अन्नाद्रमुक और द्रमुक ने नीट प्रवेश परीक्षा के मुद्दे को शहरी निकाय चुनाव में उठाया

AIADMK and DMK raised the issue of NEET entrance exam in urban body elections
अन्नाद्रमुक और द्रमुक ने नीट प्रवेश परीक्षा के मुद्दे को शहरी निकाय चुनाव में उठाया
तमिलनाडु अन्नाद्रमुक और द्रमुक ने नीट प्रवेश परीक्षा के मुद्दे को शहरी निकाय चुनाव में उठाया
हाईलाइट
  • द्रमुक पर आरोप
  • नीट परीक्षा रद्द करने के वादे के साथ सत्ता हथिया ली

डिजिटल डेस्क, चेन्नई। तमिलनाडु में हो रहे शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) और विपक्षी पार्टी अन्नाद्रमुक ने एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा नीट को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाकर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की है।

तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता और अन्नाद्रमुक के समन्वयक, ई के. पलानीस्वामी ने सलेम नगर निगम चुनावों में पार्टी उम्मीदवारों और जनता को संबोधित करते हुए द्रमुक पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी ने नीट परीक्षा रद्द करने के वादे के साथ सत्ता हथिया ली थी। पलानीस्वामी ने यह भी कहा कि सत्ता में आने के बाद द्रमुक नीट को खत्म करने के लिए कुछ नहीं कर पाई। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने विपक्ष के नेता के तौर पर तमिलनाडु के लोगों से वादा किया था कि वह पद ग्रहण करते ही नीट को समाप्त करने के लिए फाइल पर हस्ताक्षर करेंगे, लेकिन द्रमुक के सत्ता में आने के बाद मई 2021 के बाद से कुछ भी नहीं किया गया है।

अन्नाद्रमुक नेता ने कहा कि द्रमुक वह राजनीतिक दल है जो राज्य के लोगों से उन वादों के साथ झूठ बोलता है जिन्हें वह पूरा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि यह केंद्र की कांग्रेस सरकार थी जिसने नीट की शुरूआत की थी और तब गुलाम नबी आजाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री थे। उन्होंने यह भी कहा कि यह अन्नाद्रमुक ही थी जिसने तमिलनाडु में नीट परीक्षा को रोका था, लेकिन बाद में इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लागू किया गया।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्नाद्रमुक ने सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए 7.5 प्रतिशत आंतरिक आरक्षण लागू किया था और इससे वंचित छात्रों को तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पाने में मदद मिली थी। उन्होंने कहा कि द्रमुक ने राज्य में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए कुछ नहीं किया है। अन्नाद्रमुक के सरकार के खिलाफ जोरदार प्रहार के बावजूद मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने रविवार को कोयंबटूर में एक वर्चुअल रैली को संबोधित करते हुए कहा कि नीट लागू करना लोगों को उनकी सामाजिक स्थिति के आधार पर शिक्षा से वंचित करने की एक नई साजिश थी। उन्होंने कहा कि द्रमुक पर नीट का राजनीतिकरण करने की कोई बाध्यता नहीं है और केंद्र की भाजपा सरकार बहुत सारी जनविरोधी नीतियों का पालन कर रही है जिनका विरोध करने की आवश्यकता है।

स्टालिन ने कहा कि भाजपा सरकार ने 2016 में देश में नीट को लागू किया था और तमिलनाडु को एक साल के लिए इससे छूट दी गई थी क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय जयललिता ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा कि अगर वह विरोध जारी रहता तो नीट समाप्त हो जाता, लेकिन अन्नाद्रमुक सरकार ने हार मान ली थी और राज्य की सभी समस्याओं के लिए मार्ग प्रशस्त कर दिया।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा नीट के खिलाफ विधेयक वापस करने के बाद तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार विधानसभा में एक और प्रस्ताव पारित कर सकती थी। स्टालिन ने कहा कि द्रमुक की वर्तमान सरकार में प्रस्ताव को फिर से अपनाने का साहस है और वह विधेयक को राज्यपाल को फिर से भेजेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि द्रमुक सरकार ने राज्य के लोगों से किए गए अपने वादों का 75 प्रतिशत एक साल पहले ही लागू कर दिया है। उन्होंने कोयंबटूर के लोगों से 19 फरवरी को होने वाले शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में द्रमुक उम्मीदवारों को विजयी बनाने का आह्वान किया है।

 

(आईएएनएस)

Created On :   7 Feb 2022 1:01 PM IST

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