राजस्थान में गहलोत-पायलट विवाद हुआ खत्म! बीजेपी ने क्यों बताई बैठक होगा बेनतीजा?
- कांग्रेस पार्टी का एक्शन
- गहलोत-पायलट आएंगे एकसाथ?
- बीजेपी ने कांग्रेस पर कसा तंज
डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस पार्टी एक्टिव हो गई है। कर्नाटक की तरह राजस्थान का किला फतह करने के लिए पार्टी अपनी कमर कसती हुई दिखाई दे रही है। इसी को देखते हुए प्रदेश के सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के साथ कांग्रेस आलाकमान ने करीब 4 घंटे तक बैठक की ताकि राजस्थान में एक बार फिर जीत का परचम लहराया जा सके। वहीं इस बैठक का नेतृत्व पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व सांसद राहुल गांधी और महासचिव केसी वेणुगोपाल ने किया। दिल्ली में चली चार घंटे की इस बैठक में गहलोत-पायलट के बीच विवाद को सुलझाने और आगामी चुनाव में बीजेपी से एकजुट होकर लड़ने की रणनीति बनाई गई। जबकि इस बैठक को लेकर भाजपा की ओर से तंज कसा गया है और दावा किया गया है कि गहलोत-पायलट विवाद कभी नहीं सुलझने वाला है।
बता दें कि, कांग्रेस पार्टी के लिए राजस्थान का रण जीतना उतना आसान नहीं है क्योंकि सीएम और पूर्व सीएम के बीच करीब 3 सालों से खुलकर बयानबाजी होती आ रही है। कांग्रेस आलाकमान पूरी तरह स्थिति को भापते हुए दोनों नेताओं को एक छतरी के नीचे लाने की कोशिश कर रहा है। शीर्ष नेतृत्व करीब 10 बार दोनों नेताओं में समन्वय बनाने की कोशिश की है लेकिन हर बार नतीजा उल्टा ही रहा है। लेकिन हाईकमान को इस बार उम्मीद है कि वो गहलोत-पायलट विवाद सुलझा लिया जाएगा और पार्टी इस साल के आखिरी महीने में होने वाली विधानसभा चुनाव में जीत का झंडा एक बार फिर से बुलंद करेगी।
एकसाथ चुनाव लड़ेंगे गहलोत-पायलट?
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी एक बार फिर से जीत का दम भर रही है। लेकिन सवाल उठाता है कि पायलट और गहलोत के बीच छिड़ा जग क्या शांत हो गया है? दिल्ली में चार घंटे बैठक के बाद कांग्रेस पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मीडिया के सामने आकर कहा, "राजस्थान की आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के साथ 4 घंटे लंबी बातचीत की। दोनों नेताओं ने तय किया है कि वे एकसाथ चुनाव लड़ेंगे और बिल्कुल राजस्थान में हम चुनाव जीतेंगे।"
2018 की तरह जीत दर्ज कर पाएगी कांग्रेस?
जानकारी के मुताबिक, हाईकमान ने सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट में किसी फार्मूले के तहत सहमति बनाई है। जिसके बाद दोनों नेता साथ में आने को लेकर तैयार हुए हैं। हालांकि, वह फॉर्मला क्या है अभी तक सामने नहीं आ पाया है। लेकिन सूत्रों की मानें तो, सचिन पायलट को जल्द ही प्रदेश की कमान सौंपा जा सकता है। जिसके बाद पायलट बीजेपी के खिलाफ प्रदेश में उड़ान भरेंगे ताकि कांग्रेस पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया जा सके। सियासत के जानकार कहते हैं कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत में अगर पार्टी समन्वय बनाने में कामयाब हो जाती है तो आगामी चुनाव काफी दिलचस्प हो जाएगा क्योंकि गहलोत और पायलट की जोड़ी साल 2018 के विधानसभा चुनाव में अपना दम दिखा चुकी है।
बीजेपी ने साधा निशाना
गहलोत -पायलट विवाद में बीजेपी की भी एंट्री हो गई है। दिल्ली में चल रही इस बैठक पर राजस्थान बीजेपी के कद्दावर नेता और विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने इस मीटिंग को विफल बताया है। उनका कहना है कि हर बार की तरह इस बार भी कुछ नतीजा नहीं निकलने वाला है। नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने ट्वीट कर कहा, "मैं तो वोही खिलौना लूंगा, मचल गया दीना का लाल" किस्सा कुर्सी के खेल का खिलौना किसको मिलेगा, यह दूर की कौड़ी है।" उन्होंने आगे कहा, " 9वीं बार फिर उसी भाव भंगिमा में दोनों नेता वो ही आलाकमान, वो ही किरदार और हर बार की तरह इस बार भी नतीजा शून्य ही आएगा क्योंकि कांग्रेस के इन दोनों नेताओं में जारी मनभेद का कोई इलाज आलाकमान के पास भी नहीं है। हर बार की भांति इस बार भी दोनों नेताओं के खिलखिलाते चेहरों के पीछे का असली रंग चुनाव के नजदीक आते साफ दिख जाएगा।"
साथ में आएंगे गहलोत-पायलट?
हालांकि, गहलोत-पायलट विवाद सुलझाने में अगर कांग्रेस पार्टी सफल हो जाती है तो विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर मिल सकती है। लेकिन अब देखना दिलचस्प होगा कि, पार्टी के शीर्ष नेताओं ने तो भरपूर कोशिश की है लेकिन अंतिम फैसला और साथ में आना गहलोत और पायलट पर निर्भर करता है। अगर दोनों एक साथ चुनावी मैदान में उतरते हैं तो पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
Created On :   30 May 2023 8:23 AM IST