यूपी चुनाव में कांग्रेस गॉन केस, दो अंकों में आ पाना भी मुश्किल: एसपी सिंह बघेल
- यूपी चुनाव में कांग्रेस गॉन केस
- दो अंकों में आ पाना भी मुश्किल: एसपी सिंह बघेल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश में अगले साल होने वाले चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने तैयारी शुरू कर दी है। राज्य में रोज चुनावी सभाएं के साथ आरोप-प्रत्यारोपों का दौर भी जारी है। ऐसे में यूपी चुनाव से पहले केंद्रीय कानून व न्याय राज्य मंत्री एवं आगरा के सांसद प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने कांग्रेस की मौजूदा स्थिति और अखिलेश यादव की रैली में भीड़ को लेकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि, कांग्रेस का यूपी में गॉन केस है। उनके लिए दो अंकों में आ पाना भी मुश्किल है।
उत्तरप्रदेश चुनाव में कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी लगातार जनसभाएं कर कांग्रेस को फिर से मजबूत करने में जुटी हुईं हैं। इस पर केंद्रीय कानून व न्याय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल ने आईएएनएस से खास बातचीत कर कहा, उत्तरप्रदेश चुनाव में कांग्रेस का गॉन केस है। मुझे नहीं लगता कि यूपी कांग्रेस दो अंकों में भी आ पाएगी। राहुल गांधी अमेठी जैसी परम्परागत सीटें जो कई वर्षों से वह नहीं हारे, वो हार गए। प्रियंका गांधी जब भी दिल्ली से उड़ती थी तो फुर्सतगंज हवाई अड्डे पर ही उतरती थी। वह हमेशा अपनी भाई और मां की सीटों पर जाती थीं, वहीं राहुल के केरल में जाकर चुनाव लड़ने का मतलब भी यही था कि वह समझ गए थे और कि अब अमेठी में खतरा है
दरअसल उत्तरप्रदेश के 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बहुमत हासिल कर सत्ता पर कब्जा जमाया, उस दौरान बीजेपी ने 312 सीटें, समाजवादी पार्टी 47 सीटें और बसपा को 19 सीटें जीती थी। वहीं कांग्रेस को सिर्फ सात सीटों से संतोष करना पड़ा था।
उन्होंने यूपी पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सभाओं में भीड़ उमड़ने पर भी तंज कसते हुए कहा कि, भीड़ को वोट में बदलना अलग बात होती है। उनके 15- 20 जिलों के समर्थक- प्रशंसक अखिलेश के साथ उनकी रैली में पहुंच रहे हैं। हर विधानसभा पर 15 -20 लोग टिकट मांगते हैं तो जितने भी लोगों को टिकट चाहिए, उनको शक्ति-प्रदर्शन करने का यह अच्छा मौका होता है।
उन्होंने आगे कहा कि, 2019 के लोकसभा चुनाव में भी खूब भीड़ हुई लेकिन घर की भी दो-तीन सीटों को खोना पड़ा था।
यूपी में भाजपा की क्या स्थिति है? इस सवाल के जवाब उन्होंने बताया कि, हम यूपी सरकार की लोक कल्याण नीति और अन्य तमाम योजनाओं को जनता के बीच में लेकर जाएंगे और निश्चित तौर से फिर कमल खिलाएंगे।
ग्रामीण इलाकों में भाजपा को लेकर काफी गुस्सा है, उसे कैसे संभाल पाएंगे? इस बारे में पूछने पर भघेल ने कहा, 2014 में 73 सांसदों का जीतना अहम बात थी, उसके बाद 2017 में पूर्ण बहुमत की सरकार आई, शहर से जितना अच्छा समर्थन मिला, उससे ज्यादा गांव, देहात में भी मिला था।
यूपी में अखिलेश यादव छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन कर रहें है, इससे कोई खतरा ? इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि, 2019 में लोकसभा चुनाव में सबसे मजबूत गठबंधन उत्तरप्रदेश की दो बड़ी पार्टियां सपा बसपा और लोकदल में हुआ। इसके बावजूद राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया रहे अजित सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी को अपनी सीटें गवानी पड़ी।
इसके अलावा, फिरोजाबाद में अक्षय यादव, बंदायू की धर्मेंद्र यादव की परंपरागत सीटें को भी गवानी पड़ी थी। यह वो सीटें थी कि जबसे पार्टी बनी तब से जीत रहे थे, इसलिए हम गठबंधन को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हैं।
उन्होंने आगे कहा कि, अखिलेश यादव ऐसा करने से मनोवैज्ञानिक दबाब बनाने की कोशिश कर रहें हैं, लेकिन यदि उनके पास ओम प्रकाश राजभर है तो हमारे पास भी केबिनेट मंत्री अनिल राजभर है। उनके पास अनुप्रिया पटेल की माँ कृष्णा पटेल है तो अनुप्रिया पटेल और संतोष गंगवार जैसे बड़े नेता हमारे यहाँ हैं।
2017 विधानसभा चुनाव से पहले साल 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने यूपी में 224 सीटें जीती थीं। मायावती की पार्टी बीएसपी को 80 सीट तो वहीं बीजेपी ने 47 सीटों पर जीत दर्ज की थी। हालांकि कांग्रेस उस चुनाव में भी 28 सीटें जीत पाई थीं। लेकिन अब देखना दिलचस्प होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी एक बार फिर से सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती है या नहीं?
आईएएनएस
Created On :   21 Dec 2021 12:30 PM IST