लोकसभा चुनाव 2024: ST आरक्षित सीट पर भाजपा-कांग्रेस का आमना-सामना, जानिए क्या है गढ़चिरौली सीट का इतिहास

ST आरक्षित सीट पर भाजपा-कांग्रेस का आमना-सामना, जानिए क्या है गढ़चिरौली सीट का इतिहास
  • गढ़चिरौली सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर
  • परिसीमन के बाद 2009 में पहली बार गढ़चिरौली सीट पर हुआ था चुनाव
  • इस सीट पर महाराष्ट्र की सियासत का रंग भी खूब दिखने को मिलता है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र की जिन 5 सीटों में पहले चरण में चुनाव होना है। गढ़चिरौली-चिमूर सीट भी उनमें शामिल है। यह सीट 2002 में बने परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद 2008 में अस्तित्व में आई। इस सीट को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किया गया। गढ़चिरौली सीट जब नहीं बनी थी तब यह महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले का एक हिस्सा हुआ करती थी। गढ़चिरौली तेलंगाना और छत्तीसगढ़ की बॉर्डर से सटा हुआ है। इसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र भी कहा जाता है। इस सीट के गठन के बाद 2009 में यहां पहला आम चुनाव हुआ था। आज हम आपको बताएंगे गढ़चिरौली-चिमूर लोकसभा सीट के चुनावी इतिहास के बारे में।

चिमूर सीट का चुनावी इतिहास

चिमूर संसदीय सीट एक समय में कांग्रेस का गढ़ थी। साल 1967 में यहां पहला आम चुनाव हुआ था। इस चुनाव में कांग्रेस के नेता मार्तंड हजर्नवीस सांसद निर्वाचित हुए थे। इसके बाद साल 1971 और 1977 में कृष्णराव डागोजी ठाकुर सांसद बने। 1980 और 1984 में विलास भाउराव मुत्तेमवार लगातार दो बार सांसद चुने जाने के बाद निर्वाचित हुए।

भाजपा का खुला खाता

साल 1989 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चिमूर सीट पर अपना खाता खोला। भाजपा की तरफ से महादेव शिवनेकर सांसद चुने गए। लेकिन दो साल बाद ही 1991 में कांग्रेस पार्टी ने वापसी कर ली और विलास मुत्तेमवार दोबारा सांसद निर्वाचित हुए। विलास मुत्तेमवार 1991 से 1996 तक सांसद रहे। इसके बाद 1996 के आम चुनाव में भाजपा ने वापसी कर ली। इस बार नामदेव दिवाथे सांसद चुने गए।

रिपब्लिकन पार्टी ने भी जीता चुनाव

साल 1998 के लोकसभा चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया ने भी चिमूर सीट पर चुनाव जीता। इस बार प्रोफेसर जोगेंद्र कवाडे सांसद बने। हांलाकि, 1999 में नामदेव दिवाथे दोबारा चुनाव जीतने में सफल रहे और भाजपा की वापसी हुई।

परिसीमन के बाद हुआ पहला चुनाव

परिसीमन के आधार पर 19 फरवरी 2008 को गढ़चिरौली-चिमूर सीट अस्तित्व में आई। साल 2009 में यहां पहले आम चुनाव हुए। इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने मारोतराव कोवासे को टिकट दिया था। उनके सामने भाजपा ने अशोक नेते को मैदान में उतारा था। कोवासे कांग्रेस पार्टी को चुनाव जिताने में सफल रहे और सांसद निर्वाचित हुए।

मोदी लहर में भाजपा ने जीता चुनाव

साल 2014 में देशभर में मोदी लहर चल रही थी। इस चुनाव में गढ़चिरौली-चिमूर सीट पर भाजपा ने फिर एकबार अपने पिछले बार के उम्मीदवार अशोक नेते पर भरोसा जताया। अशोक नेते भी भाजपा की उम्मीदों पर खरा उतरे और उन्हें जीत हासिल हुई।

इस बार ये नेता चुनावी मैदान में

इस बार गढ़चिरौली-चिमूर सीट से भाजपा के लिए अशोक नेते फिर चुनावी मैदान में हैं। वहीं, कांग्रेस ने प्रोफेसर अंगोमचा बिमोल अकोइजम को टिकट दिया है। इसके अलावा वंचित बहुजन अगाड़ी ने हितेश पानडुरंग को चुनावी मैदान में उतारा है।

Created On :   30 March 2024 10:42 PM IST

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