लोकसभा चुनाव 2024: पहली महिला स्वास्थ्य मंत्री और राजपरिवारों का दबदबा, जानें मंडी सीट का इतिहास, जहां से BJP ने कंगना रनौत को दिया टिकट

पहली महिला स्वास्थ्य मंत्री और राजपरिवारों का दबदबा, जानें मंडी सीट का इतिहास, जहां से BJP ने कंगना रनौत को दिया टिकट
  • मंडी सीट रहा है कांग्रेस का गढ़
  • इस बार के चुनाव में बीजेपी ने कंगा रनौत को दिया है टिकट
  • पहली महिला स्वास्थ मंत्री मंडी सीट ने दिया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश की पांच लोकसभा सीटों में मंडी सीट का नाम अब देश की सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में शामिल हो गया है। दरअसल, भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए मंडी सीट से बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को टिकट दे दिया है। मंडी सीट को कांग्रेस का गढ़ भी कहा जाता है। इस सीट पर अब तक कुल 17 लोकसभा चुनाव और दो उप-चुनाव हुए हैं। जिसमें से 11 बार कांग्रेस पार्टी को जीत मिली है। वहीं, 5 बार इस सीट पर भाजपा ने चुनाव जीता है। इसके अलावा एक बार भारतीय लोकदल ने भी एक बार बाजी मारी है। वर्तमान में कांग्रेस नेता प्रतिभा सिंह मंडी सीट से सांसद हैं। आज हम आपको बताएंगे मंडी लोकसभा सीट के चुनावी इतिहास के बारे में...

क्या रहा पिछले आम चुनाव का रिजल्ट?

साल 2019 के आम चुनाव में मंडी सीट से भाजपा ने अपने पिछला चुनाव जीतने वाले प्रत्याशी राम स्वरूप शर्मा को टिकट दिया था। वहीं, कांग्रेस ने भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ मंडी से पूर्व सांसद रह चुकीं प्रतिभा सिंह को चुनावी मैदान में उतारा था। चुनावी नतीजों में भाजपा ने कांग्रेस को 39 हजार 856 वोटों से शिकस्त दी थी। इस दौरान भाजपा प्रत्याशी राम स्वरूप शर्मा को कुल 3 लाख 62 हजार 824 वोट मिले। वहीं, कांग्रेस को कुल 3 लाख 22 हजार 968 वोट मिले थे।

मंडी लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास

आजादी के बाद साल 1951 में देश के पहले आम चुनाव हुए। इसी दौरान मंडी सीट में भी चुनाव हुए। पहले चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली। इस चुनाव में मंडी सीट से दो सांसद चुने गए। पहली रानी अमृत कौर और दूसरे गोपी राम। 1957 से लेकर 1977 तक करीब 20 सालों तक यह सीट कांग्रेस का गढ़ बनी रही। इस दौरान 1957 में जोगिंदर सेन, 1962 और 1967 में ललित सेन और 1971 में वीरभद्र सिंह सांसद निर्वाचित हुए।

इमरजेंसी के बाद कांग्रेस को बड़ा झटका

आपातकाल हटने के ठीक बाद साल 1977 में लोकसभा चुनाव हुए। जिसमें मंडी सीट पर बड़ा उलटफेर देखने को मिला। चुनावी नतीजों में पहली बार कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा। इस बार भारतीय लोकदल (बीएलडी) ने चुनाव जीता और गंगा सिंह निर्वाचित हुए। लेकिन तीन साल बाद 1980 में हुए चुनावों में ही कांग्रेस ने इस सीट पर वापसी कर ली और वीरभद्र सिंह दोबारा निर्वाचित हुए। 1984 में भी कांग्रेस ने चुनाव जीता और इस बार सुखराम सांसद निर्वाचित हुए।

