आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस विधान परिषद से बाहर, यूपी में कांग्रेस का अब तक का सबसे बुरा दौर!
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। हाल ही में हुए देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह हारने के बाद भले ही लगातार बैठक कर हार की समीक्षा और आगामी 2024-लोकसभा चुनाव की रणनीति पर मंथन कर रही हो। लेकिन उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने के बाद अब विधान परिषद सीट पर तलवार लटकती दिख रही है।
बताया जा रहा है कि आजादी के बाद कांग्रेस की हालत इतनी कभी खराब नहीं रही है। विधान परिषद में कांग्रेस को अपना वजूद बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। यूपी विधान परिषद में इस मौजूदा समय में कांग्रेस की एक सीट है, जो कि आगामी जुलाई माह में चली जाएगी। यूपी के उच्च सदन में कांग्रेस की राय रखने के लिए कोई एमएलसी नहीं बचेगा।
जाने वर्तमान विधान परिषद की स्थिति
उत्तर प्रदेश विधान परिषद में वर्तमान में दीपक सिंह कांग्रेस के एकमात्र सदस्य बचे हैं। इनका कार्यकाल भी आगामी जुलाई माह में पूरा हो जाएगा। इसके बाद कांग्रेस का विधान परिषद से भी सत्ता साफ हो जाएगा। कांग्रेस की यूपी में दिन ब दिन स्थिति खराब होती जा रही है। कांग्रेस से अच्छा प्रदर्शन क्षेत्रीय पार्टियां कर रही हैं। ये कांग्रेस के लिए चिंताजनक है।
विधान परिषद का गठन
गौरतलब है कि विधान परिषद का गठन आजादी के पहले अंग्रेजी हुकूमत के समय 1935 में किया गया था। ब्रिटिश सरकार ने भारत शासन अधिनियम 1935 के द्वारा संयुक्त प्रांत विधान परिषद की स्थापना की थी। उस समय उत्तर प्रदेश का नाम संयुक्त प्रांत और तब कुल 60 सदस्य हुआ करते थे। हालांकि वर्ष 1950 में इसे यूपी विधान परिषद बना दिया गया।
ऐसे चुने जाते हैं विधान परिषद सदस्य
1- 1/3 सदस्य स्थानीय निकाय से चुने जाते हैं
2- 1/3 सदस्य विधानसभा सदस्य से चुने जाते हैं
3- 1/12 सदस्य स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से चुने जाते हैं
4- 1/12 सदस्य अध्यापन पेशे में कार्य कर रहे लोग चुने जाते हैं
5- 1/6 लोगों को राज्यपाल मनोनीत करता है
Created On :   18 May 2022 6:35 PM IST