नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी का बजा डंका, लेकिन प्रदर्शन के पैमाने पर फेल हुई पार्टी, इस वजह से फिक्रमंद हैं मोदी-शाह!

नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी का बजा डंका, लेकिन प्रदर्शन के पैमाने  पर फेल हुई पार्टी, इस वजह से फिक्रमंद हैं मोदी-शाह!
  • नगर निकाय चुनाव में क्या है दांवों की हकीकत?
  • बीजेपी के प्रदर्शन से अगले साल होने वाले आम चुनाव पर कितना पड़ेगा असर!
  • निकाय चुनाव के बाद भी बीजेपी की तैयारी रहेगी जारी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव से भले ही बीजेपी में खुशी का माहौल है, लेकिन आंकड़ों के हिसाब से बीजेपी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिहाज से बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई है। निकाय चुनाव के नतीजे भी इसी की ओर इशारा करते हैं। बीजेपी ने इस बार के नगर निकाय चुनाव में 391 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देकर नई चाल चली थी। लेकिन मुस्लिम बहुल इलाकों में भी बीजेपी दूसरी नंबर की पार्टी बनकर रह गई है। हालांकि बीजेपी ने नगर निगम के सभी 17 सीट लखनऊ, अयोध्या, झांसी, बरेसी, मथुरा-वृंदावन, मुरादाबाद, प्रयागराज, सहारनपुर, अलीगढ़, शाहजहांपुर, गाजियाबाद, आगरा, कानपुर, मेरठ, फिरोजाबाद, वाराणसी और गोरखपुर पर जीत दर्ज की है। लेकिन लोकसभा के लिहाज से उनकी यह जीत चिंता का सबब बनी हुई है।

गौरतलब है कि, बीजेपी के कई सांसदों के क्षेत्र में पार्टी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी का यह प्रदर्शन मिशन 80 के लिहाज से बहुत बड़े झटके के तौर पर है। इसी को मद्देनजर रखते हुए बीजेपी अभी से ही अगले साल होने वाले आम चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले माह यानी जून से ही हर महीने यूपी का दौरा करेंगे। राजनीतिक चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी अगले महीने से आम चुनाव की कमान संभालते हुए नगर आएंगे। खबर है कि, पीएम मोदी जून से ही हर माह यूपी में किसी न किसी उद्धाटन व शिलान्यास या लोकार्पण कार्यक्रम के जरिए जनता से सीधा संवाद करेंगे। इस दौरान पीएम मोदी राज्य के पश्चिम से लेकर पूरब और अवध से बुंदेलखंड के जिले तक पहुंचेंगे। इसके अलावा अमित शाह और जेपी नड्डा भी संगठनात्मक कार्यक्रमों को धार देने का काम करेंगे।

हार से सबक लेगी बीजेपी

बता दें कि, राज्य शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) चुनावों में 391 मुस्लिम उम्मीदवारों में से पार्टी ने महज 61 पर ही जीत हासिल करने में कामयाबी हासिल की है। इनमें पांच नगर पालिका परिषद (एनपीपी) के अध्यक्ष, 32 नगर पंचायत (एनपी) के अध्यक्ष और 80 नगरसेवक और एनपीपी और एपी के 278 सदस्य शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकायों में 17 मेयर और 1,401 पार्षदों के लिए दो चरणों 4 मई और 11 मई को मतदान हुए थे। प्रदेश चुनाव आयोग के मुताबिक, इनमें 19 पार्षद निर्विरोध चुने गए।

पार्टी का प्रदर्शन इन क्षेत्रों में कुछ खास नहीं

रामपुर, टांडा (दोनों रामपुर में), ककराला (बदायूं), अफजलगढ़ (बिजनौर) और मुबारकपुर(आजमगढ़) में नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष बीजेपी कुछ खास कमाल नहीं कर पाई और ये सभी सीटें बीजेपी के खाते में नहीं आई है। रामपुर में बीजेपी की स्थिति बेहद खराब रही। यहां पर बीजेपी के प्रत्याशी मुसर्रत मुजीब आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार सना खानम से 11,000 मतों से हार गए। टांडा में बीजेपी उम्मीदवार महनाज जहां भी निर्दलीय उम्मीदवार साहिबा सरफराज से हार गई। आजमगढ़ एनपीपी सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार सबा शमीम ने बीजेपी की मुस्लिम प्रत्याशी तमन्ना बानों को हरा दिया। वहीं बिजौनर के अफजल में निदर्लीय प्रत्याशी तबस्सुम ने बीजेपी की प्रत्याशी खतीजा खातून को हरा दिया।

