लोकसभा चुनाव 2024: चौथे चरण में 8 सीट, अपने गढ़ में पटवारी और सिंघार की असली परीक्षा

चौथे चरण में 8 सीट, अपने गढ़ में पटवारी और सिंघार की असली परीक्षा
  • नेता प्रतिपक्ष के लिए प्रतिष्ठा सवाल बनी धार सीट
  • खरगोन सीट पर भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर
  • राम मंदिर और मोदी की बजाय असली आदिवासी की लड़ाई

डिजिटल डेस्क,भोपाल। लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में मध्यप्रदेश के मालवा निमाड़ की 8 संसदीय सीटों पर 13 मई को मतदान होना है।29 लोसकभा सीटों वाले मध्यप्रदेश में 21 सीटों पर वोटिंग खत्म हो चुकी है। बाकी की 8 सीटों पर 13 मई को वोटिंग खत्म हो जाएगी। जिन 8 सीटों पर मतदान होना है उनमें इंदौर, देवास, उज्जैन, धार, रतलाम, खरगोन, मंदसौर, खंडवा जैसी सीटें शामिल हैं। अभी इन 8 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। अपने गढ़ में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार की परीक्षा है। राहुल गांधी धार और खरगोन में सभा कर चुके है। गांधी के एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धार और खरगोन में सभा कर आदिवासी वोटरों को साधने की कोशिश की। जबकि राहुल गांधी ने खरगोन के सैगांव और रतलाम के जोबट में सभा की।

चौथे चरण की आठ सीटों पर पटवारी और सिंघार के अलावा पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने भी मोर्चा संभाल रखा है। कांग्रेसी दिग्गज नेता लगातार सभाएं कर रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी मालवा और निमाड़ अंचल में लगातार दौरे कर रहे हैं। वहीं दिग्विजय सिंह प्रचार थमने तक मंदसौर, रतलाम और खंडवा में सभाएं करते हुए नजर आ रहे हैं।

चुनाव प्रतिष्ठा के चलते नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने धार में डेरा डाले हुआ हैं। सिंघार इसी संसदीय क्षेत्र से हैं। यही नहीं खरगोन में अरुण यादव मोर्चा संभाले हुए हैं। झाबुआ-रतलाम में कांग्रेस के टिकट पर कद्दावर नेता कांतिलाल भूरिया चुनाव लड़ रहे हैं। भूरिया का यह अंतिम चुनाव है। उनके बेटे विक्रांत झाबुआ से विधायक हैं। दोनों भूरिया ने इस लोकसभा सीट पर मैदान संभाल रखा है।

आदिवासी वोटर्स यहां निर्णायक स्थिति में हैं,प्रदेश की सियासत में यह अंचल हमेशा ही निर्णायक भूमिका अदा करता रहा है। आठ में से रतलाम, धार और खरगोन सीट दोनों ही दलों के लिए अहम है। छह महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों से रतलाम-धार में कांग्रेस उत्साहित है, जबकि भाजपा इन सीटों पर नए चेहरों के साथ उतरी है। ।

धार

मालवा-निमाड़ की इकलौती सीट है, जहां कांग्रेस वोट शेयर और सीटों के आधार पर भाजपा कड़ी टक्कर दे रही है। इस लोकसभा सीट में आने वाली आठ में से पांच सीटों पर कांग्रेस काबिज है। आदिवासी बाहुल्य सीट नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का गृह क्षेत्र भी है। इस सीट पर भोजशाला सर्वे के आदेश को भाजपा ने राजनीतिक रूप से भुनाना शुरू कर दिया है। भाजपा ने यहां से मौजूदा सांसद छतरसिंह दरबार का टिकट काटा है और पूर्व सांसद सावित्री ठाकुर को टिकट दिया है। यानी भाजपा को भी लग रहा था कि मौजूदा सांसद मुश्किल में हैं। ऐसे में कांग्रेस को यहां से उम्मीद अधिक है। कांग्रेस ने यहां से युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे तेजतर्रार नेता राधेश्याम मुवेल को टिकट दिया है। धार सीट पर 2009 में कांग्रेस के गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी जीते थे (अब भाजपा में) इसके बाद 2014- 2019 में बीजेपी यहां लगातार दो बार जीती है।

झाबुआ

रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट आदिवासी बाहुल्य है। यहां की आठ विधानसभा में से कांग्रेस के पास जोबट, झाबुआ, थांदला यह तीन विधानसभा सीटें हैं। वहीं भाजपा के पास अलीराजपुर, पेटलावद, रतलाम सिटी और रतलाम ग्रामीण कुल चार सीटें हैं। वहीं एक सीट भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) के विधायक कमलेश्वर डोडियार के पास सैलाना है। कांग्रेस ने भील समुदाय से आने वाले अपने कद्दावर नेता कांतिलाल भूरिया को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने भिलाला समुदाय से आने वाली अनीता नागर सिंह चौहान को टिकट दिया है। इस सीट पर भील और भिलाला 65:35 के अनुपात में हैं। इस वजह से कांग्रेस ने भील समुदाय को साधा है। राम मंदिर और मोदी फैक्टर रतलाम-झाबुआ के शहरी मतदाताओं के बीच सिमटे हुए हैं। यहां अन्य मुद्दों की अपेक्षा आदिवासियों में अपने अपने वर्चस्व की लड़ाई है।

खरगोन

लोकसभा सीट की आठ विधानसभा में से 5 सीट पर कांग्रेस व तीन सीट पर बीजेपी का कब्जा है। कांग्रेस नेताओं को यहां से जीतने की पूरी उम्मीद नजर आ रही है। कांग्रेस को उम्मीद है कि वह खरगोन सीट पर अपने पाले में कर सकती है। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री बाला बच्चन ने मैदान संभाल रखा है। वे इसी लोकसभा की विधानसभा राजपुर सीट से विधायक हैं। 2007 के उपचुनाव में इस सीट से कांग्रेस के अरुण यादव जीते थे, लेकिन इसके बाद 2009, 2014 और 2019 से यहां बीजेपी ही जीतती रही है।

इस सीट पर कांग्रेस ने बिल्कुल नए चेहरे पोरलाल खरते को मैदान में उतारा है। पार्टी को उनकी पहचान बतानी पड़ रही है। खरते पूर्व सहायक वाणिज्यिक कर अधिकारी हैं। उनकी बड़वानी जिले के सेंधवा, खरगोन और भगवानपुरा के आदिवासी इलाकों में अच्छी पैठ है। खरते जयस के संस्थापकों में से भी एक रहे हैं और उनकी आदिवासी युवाओं में अच्छी पकड़ है। भाजपा ने दूसरी बार गजेंद्र पटेल को टिकट दिया है। पटेल का पहले विरोध था। अब ये हवा चल रही है कि गजेंद्र पटेल जीतेंगे, तो निमाड़ को मंत्री पद मिलेगा। इस क्षेत्र से भाजपा के दो सदस्य हैं। लोकसभा से गजेंद्र पटेल के अलावा राज्यसभा से सुमेर सिंह सोलंकी भी राज्यसभा सांसद हैं। इसके बावजूद भाजपा पिछले विधानसभा चुनाव में कमाल नहीं कर पाई।

Created On :   11 May 2024 1:59 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story