एनडीए की बैठक में पहुंचे चिराग पासवान- लेकिन फिर भी एनडीए के साथ नहीं होने का किया दावा

Chirag Paswan reached NDA meeting - but still claimed not to be with NDA
एनडीए की बैठक में पहुंचे चिराग पासवान- लेकिन फिर भी एनडीए के साथ नहीं होने का किया दावा
नई दिल्ली एनडीए की बैठक में पहुंचे चिराग पासवान- लेकिन फिर भी एनडीए के साथ नहीं होने का किया दावा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने की प्रैक्टिस करने के लिए रविवार को संसद भवन परिसर में एनडीए सांसदों को मॉक ड्रिल बैठक के लिए बुलाया गया था। इस बैठक में भाजपा और उसके सभी सहयोगी दलों के सांसद पहुंचे थे। बैठक में शामिल होने वाले सांसदों में से सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम चिराग पासवान का रहा जो वर्तमान में अपने आपको एनडीए का हिस्सा नहीं बताते हैं।

रविवार को एनडीए सांसदों की मॉक ड्रिल बैठक में शामिल होने के बावजूद एक बार फिर से चिराग पासवान ने यह दावा किया कि वो एनडीए में शामिल नहीं हैं और चुनाव आने पर ही यह फैसला करेंगे कि उनकी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी ( राम विलास) किस पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ेगी।

एनडीए सांसदों की बैठक में शामिल होने के बाद बाहर आए चिराग पासवान ने कहा कि समाज की सबसे वंचित वर्ग ( अनुसूचित जनजाति ) की महिला देश की सर्वोच्च कुर्सी की दावेदार हैं और कल ( सोमवार) को उसके लिए मतदान होगा तो हमने भी उनका समर्थन किया है और चुनाव के प्रक्रिया की जानकारी के बारे में बताने के लिए आज की यह बैठक (एनडीए सांसदों की) बुलाई गई थी।

लेकिन जब चिराग पासवान से यह पूछा गया कि आप एनडीए सासंदों की बैठक में शामिल होकर आए हैं , तो क्या आप अभी एनडीए का हिस्सा हैं ? तो इस सवाल का जवाब ना में देते हुए उन्होने कहा कि , एक बैठक में शामिल होने से यह कतई नहीं माना जाए कि मैं इस गठबंधन ( एनडीए ) का हिस्सा हूं।

चिराग ने आगे कहा कि, लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) पूरी तरह से अपने संगठन और जनाधार को मजबूत करने में लगी हुई है। उन्होने कहा कि उनकी पार्टी 2024 का लोक सभा चुनाव और 2025 का बिहार विधान सभा चुनाव गठबंधन करके ही लडेगी लेकिन किसके साथ गठबंधन करेगी , इसका खुलासा वे चुनाव के समय ही करेंगे। उन्होने कहा कि आज की तारीख में वो न तो एनडीए के साथ है , न ही यूपीए के साथ है और न ही महागठबंधन के साथ। हालांकि इसके साथ ही उन्होने उपराष्ट्रपति पद के लिए भी एनडीए उम्मीदवार को ही वोट देने का ऐलान किया।

चिराग एक जमाने में अपने पिता द्वारा बनाई गई पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उसके संसदीय दल के नेता हुआ करते थे। 2020 में बिहार में हुए विधान सभा चुनाव में अपने आपको मोदी का हनुमान बताते हुए नीतीश कुमार की वजह से चिराग ने एनडीए गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ा और बुरी तरह से हार गए। चुनावी नतीजे सामने आने के बाद कम सीटों के बावजूद नीतीश कुमार भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए और उसके बाद चिराग पासवान की मुश्किलें बढ़ती चली गई। चिराग पासवान पर पार्टी को बर्बाद करने का आरोप लगाते हुए उनके चाचा पशुपति पारस ने पार्टी और संसदीय दल दोनों पर ही अपना अधिकार जमा लिया। पारस गुट को ही लोकसभा में असली लोजपा के रूप में मान्यता मिली और वर्तमान में पशुपति पारस एनडीए के घटक दल के नेता के तौर पर मोदी सरकार में मंत्री हैं।

हालांकि चुनाव आयोग के फैसले के बाद पशुपति पारस और चिराग पासवान, दोनों के राजनीतिक दल का नाम बदल गया है। केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस, वर्तमान में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तो वहीं चिराग पासवान ने अपनी नई पार्टी का नाम लोक जनशक्ति पार्टी ( राम विलास) रखा है।

 

आईएएनएस

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Created On :   17 July 2022 11:30 PM IST

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