चुनाव से पहले कथावाचकों का शक्ति प्रदर्शन, कहीं संतों का मेला, कहीं लंबा ट्रैफिक जाम, कहीं सजा दरबार, क्या ऐसा होगा सियासी बेड़ा पार?
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। लेकिन हर बार की तरह इस बार प्रदेश की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। दरअसल, पहले राजनीति धर्म के विषय पर होती थी लेकिन अब धर्म गुरू खुद राजनैतिक मुद्दों को हवा दे रहे हैं। यही वजह की बड़े से बड़ा राजनेता भी इन धर्म गुरूओं के दरबार में माथा टेकने के लिए पहुंच रहा है।
मध्यप्रदेश की सियासत में अमूमन ये देखा गया है कि राजनेता अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए धर्म गुरूओं का फायदा उठाते हैं, लेकिन इस बार लगता है पुरानी परंपरा बदल गई है। अब धर्म गुरू खुद राजनीति को दिशा देने का काम कर रहे हैं।
पिछले दिनों अपने चमत्कारों को लेकर सुर्खियों में रहे बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, कथावाचक प्रदीप मिश्रा और पंडोखर सरकार ऐसे नाम हैं जिनसे नजदीकी बनाकर राजनेता उनसे जुड़े लाखों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं। लेकिन अब राजनैतिक परिदृश्य बदल गया है पहले के मुकाबले राजनैतिक रूप से अधिक जागरूक हुए यह धर्म गुरू अब राजनीति को दिशा देने का काम कर रहे हैं।
भव्य धार्मिक आयोजन के जरिए कर रहे शक्ति प्रदर्शन
प्रदेश के विधानसभा चुनाव होने में अब लगभग 8 महीने का समय बचा है। ऐसे में प्रदेश के इन तीनों पॉपुलर धर्म गुरूओं द्वारा चुनावों से पहले बड़े धार्मिक आयोजन कर शक्ति प्रदर्शन किया जा रहा है।
सबसे पहले बात करते हैं छतरपुर के गड़ा गांव स्थित बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की, जो कि धाम में धार्मिक महाकुंभ का आयोजन करा रहे हैं। हिंदू राष्ट्र के संकल्प के लिए महायज्ञ कराया जा रहा है। 7 दिनों के इस आयोजन में आम लोगों के साथ दिग्गज राजनेता भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। हाल ही में एमपी कांग्रेस प्रमुख कलमनाथ भी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। कहा जा रहा है कि प्रदेश में चल रही बीजेपी की विकास यात्रा के साथ सीएम शिवराज सिंह चौहान भी आने वाले दिनों बागेश्वरधाम पहुंच सकते हैं। दरअसल, राजनेताओं के यहां पहुंचने की बड़ी वजह बागेश्वरधाम के लाखों भक्त हैं जिन्हें वो अपने वोट बैंक के रूप में देखते हैं। नेताओं के इस तरह बागेश्वरधाम पहुंचकर माथा टेकना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि आने वाले चुनावों में बागेश्वर धाम के दरबार से कई अहम निर्देश जारी हो सकते हैं जो कि चुनाव के परिणाम को काफी हद तक प्रभावित कर सकते हैं।
अब बात करते हैं कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की जो कि सीहोर जिले में स्थित कुबेरेश्वर धाम में रूद्राक्ष महोत्सव की आयोजन करा रहे हैं। 7 दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में लाखों की संख्या में श्रृद्धालु पहुंचना शुरू हो चुके हैं। आज (गुरुवार) से शुरू होने वाले इस महोत्सव में इतनी भीड़ पहुंच रही है कि भोपाल-इंदौर हाईवे पर 27 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। लाखों की संख्या में पहुंची भीड़ के आगे सारी व्यवस्था चौपट हो गई। भीड़ की वजह से कार्यक्रम स्थल के आसपास लगे बैरिकेट टूट गए। कई जगह भगदड़ जैसा माहौल पैदा हो गया। चारों तरफ फैली अफरा-तफरी के कारण महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे बुरी तरह प्रभावित हुए। चोट और उल्टियों के चलते करीब 2 हजार लोग अस्पताल पहुंच गए।
इस महोत्सव में आम लोगों के साथ सियासी दिग्गजों के पहुंचने की भी पूरी संभावना है। आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए सभी दल इस आयोजन में अगर उपस्थिति दर्ज कराएं तो हैरानी की बात नहीं होगी।
इस सूची में अंतिम नाम संत गुरूशरण महाराज यानी पंडोखर सरकार का आता है, जिनका दरबार बीते दिनों प्रदेश की राजधानी भोपाल में लगा था। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के जैसे यह भी पर्चे पर लिखकर लोगों की समस्याओं को जानने और उनका निवारण करने की बात करते हैं। सभी जगह की तरह उनके इस दरबार में भी लोग लाखों की संख्या में पहुंचे थे। आम लोगों के साथ यहां राजनीति जगत से जुड़े दिग्गजों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। वैसे पंडोखर सरकार का दखल पिछले विधानसभा चुनाव में भी देखा गया था।
राजनीति में बढ़ा प्रभाव
इन तीनों ही धर्म गुरूओं का हाल ही में प्रदेश की राजनीति में प्रभाव बढ़ा है। राजनीतिक दल भी इनके सहारे आगामी चुनावों में अपनी संभावना तलाश रहे हैं, जिसका अंदाजा शायद धर्मगुरूओं ने भी बखूबी लगा लिया है। यही वजह है कि बड़े-बड़े धार्मिक आयोजन कर यह सभी धर्म गुरू अपना शक्ति प्रदर्शन करना चाहते हैं ताकि आम लोगों के साथ सियासतदानों के बीच उनका प्रभाव बढ़ सके। इनकी तरफ से राजनीतिक मुद्दों को भी बखूबी उठाया जा रहा है, चाहे वो जातिगत जनगणना हो या सनातन बोर्ड की स्थापना के लिए सरकार से की गई मांग, प्रदेश के राजनीतिक दलों द्वारा इन पर प्रमुखता से प्रतिक्रिया दी जा रही है। हालांकि चुनावों में धर्मगुरूओं का आशीर्वाद किस दल को मिलेगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
Created On :   16 Feb 2023 5:20 PM IST