'INDIA' से सहमी बीजेपी! चाह कर भी क्यों विपक्षी एकता के नए गठबंधन को इग्नोर नहीं कर पा रही NDA?

INDIA से सहमी बीजेपी! चाह कर भी क्यों विपक्षी एकता के नए गठबंधन को इग्नोर नहीं कर पा रही NDA?
  • बीजेपी का 'इंडिया' को घेरने का 'मास्टरप्लान'!
  • पीएम मोदी ने 'इंडिया' गठबंधन की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी से की

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विपक्षी गठबंधन 'INDIA' को भारतीय जनता पार्टी काफी गंभीरता से ले रही है। साल 2004 के आम चुनाव से सबक लेते हुए बीजेपी ऐसा कोई काम नहीं करना चाहती जिसकी वजह से आगामी लोकसभा चुनाव में खामियाजा भुगतना पड़े। केंद्र की मोदी सरकार को मात देने के लिए विपक्षी पार्टियां दो दौर की बैठक कर चुकी हैं और तीसरी बार की मीटिंग के लिए तैयारी कर रही हैं ताकि भगवा पार्टी को साल 2024 के चुनाव में पटखनी दी जा सके। पटना और बेंगलुरु में विपक्षी एकता की महाबैठक में सभी पार्टियों ने एक सुर में बीजेपी को हराने का संकल्प लिया था। दूसरे दौर की बैठक में गठबंधन ने अपना नाम यूपीए से 'इंडिया' रख लिया, जिसका अर्थ खड़गे ने 'इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस' बताया था। गठबंधन का नाम इंडिया रखे जाने पर बीजेपी खुलकर नहीं बोल रही थी लेकिन जब से पीएम मोदी ने विपक्षी एलायंस 'इंडिया' पर हमला बोला है तब से भाजपा के सभी नेता हमलावर हो गए हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, साल 2014 के बाद बीजेपी ने विपक्ष को इतना गंभीरता से लिया है नहीं तो वो हमेशा डिफेंसिव मोड में ही दिखाई देती है। विपक्षी गठबंधन (इंडिया) को लेकर सबसे पहले खुद पीएम मोदी ने जोरदार हमला बोला है। इसके बाद से बीजेपी के अन्य नेताओं ने इस पर हमला बोलना शुरू किया। दस दिनों के अंदर पीएम मोदी ने इंडिया गठबंधन को लेकर 6 बार हमला बोला है। सियासत के जानकारों का मानना है कि, विपक्ष गठबंधन का नाम इंडिया रख कर बीजेपी को हमला करने में असहज कर दिया है क्योंकि भाजपा इंडिया पर सीधा हमला नहीं कर सकती है लेकिन इस भ्रम को खुद पीएम मोदी की ओर से कुछ ही दिनों में तोड़ दिया गया है।

पीएम ने 'इंडिया' की तुलना इंडियन मुजाहिदीन से की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी गठबंधन का जब नामाकरण हुआ उसी दिन से हमला करना शुरू कर दिया था। हाल ही में बीजेपी संसदीय दल की बैठक हुई थी जिनमें पीएम मोदी ने कहा था कि, ईस्ट इंडिया कंपनी में भी इंडिया था लेकिन उसके बारे में सभी जानते हैं कि कैसे भारत का दमन किया। इसके अलावा पीएम विपक्षी गठबंधन को इंडियन मुजाहिदीन से तुलना कर दिया। जिस पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि 'हम ही हैं असली इंडिया, मोदी जी।'

पीएम मोदी ने विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' पर कब-कब बोला हमला?

18 जुलाई

18 जुलाई की मीटिंग में विपक्ष ने अपने गठबंधन का नाम 'इंडिया' रखा। इसी दिन पीएम मोदी ने एक कार्यक्रम में अवधि भाषा में विपक्ष एकता पर हमला बोलते हुए कहा था "गाइत कुछ है, माल कुछ है और लेबल कुछ है। यह अवधि में एक गाना है, जो विपक्षी गठबंधन पर फिट बैठता है।"

18 जुलाई

18 जुलाई को ही एनडीए दल की बैठक दिल्ली में हुई थी। जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इस बैठक में पीएम मोदी ने कहा था कि, सारे भ्रष्टाचारी बेंगलुरु में एकजुट हुए हैं। लुट की माल पर कार्रवाई हो रहा है तो सभी इकट्ठा हो गए हैं।

20 जुलाई

एक कार्यक्रम के दौरान विपक्षी एकता पर दोबारा से हमला करते हुए पीएम ने कहा था कि, ये गठबंधन इंडिया को बचाने के लिए नहीं खुद के अस्तिव को बचाने में लगा हुआ है। जनता इसका जवाब अपने वोट की ताकत से देगी। हम 50 फीसदी वोट प्रतिशत के साथ सत्ता में दोबारा आएंगे।

25 जुलाई

बीजेपी संसदीय दल की बैठक में पीएम ने विपक्षी गठबंधन इंडिया नाम का जिक्र करते हुए कहा था कि, ईस्ट इंडिया कंपनी में भी इंडिया था और इंडियन मुजाहिदीन में भी इंडियन है लेकिन सिर्फ इंडिया नाम रखने से इंडिया नहीं हो जाता है। विपक्ष पूरी तरह से दिशाहीन हो चुका है।

