दिल्ली शराब नीति मामला: 5 महीने बाद तिहाड़ जेल से रिहा हुई BRS नेता के. कविता, बोलीं- 'राजनीतिक कारणों से जेल में डाला गया'
- दिल्ली शराब नीति मामला में जेल में बंद हुई थीं के. कविता
- 5 महीने बाद तिहाड़ जेल से रिहा हुईं के. कविता
- राजनीतिक कारणों से जेल में डाला गया- के. कविता
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली के कथित शराब घोटाला मामले में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के. कविता को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 27 अग्सत को जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलते ही के. कविता तिहाड़ जेल से बाहर आ गई है। बता दें, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कविता को मार्च में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था।
जेल के बाहर कविता का भ्वय स्वागत
जेल के बाहर कविता के स्वागत के लिए उनके भाई और बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामाराव के साथ-साथ पार्टी के कई कार्यकर्ता और समर्थक मौजूद थे। कविता के जेल से बाहर कदम रखते ही पार्टी के कार्यकर्ताओं के मन में हर्ष की लहर दौड़ पड़ी थी। उनके समर्थकों ने उनके स्वागत में ढोल बजाने के साथ ही पटाखे भी फोड़े।
बता दें, शीर्ष अदालत ने कहा कि भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के. कविता के हिरासत की अब जरूरत नहीं है, क्योंकि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों की उनके खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है।
हम लड़ाकू हैं- के. कविता
जेल से बाहर आते ही बीआएस नेता के. कविता ने मीडिया से बात करते हुए एक टिप्पणी की। उन्होंने कहा, "हम लड़ाकू हैं, हम कानूनी और राजनीतिक रूप से लड़ेंगे। उन्होंने केवल बीआरएस और केसीआर की टीम को अटूट बना दिया है। उन्होंने खुद पर लगे आरोपों को झूठा बताते हुए कहा, "पूरा देश जानता है कि मुझे राजनीतिक कारणों से जेल में डाला गया है। मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है।"
शीर्ष अदालत ने सुनाया फैसाला
शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाई कोर्ट के एक जुलाई के फैसले के खिलाफ के.कविता के अपील को स्वीकार करते हुए यह आदेश सुनाया है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने के. कविता के जमानत पर कहा, "अपीलकर्ता (कविता) को हर एक मामले में 10 लाख रुपये के जमानत बांड पेश करने पर तत्काल जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है।"
सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही केंद्रीय एजेंसियों से उनकी जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए पूछा, "अभियोजन पक्ष को निष्पक्ष होना चाहिए। आप किसी को चुनकर नहीं रख सकता। यह कैसी निष्पक्षता है? एक व्यक्ति जो खुद को दोषी ठहराता है, उसे गवाह बना दिया गया है।" उच्च न्यायालय ने आगे कहा,"कल आप अपनी पसंद से किसी को भी आरोपी बना सकते हैं और अपनी पसंद से किसी को भी छोड़ सकते हैं? यह बहुत निष्पक्ष और उचित विवेक है।"
Created On :   27 Aug 2024 11:42 PM IST