकी को एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला। भाजपा की एंट्री जनता दल के साथ 1990 में हुई और साथ मिली जुली सरकार बनाई थी।

फिर वर्ष 1995 में बीजेपी ने 182 में 121 सीटों पर जीत हासिल किया था और पहली बार केशुभाई पटेल ने बहुमत हासिल कर अपनी सरकार बनाई थी। तभी से बीजेपी लगातार सत्ता पर काबिज है। साल 2002 में सबसे ज्यादा 127 सीटें जीती थी । वही साल 2017 में सबसे कम 99 सीटों पर बहुमत हासिल कर सरकार का गठन किया था।

 

Created On :   15 Nov 2022 2:15 PM GMT

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