संस्कृति: पुडुचेरी में पाम संडे पर चर्च में विशेष प्रार्थना और जुलूस

पुडुचेरी में पाम संडे पर चर्च में विशेष प्रार्थना और जुलूस
पुडुचेरी के सेंट एंड्रयूज चर्च में पाम संडे के अवसर पर आयोजित विशेष सामूहिक प्रार्थना में बड़ी संख्या में ईसाई समुदाय के लोगों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर खजूर के पत्तों के साथ एक भव्य जुलूस भी निकाला गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

पुडुचेरी, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। पुडुचेरी के सेंट एंड्रयूज चर्च में पाम संडे के अवसर पर आयोजित विशेष सामूहिक प्रार्थना में बड़ी संख्या में ईसाई समुदाय के लोगों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर खजूर के पत्तों के साथ एक भव्य जुलूस भी निकाला गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

पाम संडे ईसाई धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है, जो पवित्र सप्ताह की शुरुआत का प्रतीक है। यह दिन यीशु मसीह के यरूशलेम में प्रवेश की याद दिलाता है। बाइबिल के अनुसार, जब यीशु यरूशलेम में आए थे, तब लोग उनके स्वागत में खजूर के पत्ते लेकर सड़कों पर जुटे थे और "होसन्ना" के गीत गाए थे। इसी घटना की स्मृति में हर साल पाम संडे मनाया जाता है। इस दिन ईसाई विशेष प्रार्थनाएं करते हैं और जुलूस निकालते हैं।

पुडुचेरी के रेड्डीअर पलयम क्षेत्र में स्थित सेंट एंड्रयूज चर्च में फादर पॉल के नेतृत्व में पाम संडे का आयोजन किया गया। सुबह आयोजित विशेष प्रार्थना सभा में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। प्रार्थना के दौरान यीशु मसीह के बलिदान और उनके संदेशों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके बाद, चर्च परिसर से खजूर के पत्तों के साथ एक जुलूस शुरू हुआ, जो आसपास के क्षेत्रों से होकर गुजरा। जुलूस में शामिल लोगों ने होसन्ना गीत गाए और प्रभु यीशु के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की।

पाम संडे लेंट के 40 दिनों के उपवास के बाद आता है। लेंट का समय ईसाई समुदाय के लिए आत्म-चिंतन और प्रायश्चित का होता है, जिसमें वे यीशु के बलिदान को याद करते हैं। पवित्र सप्ताह के दौरान गुड फ्राइडे और ईस्टर जैसे महत्वपूर्ण दिन भी मनाए जाते हैं। पाम संडे इस सप्ताह की शुरुआत करता है और श्रद्धालुओं को यीशु के जीवन और शिक्षाओं पर विचार करने का अवसर देता है।

सेंट एंड्रयूज चर्च के फादर पॉल ने बताया कि पाम संडे का आयोजन हर साल श्रद्धा और उत्साह के साथ किया जाता है। उन्होंने कहा, "यह दिन हमें यीशु मसीह के प्रेम और बलिदान की याद दिलाता है। जुलूस और प्रार्थना के माध्यम से हम उनके संदेश को जीवंत रखते हैं।"

जुलूस में शामिल श्रद्धालुओं ने भी इस अवसर को आध्यात्मिक रूप से विशेष बताया।

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Created On :   13 April 2025 8:54 AM IST

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