लोकसभा चुनाव 2024: रेलवे के मुद्दे पर बरसों से लड़ा जा रहा चुनाव, जानिए खरगोन लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास
- खरगोन सीट अनुसुचित जाति के लिए आरक्षित
- गजेंद्र उमराव सिंह पटेल मौजूदा सांसद
- अनुसूचित जाति और जनजाति का प्रभाव
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश की खरगोन लोकसभा सीट सबसे अहम सीटों में से एक है। साल 1962 में यहां पहला चुनाव हुआ था। खरगोन सीट के सियासी महामुकाबले में भाजपा ने कांग्रेस से ज्यादा चुनाव जीते हैं।खरगोन सीट अनुसुचित जाति के लिए आरक्षित है। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के गजेंद्र उमराव सिंह पटेल यहां से सांसद हैं। आज हम आपको खरगोन लोकसभा सीट के चुनावी इतिहास के बारे में बताएंगे।
खरगोन लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास
आजादी के 15 साल बाद साल 1962 में खरगोन लोकसभा सीट का गठन हुआ। इसी साल यहां पर पहला आम चुनाव भी हुआ। खरगोन के पहले आम चुनाव में जनसंघ के नेता रामचंद्र बड़े ने यहां से चुनाव जीता और सांसद बने। अगले आम चुनाव में कांग्रेस ने खरगोन सीट पर अपना पहला चुनाव जीता। आपातकाल हटने के बाद साल 1977 में लोकसभा के चुनाव हुए जिनमें भारतीय लोकदल को जीत मिली और रामेश्वर पाटीदार निर्वाचित हुए। तीन साल बाद 1980 के आम चुनाव में कांग्रेस ने वापसी की और सुभाष यादव सांसद बने। कांग्रेस ने अपनी जीत का सिलसिला अगले लोकसभा चुनाव में भी जारी रखा। साल 1989 में भारतीय जनता पार्टी ने एंट्री मारी। इस बार लोकदल से चुनाव लड़ चुके पूर्व सांसद रामेश्वर पाटीदार ने भाजपा के टिकट से चुनाव जीता और सांसद बने। भाजपा ने अगले तीन चुनाव साल 1991, 1996 और 1998 में लगातार जीत हासिल की। साल 1999 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने दोबारा वापसी की और ताराचंद पटेल सांसद बने। साल 2004 में भाजपा ने वापसी की और कृष्ण मुरारी मोघे सांसद बने। तीन साल बाद 2007 में उप-चुनाव हुए जिनमें भाजपा को कांग्रेस के हाथों हार झेलनी पड़ी। कांग्रेस ने उप-चुनाव जीता और अरुण सुचाश चंद्र यादव सांसद बने। इसके 2 साल बाद 2009 में लोकसभा चुनाव हुए जिनमें भाजपा ने फिर से वापसी कर ली। भाजपा ने लगातार अगले दो आम चुनाव साल 2014 और 2019 में जीत हासिल की। वर्तमान में गजेंद्र उमराव सिंह पटेल खरगौन से सांसद हैं।
क्या रहा पिछले चुनाव का रिजल्ट?
साल 2019 के आम चुनाव में भाजपा ने गजेंद्र उमराव सिंह पटेल को खरगोन सीट से चुनावी मैदान में उतारा था। कांग्रेस पार्टी ने भाजपा प्रत्याशी के सामने डॉ गोविंद सुभान मुजाल्दा को चुनावी मैदान में उतारा। चुनावी नतीजों में भाजपा प्रत्याशी गजेंद्र उमराव सिहं पटेल ने कांग्रेस के नेता गोविंद सुभान को 2 लाख 2 हजार 510 वोटों से हरा दिया था। इस दौरान गजेंद्र उमराव सिहं पटेल को कुल 7 लाख 73 हजार 550 वोट मिले। कांग्रेस प्रत्याशी गोविंद सुभान मुजाल्दा को 5 लाख 71 हजार 40 वोट मिले।
कैसा है जातिगत समीकरण?
खरगोन संसदीय क्षेत्र के जातिगत समीकरण की बात की जाए तो यहां पर अनुसूचित जाति और जनजाति का अच्छा खासा प्रभाव है। 2019 के लोकसभा चुनाव के सर्वे के अनुसार खरगोन में लगभग 53.56 फीसदी संख्या अनुसूचित जनजाति के लोगों की है। 9.02 फीसदी संख्या अनुसूचित जाति के लोगों की है।
सालों से रेल के मुद्दे पर लड़ा जा रहा चुनाव
खरगोन में कई सालों से रेल के मुद्दे को लेकर चुनाव लड़ा जाता रहा है। जैसे ही आम चुनाव नजदीक आने लगता है, खरगोन में रेलवे का मुद्दा चर्चा का विषय बन जाता है। असल में, खरगोन में रेलवे लाइन की मांग पिछले करीब 50 सालों से की जा रही है। आज से कई साल पहले कुछ नेताओं ने चुनाव जीतने के लिए रेल की पटरियों तक को खेतों में पटकवा दिया था, जिसके बाद खरगोन की जनता को लगा कि अब उनके शहर में रेलवे लाइन का सपना पूरा हो जाएगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। खरगोन के पहले आम चुनाव से लेकर अब तक के हुए चुनावों में हर बार रेलवे के मुद्दे पर चुनाव लड़ा जाता है। चुनाव से ठीक पहले जनप्रतिनिधि जनता को रेलवे लाइन की सौगात देने की दिलासा देते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद रेलवे लाइन का मुद्दा ठंडे बस्ते में चला जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार रेलवे लाइन के निर्माण से खरगोन समृद्ध होगा। लोगों का आवागमन तो आसान होगा ही साथ ही कारोबार और व्यापार में भी बढ़ोत्तरी होगी। रेलवे लाइन के निर्माण से यहां उद्योग भी स्थापित होगा।
बता दें कि हाल ही में खरगोन सांसद गजेंद्र सिंह ने रेलवे के मुद्दे को सदन में उठाया था। उन्होंने खरगोन-बड़वानी क्षेत्र में रेल सर्वे की रिपोर्ट और उसके जल्द से जल्द निष्कर्ष पर ध्यान केंद्रित किया है। उनका मानना है कि इस रेल परियोजना के शीघ्र क्रियान्वयन से खरगौन-बड़वानी क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास में मदद मिलेगी।
Created On :   21 March 2024 7:22 PM IST