गांधी पर भारी पवार: पहले भी क्रॉस वोटिंग के दौरान दो धड़ों में टूट चुकी है कांग्रेस, जानिए महाराष्ट्र में पवार के NCP बनने का किस्सा

पहले भी क्रॉस वोटिंग के दौरान दो धड़ों में टूट चुकी है कांग्रेस, जानिए महाराष्ट्र में पवार के NCP बनने का किस्सा
  • महाराष्ट्र में पहली बार राज्यसभा चुनाव के दौरान हुई थी क्रॉस वोटिंग
  • इसके बाद शरद पवार ने बनाई थी अलग पार्टी
  • शरद पवार नहीं चाहते थे सोनिया गांधी कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री उम्मीदवार बने

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में बीते मंगलवार को कुल 15 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हुए। जिसमें बीजेपी ने 10, कांग्रेस ने 3 और समाजवादी पार्टी ने 2 सीटें जीतीं। हालांकि, इस दौरान तीनों ही राज्यों में क्रॉस वोटिंग हुई। हिमाचल में जहां कांग्रेस के छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। वहीं, उत्तर प्रदेश में सपा के 7 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। इसके अलावा कर्नाटक में मीडिया रिपोर्ट ने दावा किया कि भाजपा विधायक एसटी सोमशेखर ने कांग्रेस उम्मीदवार को वोट किया है।

इधर, हिमाचल में कांग्रेस पार्टी के पास बहुमत होने के बाद भी उसके प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी को राज्यसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। वहीं, उत्तर प्रदेश में भी सपा के तीसरे प्रत्याशी आलोक रंजन चुनाव जीतने से चूक गए। हालांकि, यह पहला ऐसा मौका नहीं है जब देश में राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग हुई है। इससे पहले भी कई बार क्रॉस वोटिंग हुई है। साथ ही, क्रॉस वोटिंग के चलते पार्टी भी टूटी है।

पहले क्रॉस वोटिंग, फिर कटा टिकट

साल 1998 में महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग हुई। यह पहला ऐसा मामला था, जब देश में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग हुई। इस दौरान कांग्रेस पार्टी के बहुमत होने के बाद भी उसके प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। इस वक्त कांग्रेस के दो उम्मीदवार में से केवल नजमा हेपतुल्ला ही राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुईं। वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी राम प्रधान को क्रॉस वोटिंग के चलते हार का सामना करना पड़ा था।

इसके बाद कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने राम प्रधान की हार का ठीकरा शरद पवार के माथे फोड़ा। पार्टी ने इस दौरान शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल समेत 10 विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया। साथ ही, कांग्रेस पार्टी ने साल 1999 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों के अलावा पवार के करीबियों का भी टिकट काटा।

पवार ने बनाई अलग पार्टी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस समय पवार कांग्रेस नेता राम प्रधान की राज्यसभा उम्मीदवारी को लेकर विरोध में थे। इस चुनाव के बाद से ही शरद पवार कांग्रेस से अलग होकर एक नई पार्टी बनाने का फैसला किया। पवार ने 10 जून 1999 को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का गठन किया।

कांग्रेस पार्टी के कई नेता दावा करते हैं कि 1999 के लोकसभा चुनाव के दौरान सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने की बात चल रही थी। वहीं, पवार नहीं चाहते थे कि सोनिया गांधी पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री उम्मीदवार बने। पवार का मत था कि एक विदेशी मूल के व्यक्ति को भारत का प्रधानमंत्री कैसे बनाया जा सकता है। साल 2018 के दौरान भी शरद पवार कांग्रेस से अलग पर भी यहीं तर्क दिया था। पवार एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि उन्होंने कांग्रेस इसलिए छोड़ी थी क्योंकि, सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनना चाहती थीं।

Created On :   28 Feb 2024 4:27 PM IST

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