एनडीए की बैठक से पहले चिराग पासवान ने रखी शर्त! '19' के तर्ज पर तय हो टिकट फॉर्मूला
- एनडीए की 18 जुलाई को अहम बैठक
- चिराग पासवान और चाचा पशुपति पारस को मिला निमंत्रण कार्ड
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए राष्ट्रवादी लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) 18 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजधानी दिल्ली में बैठक करने जा रही है। इस मीटिंग के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी सहयोगी दलों को न्योता भेजा है। जिसमें बिहार के युवा नेता और दिवंगत केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान को भी आमंत्रित किया गया है। 15 जुलाई को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चीफ चिराग पासवान के नाम एक पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने लोजपा (आर) को एनडीए का अहम हिस्सा बताते हुए 18 जुलाई की बैठक में शामिल होने का आग्रह किया था। इन सबसे इतर चिराग पासवान ने मीटिंग से एन वक्त बीजेपी के सामने शर्त रख दी है। जिसकी वजह से बीजेपी टेंशन में आ गई है। चिंता में डूबी भगवा पार्टी यह भी कोशिश कर रही है कि पशुपति पारस और चिराग पासवान को एक छतरी के नीचे लाया जा सके ताकि लोकसभा चुनाव में बिहार में बीजेपी की कमल आसानी से खिल सके।
राजधानी में एनडीए की बैठक होने से पहले चिराग ने बीजेपी के सामने अपनी दो अहम मांगे रखी है। लोजपा (आर) प्रमुख के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी को 6 टिकट दिए जाएं जिस पर वो चुनाव लड़ सके। साथ ही लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की ओर से एक राज्यसभा सीट भी सुनिश्चित की जाए। जिसके बाद ही वो एनडीए में शामिल होंगे अन्यथा राहें अलग भी हो सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक, चिराग पासवान ने बीजेपी हाईकमान के साथ बातचीत में कहा है कि लोजपा टूटने से पहले साल 2019 के चुनाव में 6 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 100 फीसदी स्ट्राइक रेट से पूरे के पूरे सीट पर जीत हासिल भी किए थे। इसलिए इस बार भी 6 सीटों का फॉर्मला ही तय हो।
शर्त मानेगी बीजेपी?
केंद्रीय मंत्री रामविलास की मौत के बाद चाचा पशुपति पारस ने साल 2021 में भतीजे चिराग पासवान को तगड़ा झटका दिया था। पशुपति पारस ने बड़े भाई के मौत के बाद ये कह कर पार्टी पर धावा बोल दिया की अब वो लोजपा के प्रमुख हैं, उनके हिसाब से पार्टी चलेगी न कि चिराग पासवान के। पारस ने ये भी कहा था कि बड़े भाई की विरासत संभालना मेरी जिम्मेदारी है। इसके अलावा सभी सांसदों को पशुपति पारस ने अपने खेमे में लाकर पार्टी पर दावा ठोक दिया था। कुछ दिन सियासी ड्रामे के बाद चिराग पासवान ने अपनी अलग पार्टी बनाई, जिसका नाम लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) रखा। आज चिराग अपनी पार्टी के केवल अकेले ही सांसद हैं। उसके बावजूद चिराग अपनी पार्टी के लिए बीजेपी के सामने 6 लोकसभा सीटों का शर्त रख दिया है। साथ ही एक राज्यसभा सीट की भी मांग की है।
बीजेपी चाचा-भतीजे को साथ में ला पाएगी?
चाचा-भतीजे की लड़ाई को शांत कराने के लिए बीजेपी पूरी कोशिश कर रही है लेकिन इसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने हाल ही में चिराग पासवान से राजधानी पटना में मिले उसके बाद दिल्ली में केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस से मुलाकात की थी। जिसके बाद से ही सियासी गलियारों में चाचा-भतीजे को एकजुट होने की खबरें सामने आने लगी हैं।
हाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे चिराग?
इन सभी अटकलों पर विराम लगाने का काम चिराग पासवान का एक बयान ने किया है। कुछ दिनों पहले ही चिराग ने ये एलान किया था कि इस बार वो अपने पिता के संसदीय क्षेत्र हाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे। जिस पर चाचा पशुपति पारस काफी बिफरे। पारस ने कहा था कि, बड़े भाई ने मुझे ये सीट दी थी। मैं देखता हूं कि इस सीट से कौन चुनाव लड़ता है। चाचा-भतीजे की लड़ाई से बीजेपी काफी परेशान है। दोनों नेताओं को साधने में भाजपा जुटी हुई है लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकाल पाया है। चिराग पासवान और पशुपति पारस दोनों ही नेताओं को 18 जुलाई को होने वाली एनडीए बैठक के लिए आमंत्रित किया गया है।
Created On :   17 July 2023 11:35 AM IST