कोर्ट ने केजरीवाल के वीडियो से छेड़छाड़ को लेकर पात्रा के खिलाफ एफआईआर पर रोक लगाई

Court stays FIR against Patra for tampering with Kejriwals video
कोर्ट ने केजरीवाल के वीडियो से छेड़छाड़ को लेकर पात्रा के खिलाफ एफआईआर पर रोक लगाई
नई दिल्ली कोर्ट ने केजरीवाल के वीडियो से छेड़छाड़ को लेकर पात्रा के खिलाफ एफआईआर पर रोक लगाई

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को दिल्ली पुलिस को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के आरोप में भाजपा नेता संबित पात्रा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने वाले आदेश पर रोक लगा दी। वीडियो में केजरीवाल कृषि कानूनों के बारे में बोलते देखाया गया है। पात्रा की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजय शर्मा ने मामले में नोटिस जारी कर कहा कि पूर्व के आदेश को अमल में लाने पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।

पुनरीक्षण याचिका में भाजपा नेता ने तर्क दिया कि पहले के अदालती आदेश में इस पर ध्यान नहीं रखा गया कि मीडिया ने वास्तविक अर्थ में हेरफेर किया और इसे जालसाजी के साथ जोड़ा गया। उनकी याचिका में कहा गया है, अगर किसी ट्वीट को मीडिया में हेरफेर कर ब्रांडेड किया जाता है, तो इसका एक और सरल अर्थ है कि मीडिया प्रमाणित नहीं है और यह उन लोगों के लिए है, जो इसे देखते, पढ़ते हैं। इस पर सावधानी से भरोसा किया जाए। मामले में आगे की सुनवाई 10 जनवरी, 2022 को होगी।

पात्रा की पुनरीक्षण याचिका तीस हजारी कोर्ट के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ऋषभ कपूर द्वारा 23 नवंबर को उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देने के बाद आई है, जिसमें आम आदमी पार्टी की आतिशी की शिकायत पर विचार करने की अनुमति दी गई है। याचिकाकर्ता के अनुसार, आरोपी ने धोखे से और जानबूझकर मूल वीडियो को जाली बनाया और शिकायतकर्ता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ समाज के सदस्यों को उकसाने के इरादे से झूठे, मनगढ़ंत और छेड़छाड़ वाले वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया।

याचिका में कहा गया है कि चूंकि शिकायत में स्पष्ट रूप से सं™ोय अपराध का खुलासा हुआ है, इसलिए शिकायत प्राप्त करने वाले पुलिस अधिकारियों का यह परम कर्तव्य है कि वे कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज करें। याचिका में कहा गया है, वैसे भी, यह एक स्थापित कानून है कि जब भी सं™ोय अपराध के बारे में पुलिस अधिकारी के सामने सूचना रखी जाती है, तो उस पुलिस अधिकारी के पास तुरंत प्राथमिकी दर्ज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता।

(आईएएनएस)

Created On :   15 Dec 2021 8:00 PM IST

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