अशोक गहलोत हो सकते हैं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष! जानिए किस तरह फिर खड़ी हो सकती है बिखरी हुई कांग्रेस
डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, राजा वर्मा। कांग्रेस के नए अध्यक्ष चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस के नेता इस बार अध्यक्ष के लिए गांधी परिवार से अलग किसी और नेता के हाथों पर पार्टी कमान सौंपना चाहते हैं। अगले महीने 20 सितंबर तक पार्टी चुने जाने की डेड लाइन तय की है।
सूत्रों की माने तो राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने की खबरें भी थी लेकिन राहुल ने साफतौर पर मना कर दिया है। इसके बाद से ही माना जा रहा है कि कांग्रेस का अध्यक्ष गैर गांधी परिवार से होगा। कांग्रेस के वरिष्ट नेता और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का नाम सबसे आगे है। इसी बीच सोनिया गांधी ने मंगलवार को राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत से मुलाकात की है। बुधवार को सोनिया-राहुल-प्रियंका एक साथ विदेश के लिए रवाना हुए हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर कई नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं लेकिन अभी तक किसी भी नेता ने इस पद के लिए दावेदारी पेश नहीं की है। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की गहलोत के साथ मुलाकात होने के बाद से माना यह जा रहा है कि सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत पार्टी अध्यक्ष के पद को संभालने का आग्रह किया। हालांकि गहलोत ने कहा है कि वह इस बारे में नहीं जानते है उन्हें इस बात की जानकारी मीडिया से हुई है। गहलोत ने कहा कि पार्टी ने जो जिम्मेदारी उनको दी है वह उसको पूरा कर रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष के लिए वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, मीरा कुमार, केसी वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक और कमलनाथ के के नाम भी चर्चा है। लेकिन कांग्रेस में अशोक गहलोत के नाम की चर्चा तेजी से हो रही है कांग्रेस आलाकमान भी यही चाहती है और इसके पीछे के कुछ कारण यह भी दिखाई दे रहे हैं।
अशोक गहलोत ही क्यों?
कांग्रेस को अध्यक्ष पद के लिए ऐसे नेता का चयन करना है जिसके नाम पर कांग्रेस के सभी नेता आसानी से मान जाए क्योंकि कांग्रेस में एक गुट ऐसा भी है जो पार्टी के कई फैसलों से नाराज चल रहा है। पार्टी चाहेगी कि नया कांग्रेस अध्यक्ष जो बने वह इन नेताओं को साथ में लेकर पार्टी को मजबूती से आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने में मदद कर सके। जिसमें राजस्थान के तीसरी बार सीएम बने अशोक गहलोत एकदम फिट बैठते हैं।
भरोसेमंद और राजनैतिक अनुभवी
कांग्रेस आलाकमान चाहेगा कि जो भी कांग्रेस का अध्यक्ष बने वह पार्टी का भरोसेमंद और राजनैतिक रूप से अनुभवी हो और अशोक गहलोत इस मामले में भी पीछे नहीं है। 2013 में हार का सामना करने के बाद 2018 में कांग्रेस को जीत मिली और अशोक गहलोत तीसरी बार सीएम बने। हालांकि सीएम पद के प्रबल दावेदार रहे सचिन पायलट ने बाद में बगावत भी की लेकिन पार्टी आलाकमान चट्टान की तरह गहलोत के साथ खड़ा रहा।
मध्यप्रदेश में जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत की वजह से कांग्रेस के नेतृत्व वाली कमलनाथ की सरकार को गिरा दिया था। ठीक उसी तरह की स्थिति राजस्थान में भी पैदा हुई थी और बीजेपी मध्यप्रदेश के तरह ही यहां पर भी कमल खिलाने का सपना देखने लगी थी। लेकिन अशोक गहलोत का राजनैतिक अनुभव ही था जिसने बीजेपी के सपनों पर पानी फेर दिया था। गहलोत सोनिया गांधी के करीबी नेताओं में से एक है। गहलोत इंद्रिरा गांधी,राजीव गांधी और पीवी नरसिंह राव की सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं।
गहलोत के अध्यक्ष बनते ही राजस्थान में पार्टी की अंतर्कलह हो सकती है दूर!
सूत्रों की माने तो कांग्रेस आलाकमान पार्टी अध्यक्ष के लिए अशोक गहलोत के नाम पर मुहर लगा सकता है। राजनैतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस अशोक गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाती है तो इससे राजस्थान में सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत के बीच सीएम पद को लेकर जो गतिरोध है उसको खत्म किया जा सकता है। दरअसल राजस्थान में 2018 के चुनाव में मिली कांग्रेस को जीत के बाद सचिन पायलट के समर्थक उनको सीएम बनाना चाहते थे लेकिन पार्टी आलाकमान ने अशोक गहलोत को सीएम बनाया। इसके बाद से ही राज्य में कई बार सचिन पायलट के बगावती तेवर भी सामने आ चुके हैं। राज्य में 2023 में विधानसभा चुनाव होना है। माना यह जा रहा है कि पार्टी का एक गुट 2023 में होने वाले विधान सभा चुनाव में सचिन पायलट को सीएम चेहरा घोषित करवाना चाहता है। ऐसे में पार्टी अगर अशोक गहलोत को पार्टी अध्यक्ष बनती है तो राजस्थान पार्टी के बीच मची आपसी खींचतान को समाप्त किया जा सकता है और कांग्रेस को एक अनुभवी नेता अध्यक्ष के तौर पर भी मिल सकता है।
Created On :   24 Aug 2022 1:54 PM GMT