महाराष्ट्र चुनाव रिजल्ट 2024: कमजोर नेतृत्व... गुटबाजी और प्रभावहीन चुनाव प्रचार तक, ये हैं महाविकास अघाड़ी की हार के सबसे बड़े कारण
- चुनाव में महायुति की बंपर जीत
- भारी बहुमत के साथ की सत्ता में वापसी
- महाविकास अघाड़ी को मिली करारी शिकस्त
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के नतीजे अब लगभग स्पष्ट हो चुके हैं, जिसमें बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित गुट) के गठबंधन ने 233 सीटें जीतकर भारी बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद गुट) के गठबंधन महाविकास अघाड़ी को करारी शिकस्त मिली है। गठबंधन केवल 49 सीटें ही जीत पाया।
भाजपा नीत महायुति गठबंधन की जीत की ऐसी आंधी चली कि पूर्व मुख्यमंत्री और खुद को असली शिवसेना बताने वाले उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार की राजनीति जल से हिल गई। हालत यह हो गई है कि महाविकास अघाड़ी के कई दिग्गज नेता विपक्ष के नेता बनने लायक भी नहीं रह गए हैं। ऐसे में आइए जानने की कोशिश करते हैं उन कारणों को जिसकी वजह से महायुति को इतनी बड़ी जीत मिली और महाविकास अघाड़ी को इतनी बुरी हार मिली।
गुटबाजी
महाविकास अघाड़ी की हार का प्रमुख कारण रहा गुटबाजी और सीटों के बंटवारे को लेकर अंदरूनी कलह। गठबंधन में शामिल दलों के बीच शीट शेयरिंग इतना मतभेद हुआ कि सबकुछ जनता के सामने आ गया। वहीं दूसरी तरफ महायुति ने देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे की जोड़ी के साथ जमीनी स्तर पर पूरी ताकत से काम किया। सत्ताधारी गठबंधन की जीत उसकी ताकत और एकता को दर्शाता है। महायुति के नेताओं ने जनता के सामने किसी भी मतभेद को उजागर नहीं किया और अंदरखाने ही सारे विवाद और असहमति का हल निकाल लिया।
एमवीए में नेताओं के बीच समन्वय की कमी भी देखी गई जिससे उसके कार्यकर्ता हतोत्साहित हो गए। जिसका असर चुनाव प्रचार पर पड़ा।
कमजोर नेतृत्व
कांग्रेस में मजबूत नेतृत्व का कमी का खामियाजा पार्टी को कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में भुगतना पड़ा है। महाराष्ट्र में भी यही दिखा, महाविकास अघाड़ी में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस का तुरंत फैसला ना ले पाना भी उसके बुरी प्रदर्शन की बड़ी वजह रही। जबकि भाजपा का कुशल नेतृत्व और चुनाव प्रबंधन उसकी जीत की प्रमुख वजह बना।
परिवारवाद
महाविकास अघाड़ी का नेतृ्त्व वरिष्ठ नेताओं के हाथ में है। इसके साथ ही गठबंधन पर परिवारवाद का आरोप भी महायुति द्वारा लगाया। वहीं दूसरी तरफ महायुति में नेतृत्व युवा हाथों में है। इसके साथ ही बीजेपी के होने से वहां संगठन, गठबंधन को तवज्जो दी गई। गठबंधन के युवा नेताओं अपनी जिम्मेदारी को भी बखूबी निभाया, जो कि उसकी जीत का एक बड़ा कारण बना।
जातीय समीकरण को साधने में विफल
महाविकास अघाड़ी जातीय समीकरणों को साधने में नाकामयाब रही। वहीं दूसरी तरफ महायुति ने जातीय समीकरणों और विकास की राजनीति का संतुलन बनाते हुए सोशल मीडिया इंजीनियरिंग पर भी प्रभावी ढंग से काम किया। इसके साथ ही मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए महाविकास अघाड़ी के पास ना तो कोई खास योजना थी और न ही महायुति के मुकाबले उसका चुनाव अभियान असरदार था।
Created On :   23 Nov 2024 11:57 PM IST