भाजपा की अनुशासन समिति को अंदरूनी कलह रोकने के लिए और अधिकार दिए गए
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पार्टी के भीतर आंतरिक दरार को नियंत्रित करने और आम लोगों पर इसके नकारात्मक प्रभाव को रोकने के प्रयास में, भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य इकाई को अधिक शक्ति और अधिकार प्रदान किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व के अनुसार पार्टी रैंक और फाइल में अनुशासन की प्रक्रिया को तेज करने के लिए ये अतिरिक्त शक्तियां राज्य इकाई में निहित हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, केंद्रीय नेतृत्व बहुत सी चीजों में व्यस्त है और कभी-कभी पार्टी के भीतर कुछ अनुशासनहीनता पर कार्रवाई करने में बहुत समय लगता है। स्वाभाविक रूप से नुकसान और दरार बढ़ जाती है जिससे पार्टी की छवि को अपूरणीय क्षति होती है। इसलिए केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि राज्य इकाई तुरंत कार्रवाई करे और आलाकमान की सहमति का इंतजार न करे।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने अनुशासन समिति के सदस्यों को निर्देशों की एक सूची भेजी है जिसमें कहा गया है कि अनुशासन समिति को अब पार्टी विरोधी गतिविधियों का सहारा लेने वाले पार्टी नेताओं के खिलाफ तत्काल और सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की पूरी छूट होगी। अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए अनुशासन समिति को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। अनुशासन समिति के एक वरिष्ठ अध्यक्ष ने कहा, हालांकि, अनुशासनात्मक कार्रवाई राज्य अध्यक्ष से अनुमोदन के अधीन होगी। हमें इस मामले में केंद्रीय नेतृत्व को सूचित करना होगा। इस तरह के गुटबाजी के बारे में जिलों से कई शिकायतें मिली थीं। हम जल्द ही उनकी समीक्षा करेंगे। यह निर्णय राज्य के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष और अनुभवी नेता और त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय के बीच कड़वे वाकयुद्ध के बीच आया है। इतना ही नहीं, पार्टी ने हाल ही में हावड़ा सदर के अध्यक्ष सुरजीत साहा को विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ खुलकर बोलने के लिए निष्कासित कर दिया है। साहा के खिलाफ सांगठनिक अनुशासन का उल्लंघन करने के आरोप में बुधवार को प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष प्रताप बनर्जी के हस्ताक्षर वाला निष्कासन पत्र जारी किया गया।
(आईएएनएस)
Created On :   14 Nov 2021 2:30 PM IST