बिहार पॉलिटिक्स: बिहार में फ्लोर टेस्ट से पहले सभी पार्टियां सजग, कोई लंच तो कोई ट्रेनिंग के बहाने विधायकों पर बनाए हुए है नजर
- बिहार में 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट
- विश्वासमत से पहले एक्टिव हुई प्रमुख पार्टियां
- विधायकों को एकजुट कर नजर बनाए हुए है सभी दल
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानमंडल में 12 फरवरी से बजट सत्र की शुरूआत होगी। विधानसभा और विधानपरिषद के संयुक्त सत्र को राज्यपाल विश्वनाथ आर्लेकर संबोधित करेंगे जिसके बाद बजट सत्र का आगाज होगा। इसके अलावा सिर्फ 15 दिन पुरानी गठबंधन सरकार का फ्लोर टेस्ट भी होगा। विश्वासमत से पहले सभी प्रमुख स्थानीय पार्टियां पूरी तरह अलर्ट मोड पर आ गई है। आरजेडी, भाजपा से लेकर राजद तक सभी पार्टियों ने विधायक को सील पैक कर लिया है। सरकार बनाने के लिए राजद को सिर्फ 8 विधायकों की जरूरत है इसीलिए सत्ताधारी गठबंधन सरकार की घटक पार्टियां भी फ्लोर टेस्ट से पहले सजग और सक्रिय नजर आ रही है।
विधायकों पर पूरी नजर
जेडीयू ने पार्टी के सभी विधायकों के एक साथ पटना में दो दिनों के लिए भोज प्रोग्राम सेट कर लिया है। पहले भोज का आयोजन शनिवार को मंत्री श्रवण कुमार के आवास पर किया गया है। 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट के बाद ही विधायकों को मुक्त छोड़ा जाएगा। इसके अलावा भाजपा ने प्रशिक्षण शिविर के नाम पर बोधगया के महाबोधि रिजॉर्ट में सभी विधायकों को एकजुट कर लिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दो दिन के प्रशिक्षण कार्यक्रम में खुद गृह मंत्री अमित शाह विधायकों को ऑनलाइन माध्यम से गुरु मंत्र देंगे। राजद ने भी शनिवार शाम विधायक दल की बैठक के बहाने सभी पार्टी विधायकों को पटना तलब किया है। वहीं कांग्रेस के विधायक पहले से ही हैदराबाद भेजे जा चुके हैं। अब 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट के बाद ही सभी पार्टियों के विधायक को मुक्त किया जाएगा।
बिहार का नंबर गेम
बिहार में भाजपा और जेडीयू के पास संयुक्त रूप से 123 विधायक हैं जो बहुमत के लिए जरूरी संख्या 122 से सिर्फ एक ज्यादा है। इसके अलावा भाजपा को जीतन राम मांझी की नेतृत्व वाली पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा(हम) का भी समर्थन प्राप्त है। हम के 4 विधायकों के अलावा एनडीए के पास एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन प्राप्त है। नई गठबंधन सरकार के पास बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त विधायक हैं। वहीं आरजेडी की बात करें तो सहयोगी दल के साथ सरकार बनाने के लिए तेजस्वी यादव की पार्टी को सिर्फ 8 विधायकों की दरकार है। इससे पहले खबर आई थी कि राजद की सहयोगी कांग्रेस जीतन राम मांझी को अपने साथ लाने की कोशिशों में लगी हुई है। ऐसे में बहुमत के लिए एनडीए के सामने अपने विधायकों को जोड़े रखने की चुनौती है। गठबंधन में अपनी पार्टी की हैशियत से जीतन राम मांझी थोड़े असंतुष्ट चल रहे हैं। वह सार्वजनिक तौर पर अपनी पार्टी के लिए एक और मंत्री पद की मांग कर चुके हैं। खबरों की मानें तो हम का साथ बनाए रखने के लिए एनडीए जीतन राम मांझी को राज्यसभा भेज सकती है।
Created On :   10 Feb 2024 1:04 PM IST