भाजपा की द्रौपदी मुर्मू के जरिए आदिवासी हितैषी मुखौटा लगाने की कोशिश - तिवारी

BJP trying to put on tribal friendly mask through Draupadi Murmu - Tiwari
भाजपा की द्रौपदी मुर्मू के जरिए आदिवासी हितैषी मुखौटा लगाने की कोशिश - तिवारी
राष्ट्रपति चुनाव 2022 भाजपा की द्रौपदी मुर्मू के जरिए आदिवासी हितैषी मुखौटा लगाने की कोशिश - तिवारी

डिजिटल डेस्क, रायपुर। राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए ने आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाकर भाजपा द्वारा खुद को आदिवासी हितैषी बताने पर कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव राजेश तिवारी ने हमला बोला है और कहा है कि भाजपा आदिवासी विरोधी नीति अपना रही है, जंगलों को निजी हाथों में बेचने का षड्यंत्र रच रही है, अब इससे आम लोगों का ध्यान हटाने के लिए द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाकर आदिवासी हितैषी होने का मुखौटा लगाने का प्रयास कर रही है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव तिवारी ने एक बयान जारी कर करते हुए राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू से सवाल पूछा है कि क्या वे केंद्र सरकार की आदिवासी नीतियों का विरोध करेंगी अथवा पिंजरे में कैद पक्षी की तरह शोपीस बनी रहेंगी।

कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव तिवारी ने जानना चाहा है कि अनुसूचित जाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी अधिनियम 2006 जिससे जनसामान्य की भाषा में वन अधिकार अधिनियम 2006 के रूप में जाना जाता है। इस अधिनियम में जो प्रावधान किए गए थे हैं, क्या राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार इससे सहमत हैं। इतना ही नहीं हाल ही में मोदी सरकार द्वारा जारी नियमों के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा कुछ खास लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए निर्णय लिए हैं क्या उनका विरोध करेंगी।

तिवारी ने केंद्र की मोदी सरकार के जनजातीय वर्ग और वनवासी परिवारों के खिलाफ नीतियां बनाने का आरोप लगाते हुए कहा, पहले जंगल से लकड़ी लाने पर पांच सौ रुपये का जुर्माना देना पड़ता था, लेकिन नए कानून के मसौदे में इसे बढ़ाकर 10 हजार कर दिया गया है साथ ही दूसरी बार पकड़े जाने पर यह जुर्माना एक लाख तक भी हो सकता है।

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आदिवासियों के हित में किए जा रहे कामों का जिक्र करते हुए तिवारी ने कहा कि भाजपा की प्रदेश में 15 साल तक सरकार थी, मगर यहां पैसा का नियम नहीं बनाया। कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने पेशा कानून के नियम बना लिए हैं, राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बताएं कि वे पेसा कानून का भी समर्थन करती हैं या नहीं।

भाजपा और एनडीए द्वारा मुर्मु के आदिवासी होने का हवाला देकर वोट मांगने को लेकर तिवारी का कहना है कि सिर्फ किसी जाति विशेष का होने से उस जाति का भला नहीं होता, बल्कि उस वर्ग के प्रति सोच व उनके विकास के लिए बनने वाली योजनाएं एवं उनका क्रियान्वयन करने वाला व्यक्ति होना चाहिए।

 

आईएएनएस

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Created On :   14 July 2022 9:00 PM IST

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