दही-चूड़ा भोज: बिहार में चुनावी साल की संक्रांति पर दही -चूड़ा पार्टी से सियासत में शुरु हुई नई अटकलें
- आरजेडी-आरएलजेपी में गठबंधन के कयासों ने पकड़ा जोर
- मकर संक्रांति का सामाजिक-आध्यात्मिक महत्व
- 15 जनवरी को पटना में दही-चूड़ा भोज का आयोजन
डिजिटल डेस्स, पटना। बिहार में चुनावी साल की संक्रांति पर दही -चूड़ा पार्टी से पॉलिटिक्स में नई नई अटकलें लगाई जा रही है। संक्रांति पर दही-चूड़ा पॉलिटिक्स से बिहार ने कई बार सियासी समीकरण बनते और बिगड़ते हुए देखने को मिले हैं। वैसे तो देश में मकर संक्रांति का सामाजिक-आध्यात्मिक महत्व है, लेकिन बिहार में इसका सियासी महत्व भी है। राजनीतिक जानकारों की नजर इस बात पर टिकी हुई है कि संक्रांति पर गठबंधनों की क्या खिचड़ी पकती है?
13जनवरी को बिहार सरकार के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा की ओर से शुरू हुई दही-चूड़ा पॉलिटिक्स अब पशुपति पारस तक पहुंच गई है। पशुपति पारस ने आज यानि 15 जनवरी को पटना में दही-चूड़ा भोज का आयोजन रखा है। इसमें तमाम नेताओं को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। लेकिन विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के उस बयान ने सियासी अटकलें बढ़ा दी है, तेजस्वी ने पार्टी में आरजेडी चीफ लालू यादव के शामिल होने के संकेत दिए है। इन्हीं संकेतों ने बिहार की राजनीति में सियासी गठबंधन के कयासों की हवाओं को और तेज कर दिया है। चुनावी साल में लालू और पारस के बीच क्या खिचड़ी पक रही है, इस पर सब की निगाहें बनी हुई है।
पशुपति पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी वैसे तो बिहार के सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल है लेकिन चिराग पासवान की गठबंधन में वापसी के बाद से पारस हाशिए पर चले गए है। पिछली लोकसभा में 5 सांसदों वाली पशुपति पारस की पार्टी को एनडीए ने 2024 के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं दी थी। उस दौरान पारस के महागठबंधन में शामिल होने के कयास जरूर लगे थे, लेकिन शामिल नहीं हो पाए थे।
हालफिलहाल एनडीए में पशुपति के लिए वो सम्मान मिलते हुए नहीं दिख रहा जैसा पहले मिलता था। जबकि आरजेडी माय यानि मुस्लिम यादव से इतर दलित वोट बैंक पर नजर हाथ आजमाना चाहती है। जो पशुपति पारस और उनकी पार्टी पर है। आरजेडी और आरएलजेपी दोनों ही दलों के साथ आने की संभावनाएं अधिक हैं। आपको बता दें पशुपति पारस 14 जनवरी की देर शाम खुद लालू यादव से मिलने रबड़ी देवी के आवास पहुंचे थे और अपने दही-चूड़ा भोज के लिए निमंत्रण दिया था। निमंत्रण ,मुलाकात, चर्चा के बाद आया तेजस्वी के बयान ने सियासी अटकलें बढ़ा दी है।
आप सोच सकते है कि पारस की पार्टी में यदि सीएम नीतीश कुमार भी पहुंचते है और लालू यादव भी। ऐसी स्थिति में कुमार ,यादव और पारस की मुलाकात जरूरी सियासी चर्चा का विषय बनेगा।
Created On :   15 Jan 2025 12:49 PM IST