भाजपा की एंट्री

साल 1989 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजापा) ने मंडी सीट में अपनी पहली जीत दर्ज की। खास बात तो यह है कि इस चुनाव से पहले मंडी सीट पर भाजपा का नामोनिशान नहीं था। लेकिन 1989 के चुनाव में महेश्वर सिंह ने भाजपा के लिए चुनाव लड़ा और कमल खिला दिया। हालांकि, दो साल बाद कांग्रेस ने 1991 में वापसी कर ली और सुखराम दोबारा सांसद बने। सुखराम ने 1996 का चुनाव भी जीता। इसके बाद 1998 और 1999 में लगातार महेश्वर सिंह ने मंडी सीट पर भाजपा को जीत दिलवाई और निर्वाचित हुए।

कांग्रेस की हुई वापसी

लगातार दो चुनाव जीतने के बाद महेश्वर सिंह साल 2004 का आम चुनाव हार गए। 2004 में कांग्रेस ने भाजपा के महेश्वर सिंह को हरान के लिए प्रतिभा सिंह को चुनावी मैदान में उतारा था। प्रतिभा सिंह कांग्रेस मंडी सीट पर कांग्रेस की वापसी कराने में सफल रहीं और सांसद निर्वाचित हुईं। 2009 में कांग्रेस पार्टी ने प्रतिभा सिंह की जगह वीरभद्र सिंह को टिकट दिया। वीरभद्र सिंह को भी जीत मिली और वे सांसद बने। जब वे मुख्यमंत्री बने तो यह सीट खाली हो गई। जिसके बाद 2013 में उपचुनाव हुए। जिसमें वीरभद्र सिंह की पत्नी ने ही चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

मोदी लहर के चलते हारी कांग्रेस

साल 2014 में देशभर में मोदी लहर चल रही थी। मंडी सीट से भाजपा ने तब राम स्वरूप शर्मा का चुनावी मैदान में उतारा था। चुनावी नतीजों में उन्हें जीत मिली और वे सांसद निर्वाचित हुए। राम स्वरूप शर्मा ने 2019 का लोकसभा चुनाव भी भाजपा के टिकट पर लड़ा और जीत हासिल की।

उपचुनाव में हारी भाजपा

हालांकि, 2021 राम स्वरूप शर्मा का निधन हो गया। जिसके कारण उप-चुनाव हुआ। उप-चुनाव में भाजपा ने ब्रिगेडियर खुशाल सिंह को मैदान में उतारा था। वहीं, कांग्रेस ने प्रतिभा सिंह को टिकट दिया। उप-चुनाव के नतीजों में कांग्रेस ने भाजपा को करीब 13 हजार वोटों से हरा दिया।

भारत की पहली महिला स्वास्थ मंत्री ने भी जीता चुनाव

मंडी लोकसभा सीट में जब पहला आम चुनाव हुआ था तो कांग्रेस पार्टी ने दो उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था। पहली रानी अमृत कौर और दूसरे थे गोपी राम। रानी अमृत कौर पटियाला राजघराने की राजकुमारी थीं। खास बात तो यह थी राजकुमारी अमृत कौर आगे चलकर भारत की पहली महिला स्वास्थ मंत्री भी बनीं।

राजपरिवारों का रहा दबदबा

पहले आम चुनाव से लेकर 1971 तक के आम चुनावों में मंडी सीट पर राजपरिवार का ही कब्जा रहा। पहले आम चुनाव मे पटियाला राजघराने की राजकुमारी अमृत कौर सांसद रहीं। 1957 के चुनाव में मंडी रियासत के राजा रहे जोगेंद्र सेन कांग्रेस के टिकट पर सासंद बने। 1962 और 1967 में सुकेत रियासत के राजा ललित सेन कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुए। इसके बाद साल 1971 में रामपुर बुशैहर रियासत के राजा वीरभद्र सिंह कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुए।

भाजपा से कंगना रनौत मैदान में

इस बार मंडी सीट से भाजपा ने बड़ा दांव खेलते हुए बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को मंडी का टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस ने विक्रमादित्य सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है।


Created On :   30 March 2024 8:51 PM IST

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