सत्ता में आने से पहले कांग्रेस में असंतुष्टों को खुश करने का प्रयास जारी! टिकट नहीं मिला तो भी ऐसे बढ़ेंगे नेताओं के ठाठ!
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में करीब 20 साल से सत्ता में आने की आस लगाए बैठी कांग्रेस इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में हर कमियों पर काम कर रही है। ताकि विपक्ष से सत्ता में आने का रास्ता साफ हो सके। पार्टी की नजर उन 70 सीटों पर भी है, जहां वह पिछले दो चुनावों में जीत दर्ज करने में विफल रही है। पार्टी इन सीटों पर भी रणनीति तैयार कर रही है।
इसके लिए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलानाथ इन सीटों पर दौरा कर संगठन की स्थिति का जायजा ले रहे हैं। साथ ही इन 70 सीटों पर कांग्रेस ने अपने पर्यवेक्षकों को नियुक्त कर दिया है। इधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह भी राज्य की सभी सीटों पर लगातार दौरा करके सीटों की स्थिति और पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने में लगे हुए हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इन सीटों पर नए उम्मीदवार को मौका दिया जाएगा। साथ ही पार्टी का फोकस उन नेताओं पर भी होगा, जिन्हें विधानसभा चुनाव टिकट नहीं मिलेगा। इस बात के संकेत पार्टी के सीनियर लीडर और प्रदेश के पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने भी दे दिया है।
क्या है पार्टी की रणनीति?
हाल ही में जीतू पटवारी दमोह विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर गए हुए थे। इस दौरान कांग्रेस नेता ने साफ कर दिया कि इस बार के चुनाव में पार्टी का फोकस उन नेताओं पर भी होगा, जिन्हें टिकट नहीं मिलेगा। जीतू पटवारी ने बताया कि पार्टी ने तय किया है कि जिन नेताओं को टिकट नहीं मिलेगा, उन्हें कांग्रेस की सरकार बनने पर कहीं न कहीं एडजस्ट किया जाएगा।
जीतू पटवारी ने कहा कि टिकट पाने की रेस में कई नेता होते हैं। लेकिन पार्टी की ओर से किसी एक ही नेता को टिकट दिया जा सकता है। ऐसे में उन्हें सरकार बनने पर उचित स्थान दिया जा सकता है। बुंदेलखंड के चुनाव प्रभारी जीतू पटवारी ने कहा कि जिन नेताओं को टिकट नहीं मिलेगा, इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि वे योग्य नहीं है। दरअसल, दमोह सीट पर कांग्रेस की ओर से टिकट पाने की रेस में कई नेता है। ऐसे में जीतू पटवारी का यह बयान उन सभी नेताओं को साधने के लिए था। ताकि चुनाव के दौरान बगावत की स्थिति पैदा न हो। बता दें कि चुनाव आने से पहले कांग्रेस में एक बार फिर टिकट को लेकर खींचतान की स्थिति बन गई है।
कांग्रेस के सामने क्या है विकल्प?
एमपी में कांग्रेस पार्टी लगातार विधान परिषद को लेकर मांग करती रही है। साल 2018 में जब राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी थी, तब भी यह मुद्दा जोरों-शोरों पर था। ऐसे में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर एमपी में कांग्रेस की सरकार आई तो जल्द ही राज्य में विधान परिषद बनाने के प्रस्ताव को पास कराया जाएगा। ताकि कांग्रेस की ओर से जिन नेताओं को विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट नहीं मिला होगा, उन नेताओं को विधान परिषद के रास्ते सरकार में शामिल किया जा सके। साथ ही, साल 2018 में कांग्रेस सरकार आने के बाद भी विधानपरिषद की मांग ने जोर पकड़ा था। वर्तमान समय में देश में छह राज्यों में विधान परिषद है। इनमें बिहार, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्रपदेश है। इन राज्यों में विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट को लेकर ज्यादा माथापच्ची नहीं होती है। क्योंकि नेता जानते हैं कि उनके पास सरकार में बने रहने का दूसरा विकल्प भी है। वह है विधान परिषद।
Created On :   5 Jun 2023 11:37 AM GMT