लोकसभा चुनाव 2024: 26 सालों से लगातार जीत रही है BJP, जानिए बालाघाट सीट का चुनावी इतिहास

26 सालों से लगातार जीत रही है BJP, जानिए बालाघाट सीट का चुनावी इतिहास
  • 26 सालों से बालाघाट सीट पर बीजेपी का दबदबा
  • बीजेपी ने पहली बार उतारा है महिला प्रत्याशी
  • बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चुनावी की तारीखों के ऐलान के बाद पहले चरण में मध्य प्रदेश की जिन 6 सीटों में चुनाव होने जा रहा है। बालाघाट सीट भी उनमें शामिल है। बालाघाट की सीमा छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से जुड़ती है। यहां के चुनावी इतिहास में अब तक कुल 17 लोकसभा चुनाव हुए हैं। जिनमें 8 बार कांग्रेस, 7 बार भाजपा, 1-1 बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी ने चुनाव जीता है। वहीं, एक बार निर्दलीय प्रत्याशी ने भी बाजी मारी है। वर्तमान में ढाल सिंह बिसेन यहां से सांसद हैं। आज हम आपको बताएंगे बालाघाट लोकसभा सीट के चुनावी इतिहास के बारे में।

बालाघाट सीट का चुनावी इतिहास

आजादी मिलने के बाद साल 1952 में देश के पहले आम चुनाव हुए। इसी समय बालाघाट में भी चुनाव हुए थे। पहले आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी चिंतारमन राव गौतम यहां से चुनाव जीतकर निर्वाचित हुए थे। चिंतारमन ने 1957 में कांग्रेस को बालाघाट से लगातार दूसरा चुनाव जिताया। साल 1962 के आम चुनाव में कांग्रेस को बालाघाट सीट से पहली बार झटका लगा। इस चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने जीत हासिल की और भोलाराम रामजी सांसद बने। हालांकि, कांग्रेस ने 1967 में वापसी कर ली और चिंतारमन फिर एक बार सांसद बने। चिंतारमन ने 1971 में भी जीत दर्ज की और कांग्रेस को फिर लगातार दो बार विजयी बनाया।

इमरजेंसी में गिरी कांग्रेस सरकार, रिपब्लिकन पार्टी ने जीता पहला चुनाव

साल 1975 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लागू कर दी। जब इमरजेंसी हटी तो साल 1977 में लोकसभा चुनाव हुए। इमरजेंसी के दुष्परिणामों के कारण कांग्रेस को हार झेलनी पड़ी और बालाघाट सीट भी उसके हाथों से निकल गई। रिपब्लिकन पार्टी ने 1977 में बालाघाट सीट पर पहली बार चुनाव जीता और कचरूलाल हेमराज सांसद निर्वाचित हुए। ऐसा कहा जाता है कि उस समय रिपब्लिकन पार्टी का दबदबा था और कचरूलाल भी राजनीति में प्रभावशाली थे।

कांग्रेस ने की वापसी

तीन साल बाद 1980 में लोकसभा चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस पार्टी ने बालाघाट सीट पर वापसी कर ली। इस बार नंदकिशोर शर्मा निर्वाचित हुए। नंदकिशोर ने कांग्रेस के टिकट पर 1984 में भी चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

निर्दलीय से हारी कांग्रेस

1989 में एक बालाघाट सीट पर बड़ा उलटफेर हुआ। कांग्रेस ने इस बार के डी देशमुख को बालाघाट सीट से टिकट दिया। खास बात तो यह थी केडी देशमुख पिछले चुनाव में जनता दल के टिकट से हार चुके थे। वहीं, उनके सामने इस बार कंकर मुंजारे निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर खड़े थे। चुनावी नतीजों में कंकर मुंजरे ने कांग्रेस प्रत्याशी केडी देशमुख को करीब डेढ़ लाख वोटों से हरा दिया।

कांग्रेस की वापसी और भाजपा का पहला चुनाव

साल 1991 में कांग्रेस पार्टी ने विश्वेश्वर भगत को बालाघाट सीट से टिकट दिया। इस बार मुख्य प्रतिद्वंदी के तौर पर कांग्रेस के सामने भाजपा ने कदम रखा था। भाजपा ने कांग्रेस के सामने गौरीशंकर चतुर्भुज को चुनावी मैदान में उतारा था। हालांकि, जब नतीजे सामने आए तो कांग्रेस को जीत मिली। कांग्रेस ने इस चुनाव में अपनी वापसी तो कर ली लेकिन भाजपा से उसे कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ा था। 1991 के चुनावी नतीजों के मुताबिक कांग्रेस ने भाजपा को मात्र 56 हजार 226 वोटों से हराया था। विश्वेश्वर भगत ने 1996 का चुनाव भी जीता और सांसद निर्वाचित हुए।

1998 में भाजपा ने पहला चुनाव

साल 1998 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बालाघाट सीट पर अपनी पहली जीत हासिल की और कांग्रेस एक बार फिर जीत की हैट्रिक लगाने में असफल हो गई। इस चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी नहीं बदला और लगातार दो चुनाव में हारे गौरीशंकर बिसेन को ही बालाघाट सीट से टिकट दिया। उन्होंने भी बीजेपी को निराश नहीं किया और इस बार वे बालाघाट की जनता का समर्थन जुटाने में सफल रहे।

26 सालों से बालाघाट में बीजेपी का दबदबा

साल 1998 में बालाघाट सीट जीतने के बाद बीजेपी लगातार यहां चुनाव जीतने में सफल रही है। बता दें कि 1998 से अब तक कुल 6 चुनाव और एक उप-चुनाव में हर बार भाजपा को ही जीत मिली है। इस दौरान 1999 में प्रहलाद पटेल, 2004 में गौरीशंकर बिसेन, 2007 के उप-चुनाव में चरण प्रताप सिंह, 2009 में केडी देशमुख, 2014 में बोधसिंह भगत और 2019 में ढाल सिंह बिसेन सांसद रहे। खास बात तो यह है कि बीजेपी ने बालाघाट सीट पर हर बार अलग अलग प्रत्याशी को टिकट दिया और सभी चुनाव जीतने में सफल रहे।

इस बार ये नेता चुनावी मैदान में

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बालाघाट संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने भारती पारधी को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं, 26 साल का सूखा खत्म करने के लिए कांग्रेस ने इस बार सम्राट सारस्वत को बालाघाट से मैदान में उतारा है।

पहली बार महिला प्रत्याशी को मिला टिकट

बता दें कि, यह बालाघाट लोकसभा सीट के चुनावी इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि जब भाजपा ने किसी महिला प्रत्याशी को टिकट दिया है। भारती पारधी बालाघाट के पवार बाहुल्य जाति से आती हैं। वर्तमान में वे बालाघाट नगरपालिका की पार्षद हैं। सूत्रों के मुताबिक भारती पारधी का नाम बालाघाट से बीजपी के पूर्व सासंद और और वर्तमान में मध्य प्रदेश के ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने आगे बढ़ाया है।

Created On :   4 April 2024 6:17 PM IST

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