पश्चिमी यूपी में आज थम जाएगा पहले चरण का चुनावी प्रचार
- सियासी दलों में आखिरी दौर की जुबानी जंग आज शाम तक
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तरप्रदेश के पहले चरण का चुनावी प्रचार आज थम जाएगा। ठंड में बनी चुनावी गरमाहट और चढ़ा सियासी पारा के साथ आज पश्चिमी यूपी में रैलियों यात्राओं बैठकों का शोरगुल आज शांत हो जाएगा। 11 जिलों की 58 सीटों पर होने जा रहे पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को होना है। चुनावी अखाड़ों में सियासी दलों के दिग्गजों की जोर आजमाइश और जुबानी जंग पहले चरण के अंतिम दौर पर है। चुनावी प्रचार में सियासी दल की ओर से धर्म के ध्रुवीकरण पर जोर लगाया। जाति की राजनीति पर टिकी यूपी की सियासी गद्दी फिर जातियों कर सिमटती हुई नजर आ रही है।
दिल्ली या अन्य बड़े शहरों से पश्चिमी यूपी की कनेक्टिवटी पहले से बढ़ी है। बीजेपी इसे अपने पक्ष में प्रचारित कर रही है, बीजेपी ने विकास कार्यों की वाहवाही लूटने की पूरी कोशिश में है, तो वहीं सपा बसपा सावल उठाते उन्हें अपने कार्यकाल के बता रहा है।
पश्चिमी यूपी में कानून-व्यवस्था भी एक चुनावी मुद्दा है। बसपा दलित उत्पीड़न की बात कर रही है। वहीं बीजेपी योगी की ठाय ठाय नीति को कानून व्यवस्था सुधारने का हथियार बता रही है। वहीं विपक्ष योगी की ठोको नीति को एक वर्ग विशेष से जोड़कर बीजेपी और योगी की कानून व्यवस्था पर निशाना साध रहे है।
यूपी की राजनीति में बीजेपी ने 2014, 2017 2019 में तमाम पिछड़ी जातियों के मिले वोटरों से पाटने से कोशिश की, लेकिन पलटती राजनीति बयार ने यूपी कि सियासत को फिर जातियों के शिकंजे में फंसा दिया। बीजेपी विकास के मुद्दे को लेकर जनता के बीच जा रही है, तो सपा गठबंधन, और किसानों की नाराजगी और योगी की नाकामियों को लेकर चुनावी गलियों में दौड़ लगा रही है। वहीं बसपा अपने पुराने सोशल इंजीनियरिंग और सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के नारे के साथ हाथी पर सवार होकर चुनावी मंचों से हुकार भर रही है। जबकि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस महिलाओं की राजनीति में भागीदारी को लेकर सियासी सपने देख रही है। बीजेपी योगी के शासन की कानून व्यवस्था पर ढ़ीगे हांक रही है लेकिन मतदातों का मानना है कि सुरक्षा मिली पर ये जानना जरूरी है कि किसे मिली। पश्चिमी यूपी के चुनावी प्रचारी रण में रोजगार एक सबसे बड़ा मुद्दा है। युवाओं में इसके प्रति काफी नाराजगी देखने को मिली।
पश्चिमी यूपी में अपनी अपनी जाति-संप्रदाय की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा रहा है। बीजेपी बार-बार सपा शासनकाल में हुए दंगों को बता रही है। वहीं बीजेपी की योगी सरकार में कोई दंगा नहीं हुआ की बात चुनावी मंचों से कर रही है। जबकि सपा-रालोद गठबंधन दंगों का जिम्मेदार बीजेपी को ठहरा रहा है।
Created On :   8 Feb 2022 8:35 AM IST