बिलकीस बानो मामला: सरकार के बरी के फैसले को पलटा, आत्मसमर्पण से पहले फिर पहुंचे सुको
- गुजरात में 2002 के दंगे
- बिलकीस बानो मामले में 11 लोगों को सजा
- समर्पण की अवधि बढ़ाने की मांग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकीस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले के तीन दोषियों ने उच्चतम न्यायालय में गुरुवार को याचिका दाखिल करके आत्मसमर्पण के लिए और वक्त दिए जाने का अनुरोध किया। 11 दोषियों में से 3 दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दाखिल कर समर्पण की अवधि बढ़ाने की मांग की है। दोषी गोविंद नाई ने 4 सप्ताह, जबकि मितेश भट्ट और रमेश चांदना ने 6 सप्ताह की मोहलत मांगी है। इन दोषियों ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया है।
आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट ने 08 जनवरी 2024 को गुजरात के चर्चित बिलकिस बानो केस में अहम फैसला सुनाया था। सुको ने बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों को बरी करने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। अपने फैसले में सुको ने दोषियों को दो हफ्ते में सरेंडर करने का भी आदेश दिया था।
यहीं नहीं उच्चतम न्यायालय ने गुजरात सरकार पर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए 2002 के दंगों के दौरान बिलकीस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के राज्य सरकार के फैसले को आठ जनवरी को रद्द कर दिया था और दोषियों को दो सप्ताह के अंदर जेल भेजने का निर्देश दिया था।
बिलकिस बानो केस में तीन दोषियों ने शीर्ष कोर्ट से समर्पण की अवधि बढ़ाने की अपील के लिए दरवाजा खटखटाया है। दोषियों ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए उच्चतम न्यायालय से कुछ समय की छूट मांगी है।
Created On :   18 Jan 2024 6:40 PM IST