मप्र में कोरोना और किसान बने सियासी हथियार
भोपाल, 30 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश कोरोना के संक्रमण से जूझ रहा है तो वहीं किसानों की उपज की खरीदी का अभियान जारी है। इन दिनों यही दो मामले सियासी जंग में हथियार भी बन गए हैं। विपक्ष जहां सरकार पर हमलावर है, वहीं सरकार विपक्ष के हथियारों की धार को कमजोर करने में लगी है।
राज्य में सत्ता में बदलाव हुए एक माह से ज्यादा का वक्त गुजर गया है और सत्ता की कमान कांग्रेस के हाथ से छिटक कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हाथ में आ गई है। भाजपा के सत्ता में आने के समय ही राज्य में कोरोना ने दस्तक दे दी थी और वर्तमान में मालवा निमाड़ अंचल में कोरोना ने जमकर पैर पसारे हैं। सरकार की ओर से इन स्थितियों से निपटने के हर संभव प्रयास किए जाने के दावे किए जा रहे हैं। लॉक डाउन पर पूरी सख्ती से अमल किया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर ग्रीन जोन वाले इलाकों में राहत दी जा रही है।
एक तरफ कोरोना का कहर जारी है तो वहीं किसानों से उपज की खरीदी का सिलसिला भी शुरू हो गया है। सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है कि किसानों से अब तक 30 लाख मीट्रिक टन से अधिक की गेहूं की खरीदी हो चुकी है। उपज खरीदी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा पालन किया जा रहा है ताकि किसी तरह के संक्रमण के फैलने की आशंका को रोका जा सके।
कांग्रेस की ओर से कोरोना को नियंत्रित करने के लिए किए जा रहे प्रयास और खरीदी में गड़बड़ियों को लेकर सरकार पर हमले बोले जा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सीधे तौर पर भाजपा की सरकार पर हमलावर हैं और मुख्यमंत्री चौहान को कई पत्र भी लिख चुके हैं।
कमलनाथ का आरोप है, राज्य में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है और मौत का भी आंकड़ा बढ़ रहा है। वहीं सैंपल की पेंडेंसी की संख्या भी बढ़ती जा रही है, जो चिंताजनक है। इतना ही नहीं कोरोना से बचाव, सुरक्षा के लिए आवश्यक संसाधनों का भी अभाव नजर आ रहा है।
कमलनाथ ने फसल खरीदी में किसानों को आ रही परेशानी का भी जिक्र किया है। उनका आरोप है कि किसानों से खरीदी जा रही फसल की राशि में से ही कर्ज की राशि काटी जा रही है, वहीं दूसरी ओर किसानों पर दमनात्मक कार्यवाही भी हो रही है। पहले इसी सरकार ने अपने पूर्ववर्ती शासनकाल में किसानों के सीने पर गोली दागी थी, कपड़े उतरवाए थे और अब एक बार फिर यही सिलसिला शुरू हो गया है।
दूसरी ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना की भयावहता के लिए पूर्ववर्ती सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उनका आरोप है कि कमलनाथ की सरकार आइफा की तैयारी में लगी थी और राज्य में कोरोना आता गया जिस पर सरकार ने ध्यान ही नहीं दिया। अब स्थितियां सुधर रही है। सुखद सूचनाएं आ रही हैं। भोपाल व इंदौर में नमूनों के अनुपात में पॉजिटिव प्रकरणों की संख्या कम हो रही है, इंदौर और भोपाल में मरीजों की संख्या घट रही है। मृत्युदर भी कम हो रही है। साथ ही डिस्चार्ज होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
साथ ही मुख्यमंत्री चौहान का कहना है कि किसानों को उपार्जन में किसी तरह की परेशानी नहीं आने दी जाएगी। किसानों को एसएमएस के जरिए सूचनाएं दी जा रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि रबी उपार्जन के अंतर्गत किसानों द्वारा समर्थन मूल्य पर बेची गई उनकी फसल की राशि में से बैंक किसानों का बकाया ऋण की राशि का 50 प्रतिशत से अधिक न काटेंगे साथ ही, किसानों को तुरंत शासन की योजना अनुसार शून्य प्रतिशत ब्याज पर अगली फसल के लिये ऋण उपलब्ध कराएंगे।
राजनीतिक विश्लेषक साजी थॉमस का कहना है, कोरोना का संक्रमण तो है, मालवा इलाके में मरीज भी बढ़ रहे हैं। इसके जरिए सरकार को तो विपक्ष घेरेगा ही, वहीं किसानों को लेकर कांग्रेस इसलिए भी हमलावर है क्योंकि शिवराज खुद को किसान पुत्र बताते हैं। कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई है इसलिए हमले ज्यादा कर रही है, तो भाजपा और सरकार उससे बचाव के रास्ते खोजते हुए पूर्ववर्ती सरकार की कार्यप्रणाली का जिक्र कर जवाब दिए जा रही है। लॉक डाउन के कारण अभी कांग्रेस सड़क पर उतरने की स्थिति में नहीं है, लिहाजा बयानों से ही हमले हो रहे हैं और आगे भी होंगे।
Created On :   30 April 2020 6:30 PM IST