'जो मस्जिदें मंदिरों को तोड़कर बनाई गईं हैं, उन्हें हिंदुओं को वापस करें'
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डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तरप्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने एक बार फिर से अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने की पैरवी करते हुए कहा है कि जो मस्जिदें मंदिरों को तोड़कर बनाई गईं हैं, उन्हें हिंदुओं को वापस किया जाए। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के चेयरमैन को लिखे खत में वसीम रिजवी ने कहा है कि " हिंदू समाज के मंदिरों को तोड़कर बनाए गईं सभी मस्जिदें उन्हें वापिस की जानी चाहिए।" उन्होंने कहा कि "मुगलों ने हिंदुस्तान को लूटा और यहां के मंदिरों को लूटा। कुछ मंदिरों को तोड़कर वहां मस्जिदें बनवा दी गईं, जिसका गवाह इतिहास है।" बता दें कि हाल ही में रिजवी ने कहा था कि जो मुसलमान अयोध्या में राम मंदिर का विरोध कर रहे हैं, उन्हें पाकिस्तान या बांग्लादेश चले जाना चाहिए।
हिंदुओं को जमीन वापस दी जाए : रिजवी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, AIMPLB बोर्ड के चेयरमैन मौलाना रबे हसन नदवी को लिखे लेटर में यूपी शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा है कि "मैंने AIMPLB से अयोध्या में बने 9 मस्जिदों के बारे में पूछा है। इतिहासकारों के मुताबिक मुगल शासकों ने ये मस्जिदें हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनाई थीं। मैंने सवाल उठाया है कि अगर विवादित मस्जिद भी ऐसी ही जगह बना है, तो क्या इसे जायजा ढांचा माना जाएगा?" उन्होंने कहा कि "अगर ये वैध है तो ठीक है। नहीं तो इस मुद्दे को भी मीटिंग में उठाना चाहिए और इसपर भी आम सहमति बननी चाहिए।"
कौन से 9 मंदिर हैं वो?
वसीम रिजवी ने AIMPLB को 9 मंदिरों की एक लिस्ट भी सौंपी है।
1. बाबरी मस्जिद, अयोध्या
2. केशव देव मंदिर, मथुरा
3. काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी
4. अटल देव मंदिर, जौनपुर
5. रुद्र महालय मंदिर, बाटना, गुजरात
6. भद्रकाली मंदिर, गुजरात
7. अदीना मस्जिद, पांडुआ, वेस्ट बंगाल
8. विजया मंदिर, विदिशा, मध्य प्रदेश
9. मस्जिद कुवैतुल इस्लाम कुतुब मीनार, नई दिल्ली
राम मंदिर का विरोध करने वाले पाकिस्तान जाएं : रिजवी
इससे पहले फरवरी की शुरुआत में वसीम रिजवी ने अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने की पैरवी करते हुए कहा था कि जो मुसलमान अयोध्या में राम मंदिर का विरोध कर रहे हैं, उन्हें पाकिस्तान या बांग्लादेश चले जाना चाहिए। रिजवी ने कहा था कि "जो मुसलमान अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने का विरोध कर रहे हैं, वो पाकिस्तान या बांग्लादेश चले जाएं।" उन्होंने कहा कि "जो लोग मस्जिद के नाम पर जेहाद को बढ़ावा देना चाहते हैं, उन्हें सीरिया जाकर ISIS जॉइन कर लेनी चाहिए।" इसके साथ ही रिजवी ने मुस्लिम धर्मगुरुओं पर भी हमला करते हुए बोला था कि "मुस्लिम धर्मगुरू देश को बर्बाद करने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए उन्हें भी पाकिस्तान या अफगानिस्तान चले जाना चाहिए।"
रिजवी पहले भी दिखा चुके हैं रामभक्ति
ये कोई पहली बार नहीं है जब वसीन रिजवी भगवान राम की भक्ति में रंगे दिखाई दिए हैं। रिजवी को उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान का करीबी माना जाता है, लेकिन सरकार बदलते ही उनपर भगवा रंग छा गया। इससे पहले भी रिजवी अपनी रामभक्ति दिखा चुके हैं। उन्होंने पहले ये बात मानी थी कि, अयोध्या में राम मंदिर था, जिसे बाद में बाबर ने तोड़ दिया और यहां मस्जिद बनवा दी। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए ये भी आरोप लगाया था कि पाकिस्तान के इशारे पर कुछ मौलाना अयोध्या मसले को सुलझने नहीं दे रहे हैं। इसके साथ ही रिजवी अयोध्या में लगने वाली 332 फीट ऊंची मूर्ति के लिए जमीन और भगवान राम के धनुष के लिए चांदी के 10 तीर देने की पेशकश भी कर चुके हैं।
राम मंदिर बनाने की पेशकश कर चुके हैं रिजवी
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में भी अयोध्या मसले पर सुनवाई के दौरान शिया वक्फ बोर्ड ने विवादित जगह पर राम मंदिर बनाए जाने की पेशकश की थी। शिया वक्फ बोर्ड की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट पेश किया गया था, जिसमें कहा गया था कि, विवादित जगह पर राम मंदिर बने जबकि इससे थोड़ी दूरी पर मस्जिद बनाई जाए। बोर्ड का कहना था कि अगर मंदिर-मस्जिद को साथ बनाया गया तो यहां पर रोज विवाद देखने को मिलेंगे। वक्फ बोर्ड ने एफिडेविट में कहा था कि 1946 तक ये जमीन शिया वक्फ बोर्ड के पास थी लेकिन ब्रिटिशर्स ने गलत तरीके से इस जमीन का मालिकाना हक सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया था। बोर्ड ने कहा कि वो इस पूरे विवाद को शांति से निपटाना चाहता है।
अयोध्या को लेकर क्या है विवाद?
अयोध्या विवाद देश का ऐसा विवाद है, जिस पर राजनीति भी होती रही है और सांप्रदायिक हिंसा भी भड़की है। हिंदू पक्ष ये दावा करता है कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है और इस जगह पर पहले राम मंदिर हुआ करता था। जिसे बाबर के सेनापति मीर बांकी ने 1528 में तोड़कर यहां पर मस्जिद बना दी थी। तभी से हिंदू-मुस्लिम के बीच इस जगह को लेकर विवाद चलता रहा है। अयोध्या विवाद ने 1989 के बाद से तूल पकड़ा और 6 दिसंबर 1992 को हिंदू संगठनों ने अयोध्या में राम मंदिर की जगह बनी विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया। जिसके बाद ये मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया और अब सुप्रीम कोर्ट में है।
14 मार्च को होगी अगली सुनवाई
अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 8 फरवरी को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस केस में पहले सभी मुख्य पक्षकारों की दलील सुनी जाएगी, उसके बाद दूसरी पिटीशंस पर सुनवाई होगी। इस दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा ने कहा कि इस मामले को सिर्फ एक जमीन विवाद की तरह ही देखा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को 2 हफ्ते के अंदर सभी डॉक्यूमेंट्स तैयार करने को कहा है और इसी के साथ अब इस मामले की सुनवाई अब 14 मार्च को की जाएगी।
Created On :   1 March 2018 7:49 AM IST