किसान आंदोलन: दिल्ली में 14 मार्च को प्रस्तावित ‘किसान महापंचायत’ में 400 से अधिक किसान संघ लेंगे भाग : एसकेएम

दिल्ली में 14 मार्च को प्रस्तावित ‘किसान महापंचायत’ में 400 से अधिक किसान संघ लेंगे भाग : एसकेएम
  • तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन
  • एमएसपी की कानूनी गांरटी, कृषि ऋण माफ करने की मांग
  • मांगों के समर्थन में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बीते दिन 2 मार्च शनिवार को कहा कि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सहित अन्य मांगों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए 14 मार्च को दिल्ली में ‘किसान महापंचायत’ में 400 से अधिक किसान संघ भाग लेंगे।

सरकारी समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा के मुताबिक एसकेएम ने कहा कि उसने संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) को एक प्रस्ताव भेजा है जिसमें सभी किसान संघों और संगठनों के बीच मुद्दा-आधारित एकता की अपील की गई है। इस बीच, किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने कहा कि किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन जारी रखेंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा ने 2020-21 में केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था। यह एमएसपी की कानूनी गांरटी, कृषि ऋण माफ करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन का भी नेतृत्व कर रहा है। एसकेएम में शामिल 37 किसान संघों ने दिल्ली के रामलीला मैदान में अपनी प्रस्तावित ‘महापंचायत’ को लेकर शनिवार को एक बैठक की। भारती किसान यूनियन (लखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह लखोवाल ने संवाददाताओं से कहा कि किसान अपनी मांगों को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संघर्ष जारी रखते हुए यह निर्णय लिया गया कि 14 मार्च को राष्ट्रीय राजधानी में एक ‘महापंचायत’ आयोजित की जाएगी। किसान नेताओं ने कहा कि देश भर से 400 से अधिक किसान संघ ‘महापंचायत’ में हिस्सा लेंगे। उन्होंने बताया कि किसान प्रतिनिधि ट्रैक्टर ट्रॉली से नहीं, बल्कि बसों और रेलगाड़ियों से दिल्ली जाएंगे।

उन्होंने कहा कि वे सभी फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी और 2020-21 के आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। एसकेएम ने 22 फरवरी को घोषणा की थी कि वह दिल्ली में ‘महापंचायत’ आयोजित करेगी। इस बीच, किसान नेताओं ने शुभकरण सिंह की मौत के मामले में पंजाब पुलिस द्वारा दर्ज की गई ‘जीरो’ प्राथमिकी को भी खारिज कर दिया। पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी सीमा पर 21 फरवरी को हुई झड़प में शुभकरण सिंह की मौत हो गई थी और लगभग 12 पुलिसकर्मी घायल हो गए।

न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार 82 वर्षीय सिरसा ने कहा कि किसान अपनी मांगों के समर्थन में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार कब तक सड़कों को बंद रखेगी, अंततः उन्हें इस मुद्दे को समाधान करना होगा। सिरसा ने कहा क्या ऐसा कुछ है जिसका कोई समाधान नहीं है? जिन मांगों को लेकर हम आंदोलन कर रहे हैं वे पुरानी हैं। उन्होंने कहा सरकार को फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी देनी चाहिए। किसान नेता ने सवाल किया, ‘‘अगर किसानों को उनकी उपज के लिए एमएसपी नहीं मिलेगा, तो वे कहां जाएंगे? उन्होंने कहा अगर उद्योगों के हजारों करोड़ रुपये के ऋण माफ किए जा सकते हैं, तो किसानों और खेत मजदूरों के क्यों नहीं? सिरसा ने कहा कि किसान पिछले कई दिनों से पंजाब-हरियाणा की शंभू और खनौरी सीमा पर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा हम उनमें से नहीं हैं जिन्होंने सड़कें अवरूद्ध की हैं। अगर हरियाणा सरकार ने हमारे दिल्ली चलो मार्च को रोकने के लिए अवरोधक लगाए हैं, तो हम भी शांतिपूर्वक बैठे हुए हैं और अपना आंदोलन जारी रखे हुए हैं।

एसकेएम ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि 22 फरवरी, 2022 को चंडीगढ़ में किसान संगठन की एक आम बैठक में गठित छह सदस्यीय समिति द्वारा अनुमोदित आठ सूत्री प्रस्ताव को एक मार्च को एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम के प्रतिनिधियों को सौंपा गया था।

Created On :   3 March 2024 11:26 AM IST

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