साल 2017 के निकाय चुनाव की बात करें तो बीजेपी ने बिजनौर जिले के अफजलगढ़ की नगर पालिका के अध्यक्ष के रूप में एक मुस्लिम उम्मीदवार सलीम अहमद को उतारा था। तब सलीम अहमद ने 31 फीसदी वोट के साथ जीत दर्ज की थी। इस बार का निकाय चुनाव बीजेपी के कई केंद्रीय मंत्रियों और बीजेपी सांसदों के लिए भी ठीक नहीं रहा है। इन्हें भी अपने निर्वाचन क्षेत्र में हार के साथ संतोष करना पड़ा है। राज्य में बीजेपी को कुल 94 नगर पालिका परिषद और 196 नगर पंचायतों में जीत हासिल हुई है। वहीं इस बार निकाय चुनाव में बीजेपी को 108 नगर पालिका परिषद और 353 नगर पंचायतों हार मिली है। यह आंकड़ा बहुत बड़ा है। अगर इन क्षेत्रों में बीजेपी अभी से काम नहीं करती है तो आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है।

केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसदों के क्षेत्र का हाल

नगरीय निकाय चुनाव में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान भी इस बार कुछ खास नहीं कर पाए। उन्हें अपने जिले की दो नगरपालिका परिषदों और आठ नगर पंचायतों में से 9 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के क्षेत्र में बीजेपी की यह हार बहुत बड़ी है। यहां पर केवल मुजफ्फरनगर सीट पर बीजेपी को जीत मिली है।

मेरठ लोकसभा सीट

मेरठ लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। यहां पर केवल नगर निगम की सीट को छोड़ दे तो पार्टी ने 15 में से केवल चार निकाय सीटों पर जीत दर्ज की है। हापुड़ नगर पालिका परिषद की सीट पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है। यहां से बीजेपी के सांसद राजेंद्र अग्रवाल आते हैं।

बागपत सीट

बीजेपी सांसद सत्यपाल सिंह के बागपत सीट पर भी बीजेपी ने कोई गहरी छाप नहीं छोड़ी है। जिले की कुल 9 नगर पालिका परिषद में बीजेपी केवल एक सीट खेकड़ा की नगर पालिका पर ही जीत दर्ज कर पाई। साथ ही पार्टी बागपत और बड़ौत नगर पालिका समेत छह नगर पंचायत पर हार गई है।

एटा जिला

एटा जिले की चार नगर पालिका में बीजेपी केवल दो सीट पर ही जीत दर्ज कर पाई है। इसके अलावा बीजेपी यहां पर चार नगर पालिकाओं में से दो पर बीजेपी ने जीत हासिल की है। यह क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह के प्रभाव वाला क्षेत्र है।

इस बार के नगरीय निकाय चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 50 से ज्यादा जनसभाएं की थी। इस दौरान उन्होंने ट्रिपल इंजन की सरकार का नारा भी देने का काम किया। इसके अलावा राज्य के किसी विपक्षी पार्टी ने बीजेपी के जितना व्यापक प्रचार नहीं किया है। साथ ही कांग्रेस पार्टी भी यूपी नगरीय निकाय चुनाव में कमजोर दिखाई दी। यूपी नगरीय निकाय के चुनाव को लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जाता है। इस चुनाव से सभी पार्टी अपनी-अपनी तैयारी को परखने का काम करती हैं। बीजेपी ने भी इस चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी थी और पार्टी ने चुनाव से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की थी।

Created On :   18 May 2023 7:17 PM IST

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