राष्ट्रीय: पहलगाम आतंकी हमले के बाद फिर वही स्क्रिप्ट, पाकिस्तान का फॉल्स फ्लैग प्रोपेगेंडा एक्सपोज

पहलगाम आतंकी हमले के बाद फिर वही स्क्रिप्ट, पाकिस्तान का फॉल्स फ्लैग प्रोपेगेंडा एक्सपोज
पहलगाम आतंकी हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान ने वही घिसी-पिटी पटकथा दोहराई और भारत पर "फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन" का झूठा आरोप लगाया, लेकिन इस बार फर्क बस इतना है कि स्क्रिप्ट थोड़ी चमकाई गई है और अदाकार बदले गए हैं।

नई दिल्ली, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। पहलगाम आतंकी हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान ने वही घिसी-पिटी पटकथा दोहराई और भारत पर "फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन" का झूठा आरोप लगाया, लेकिन इस बार फर्क बस इतना है कि स्क्रिप्ट थोड़ी चमकाई गई है और अदाकार बदले गए हैं।

जो लोग कल तक ढंग से अंग्रेजी के वाक्य भी नहीं बना पाते थे, आज अचानक "फॉल्स फ्लैग" जैसे भारी-भरकम शब्दों का इस्तेमाल करते दिख रहे हैं। यह कोई संयोग नहीं, बल्कि पाकिस्तान के सूचना युद्ध का नया संस्करण है, जो अब आतंकवाद से भी बड़ा 'निर्यात' बन चुका है।

सोशल मीडिया पर कुछ वेरिफाइड हैंडल, संदिग्ध प्रोफाइल्स और तथाकथित "स्वतंत्र पत्रकार" हमले के कुछ ही घंटों के भीतर एक रट लगाए नजर आए कि "यह फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन है।" सवाल उठता है कि जब जांच शुरू भी नहीं हुई थी, तब ये नतीजे किस लैब में तैयार किए गए थे? इसका जवाब साफ है- इस झूठ से फायदा उठाने वाला ही इसकी स्क्रिप्ट का लेखक है।

इन दिनों अगर आप सोशल मीडिया का मुआयना करेंगे, तो अज्ञात डीपी वाले अकाउंट्स, पाकिस्तानी झंडे लगाए प्रोफाइल्स और नकली भारतीय नामों के साथ भ्रम फैलाने वाले ट्रोल्स द‍िखेंगे। इनके साथ कुछ 'अपने' भी दिखेंगे, जो हर हमले पर अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करने के लिए दौड़ पड़ते हैं, लेकिन आतंकवाद के असली सोर्स पर चुप्पी साध लेते हैं।

हमले के तुरंत बाद वही घिसा-पिटा तर्क निकाला गया कि "यह बिहार चुनाव से ध्यान भटकाने के लिए किया गया।" कभी जी-20, कभी सीएए, कभी चुनाव हर आतंकी हमले के बाद देश के असली दुश्मनों को बचाने के लिए नया बहाना बनाया जाता है। ये वही लोग हैं, जो पाकिस्तान का नाम लेते ही 'सेकुलरिज्म' की आड़ में दुबक जाते हैं।

अब पाकिस्तान की प्रोपेगेंडा फैक्ट्रियां इतने नीचे गिर चुकी हैं कि नकली भारतीय सैनिक बनकर फर्जी वीडियो बनाने लगे हैं, ताकि "फॉल्स फ्लैग" के झूठ को विश्वसनीय बनाया जा सके। यह केवल दुष्प्रचार नहीं, बल्कि भारत के खिलाफ एक खुला मनोवैज्ञानिक युद्ध है।

कुछ 'भूतपूर्व' सैनिक, जिनकी पहचान 2014 के बाद फीकी पड़ गई थी, अब पैनलों पर बैठकर सेना के खिलाफ झूठे नैरेटिव बेचते हैं। इनके लिए अब निष्ठा कोई मूल्य नहीं, बल्कि सौदेबाजी का साधन बन चुकी है, इनके लिए कहना गलत नहीं होगा कि 'धंधा' भी, 'एजेंडा' भी।

जो भी व्यक्ति या संस्था इस "फॉल्स फ्लैग" झूठ को बढ़ावा दे रही है, वह जाने-अनजाने भारत के खिलाफ काम कर रही है। आज देशभक्ति का असली इम्तिहान यह नहीं कि आप तिरंगा कब लहराते हैं, बल्कि यह है कि आप झूठ और गद्दारी के जहर को पहचानते हैं या नहीं। अगली बार जब कोई बिना सबूत के "फॉल्स फ्लैग" का झंडा उठाए, एक पल ठहरिए और सोचिए, इससे फायदा किसे हो रहा है?

याद रखना होगा कि आज का सबसे खतरनाक हथियार न बंदूक है, न बम, बल्कि एक फर्जी नैरेटिव है और हमारे असली सैनिक वे हैं जो इस युद्ध में सत्य का परचम थामे खड़े हैं।

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Created On :   26 April 2025 11:35 PM IST

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