26 जुलाई

पीएम मोदी ने ITPO कन्वेंशन सेंटर के उद्घाटन के दौरान कहा था कि, हमारी सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड विश्वास दिलाता है कि हम अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान देश को दुनिया का तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बना देंगे।

27 जुलाई

बीते दिन ही पीएम मोदी राजस्थान के सीकर जिले के दौरे पर गए हुए थे। जहां पर पीएम ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि, अपना कुकर्म छुपाने के लिए यूपीए से इंडिया नाम रखा लिया। पहले जमाने में कंपनियां नाम बदलने के बाद नया बोर्ड लगाकर धंधा शुरू कर देती थी।

विपक्ष को रोकने के लिए शाह का मास्टरस्ट्रोक

पीएम मोदी के अलावा गृहमंत्री अमित शाह भी एक्टिव हैं। इधर पीएम मोदी भ्रष्टाचार से लेकर विपक्ष की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी और इंडियन मुजाहिदिन से कर रहे हैं। उधर बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले शाह अपने साथ यानी एनडीए में नए दलों को जोड़ने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं जिसका असर एनडीए दल की बैठक में भी देखने को मिला था। शाह की नीति की वजह से ही बिहार, महाराष्ट्र और यूपी में वोटों के लिहाज से खास महत्व रखने वाली पार्टियां बीजेपी से एलायंस कर चुकी हैं। जिनमें अजित पवार की एनसीपी, ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा, चिराग पासवान की लोजपा (आर) और जीतन राम मांझी की हम (से) जैसे दल हैं। इतना ही नहीं अमित शाह यूपी और बिहार में बाज जैसी नजरें बनाए हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक, बिहार में मुकेश सहनी और यूपी में जयंत चौधरी को अपने पाले में लाने के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं ताकि विपक्षी एकता का बंटाधार किया जा सके।

विपक्षी एकता से क्यों सहमी बीजेपी?

  • पीएम मोदी का गठबंधन की तुलना इंडियन मुजाहिदिन और ईस्ट इंडिया से करना काफी कुछ दर्शाता है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, साल 2004 के आम चुनाव के दौरान बीजेपी अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में इंडिया शाइनिंग की रथ यात्रा निकाली थी। लेकिन इसका असर सोनिया गांधी की रणनीति से फिका पड़ गया था।
  • उस समय हर सर्वे में बीजेपी को आगे बताया गया था। लेकिन सोनिया गांधी ने अपनी सूझबूझ से बीजेपी को मात दे दी थी। कहा जाता है कि 2004 के आम चुनाव में सोनिया गांधी ने लीड करते हुए देश की सभी प्रमुख दलों को अपने साथ जोड़ा, फिर रणभूमि में उतरी और जीत हासिल की। साथ ही जिन पार्टियों का जनाधार जमीन पर कुछ खास नहीं रहा उन्हें भी अपने साथ लाकर बीजेपी के विरूद्ध चुनाव लड़ी और उनकी जीत में यहीं पार्टियां अहम भूमिका निभाई थीं।
  • यूपीए गठबंधन से हार झेलने के बाद बीजेपी ने समीक्षा बैठक बुलाई थी जिसमें पता चला था कि क्षेत्रीय दलों को साथ में लेकर न चलाना हार की सबसे बड़ी कड़ी रही। इसलिए बीजेपी सभी छोटे-बड़े दलों को साथ में ले चलने के लिए प्लानिंग कर रही है ताकि एक बार फिर साल 2004 की तरह इतिहास न दोहराया जाए।

विपक्ष का वोट प्रतिशत शानदार

  • भाजपा को इस बात का भी भय है कि विपक्षी एकता का वोट प्रतिशत काफी शानदार है। मीडिया रिपोट्स के मुताबिक, साल 2019 के आम चुनाव में इंडिया गठबंधन के 26 पार्टियों को अच्छे खासे वोट प्रतिशत मिले थे। अगर इन्हें मिला दें तो ये 45 फीसदी आकंड़े को भी पार कर सकते हैं। पीएम मोदी भी वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए कई बार पार्टी नेताओं से आग्रह कर चुके हैं।
  • भारतीय चुनाव आयोग के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में लोकसभा की कुल 353 सीटें हैं। साल 2014 और 2019 के आम चुनाव को छोड़ दें तो अन्य दलों और कांग्रेस का ही इस पर दबदबा रहा है। 2009 में कांग्रेस पार्टी को इन सीटों में से 123, बीजेपी को 77 और अन्य पार्टियों को 153 सीटों पर जीत मिली थी।
  • साल 2014 के आम चुनाव में मोदी लहर की वजह कांग्रेस को ग्रामीण इलाकों में काफी नुकसान उठाना पड़ा था। उस समय कांग्रेस को महज 353 सीटों में से 28 पर ही जीत मिली थी। जबकि बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 190 सीटों पर जीत का झंडा फहराया था। हालांकि, बीजेपी के शानदार प्रदर्शन से क्षेत्रीय पार्टियां के परफॉर्मेंस में कोई कमी नहीं आई थी और साल 2014 के चुनाव में क्षेत्रीय दलों ने 135 सीटों पर जीत हासिल की थी।

Created On :   28 July 2023 4:24 PM IST

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