आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ मृतक आईएएस अधिकारी की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आईएएस अधिकारी जी. कृष्णया की पत्नी ने पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की समय से पहले जेल से रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जी. कृष्णया को 1994 में बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह के नेतृत्व में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था।
जी कृष्णया की पत्नी उमा कृष्णया द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि मौत की सजा को कम करके अदालत द्वारा निर्देशित आजीवन कारावास को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि गैंगस्टर से राजनेता बने को उम्रकैद की सजा का मतलब उसके पूरे जीवन के लिए कैद है।
बिहार जेल नियमों में संशोधन के बाद आनंद मोहन को गुरुवार सुबह सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया। आनंद मोहन की रिहाई को लेकर आलोचनाओं के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार शाम एक कार्यक्रम के दौरान दावा किया था कि यह फैसला केंद्र के मॉडल जेल मैनुअल 2016 पर आधारित है।
अपने साथ रखी किताब का हवाला देते हुए नीतीश कुमार ने कहा, यह मॉडल जेल मैनुअल 2016 की किताब है। कृपया इसे पढ़कर मुझे बताएं कि क्या कोई प्रावधान कहता है कि अगर एक आईएएस अधिकारी की हत्या हो जाती है, तो दोषी को जीवन भर जेल में रहना होगा?
देश के किसी भी राज्य में ऐसा कोई कानून नहीं है। इसलिए, हमने इसे बिहार में हटा दिया है। वह (आनंद मोहन) 15 साल से अधिक समय से जेल की सजा काट रहे थे। गहन चर्चा के बाद निर्णय लिया गया। 2017 के बाद से, बिहार में छूट (परिहार) की 22 बैठकें हुई हैं और 696 कैदियों को रिहा किया गया है। गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और महात्मा गांधी की जयंती पर मेरी सिफारिश पर कई कैदियों को रिहा किया गया।
उन्होंने यह भी पूछा कि क्या आम लोगों और सरकारी अधिकारी के लिए आवश्यक कानून में कोई अंतर है। उन्होंने कहा, हालांकि 27 कैदियों को रिहा कर दिया गया है, लेकिन ऐसा क्यों है कि केवल एक व्यक्ति की रिहाई का विरोध किया जा रहा है।
1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी कृष्णया, जो तेलंगाना के रहने वाले थे, उनको भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था, जब उनके वाहन ने गैंगस्टर छोटन शुक्ला के अंतिम संस्कार के जुलूस को ओवरटेक करने की कोशिश की थी। कथित तौर पर भीड़ को आनंद मोहन ने उकसाया था।
(आईएएनएस)
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Created On :   29 April 2023 7:30 PM IST