राजनीति: 'सांसदों को ‘वक्फ’ पर मतदान करने का निर्देश किसने दिया?', प्रवत त्रिपाठी ने उठाए नवीन पटनायक पर सवाल

सांसदों को ‘वक्फ’ पर मतदान करने का निर्देश किसने दिया?, प्रवत त्रिपाठी ने उठाए नवीन पटनायक पर सवाल
वक्फ कानून में संशोधन पर ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजद प्रमुख नवीन पटनायक की चुप्पी को लेकर पार्टी नेता प्रवत त्रिपाठी ने सवाल उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह जानबूझकर मूल मुद्दे को दरकिनार करने का प्रयास है, जिसने पार्टी के भीतर भ्रम पैदा किया है।

भुवनेश्वर, 10 अप्रैल (आईएएनएस)। वक्फ कानून में संशोधन पर ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजद प्रमुख नवीन पटनायक की चुप्पी को लेकर पार्टी नेता प्रवत त्रिपाठी ने सवाल उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह जानबूझकर मूल मुद्दे को दरकिनार करने का प्रयास है, जिसने पार्टी के भीतर भ्रम पैदा किया है।

प्रवत त्रिपाठी ने गुरुवार को समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा, "वक्फ कानून इस समय सबसे बड़ा मुद्दा है, फिर भी पूरी पार्टी इधर-उधर भाग रही है। पार्टी सांसदों को वक्फ संशोधन विधेयक पर विवेक के आधार पर मतदान करने का निर्देश किसने दिया? जमीनी कार्यकर्ताओं से लेकर वरिष्ठ नेताओं तक हर कोई जानना चाहता है, लेकिन इस बारे में नवीन पटनायक ने अपने मीडिया वक्तव्य के दौरान एक भी शब्द नहीं कहा।"

चिटफंड घोटाले में उनका नाम आने के बारे में पूछे जाने पर त्रिपाठी ने कहा, "मामला अभी भी न्यायालय में विचाराधीन है। यहां तक कि विधानसभा भी ऐसे मामलों पर चर्चा नहीं कर सकती। इस मुद्दे को अभी उठाना और वास्तविक मुद्दे से ध्यान हटाने तथा मुझ जैसे व्यक्तियों को बदनाम करने के लिए जानबूझकर यह चाल चली गई है। मैं निर्दोष हूं।"

पार्टी से निलंबन के बारे में नवीन पटनायक के दावों पर प्रवत त्रिपाठी ने कहा, "मेरा निलंबन 2017 में वापस ले लिया गया था। मैंने 2019 और 2024 के चुनावों के दौरान पार्टी के लिए सक्रिय रूप से काम किया। मैंने पिछले चुनाव अभियान की सार्वजनिक बैठक के दौरान खुद नवीन पटनायक के साथ मंच भी साझा किया था।"

उन्होंने कहा, "अपना अधिकार बनाए रखने के लिए वह (नवीन पटनायक) पार्टी को इस तरह से चलाना चाहते हैं, जहां उनके शब्दों को कानून माना जाए।"

उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में पिछले सप्ताह वक्फ संशोधन विधेयक पर वोटिंग हुई थी। नवीन पटनायक और उनकी पार्टी के नेताओं ने शुरू में विधेयक का विरोध किया था, लेकिन वोटिंग से ठीक पहले बीजद ने अपना रुख बदल लिया था। आधिकारिक तौर पर, पार्टी ने अपने सभी सांसदों को स्वतंत्र रूप से फैसला लेने की छूट दे दी थी। इस मामले में पार्टी की ओर से कोई व्हिप भी जारी नहीं किया गया था। इसके परिणामस्वरूप बीजद के कुछ सांसदों ने विधेयक के पक्ष में, तो कुछ ने इसके खिलाफ वोट दिया।

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Created On :   10 April 2025 5:36 PM IST

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