अब निकाह हलाला और बहुविवाह पर भी रोक की मांग, SC मे पिटीशन दायर
- उन्होंने अपनी पिटीशन में कहा है 'निकाह हलाला और बहुविवाह संविधान के आर्टिकल-14 (समानता का अधिकार)
- आर्टिकल-15 (लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं) और सेक्शन-21 (जीवन के अधिकार) का उल्लंघन करता है।'
- ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक घोषित किए जाने के बाद अब 'निकाह हलाला' और 'बहुविवाह' को भी असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाइल की गई है।
- पिटीशनर ने कहा है कि 'मुस्लिम पर्सनल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक घोषित किए जाने के बाद अब "निकाह हलाला" और "बहुविवाह" को भी असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाइल की गई है। ए़डवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने पिटीशन में मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) के सेक्शन-2, जिसके तहत निकाह हलाला और बहुविवाह को मान्यता दी गई है, उसे असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है। पिटीशनर का ये भी कहना है कि निकाह हलाला और बहुविवाह संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, इसलिए इसे रद्द किया जाए। बता दें कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक मानते हुए इस पर कानून बनाने को कहा था। जिसके बाद ट्रिपल तलाक बिल लोकसभा में तो पास हो गया, लेकिन राज्यसभा में अटक गया था।
पिटीशन में क्या कहा गया है?
सुप्रीम कोर्ट में पिटीशनर अश्विनी उपाध्याय ने निकाह हलाला और बहुविवाह को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है। उन्होंने अपनी पिटीशन में कहा है "निकाह हलाला और बहुविवाह संविधान के आर्टिकल-14 (समानता का अधिकार), आर्टिकल-15 (लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं) और सेक्शन-21 (जीवन के अधिकार) का उल्लंघन करता है।" पिटीशनर ने कहा है कि "मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट के सेक्शन-2 को असंवैधानिक घोषित किया जाए, क्योंकि ये निकाह हलाला और बहुविवाह को मान्यता देता है, जो संविधान का उल्लंघन है।"
निकाह हलाला और बहुविवाह को रद्द करने के पीछे तर्क :
- एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने अपनी पिटीशन में कहा है कि "सुप्रीम कोर्ट ने जब एक बार में तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था, तब मुस्लिम पर्सनल लॉ के सेक्शन-2 को असंवैधानिक ठहराया था। क्योंकि सेक्शन-2 ट्रिपल तलाक को मान्यता देता था। इसी तरह से सेक्शन-2 निकाह हलाला और बहुविवाह को भी मान्यता देता है, जिसे असंवैधानिक घोषित किया जाए।"
- उन्होंने कहा कि "संविधान, कॉमन लॉ से ऊपर है और कॉमल लॉ, पर्सनल लॉ से ऊपर है। इसलिए भारत में तलाक, बहुविवाह या निकाह हलाला के लिए किसी दूसरे पर्सनल लॉ की जरूरत नहीं है।"
- उन्होंने कहा कि "जब सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक की सुनवाई हुई थी, तब कोर्ट ने कहा था कि निकाह हलाला और बहुविवाह पर बाद में सुनवाई की जाएगी, लेकिन कोर्ट ने पिटीशन का निपटारा कर दिया और इस पर सुनवाई नहीं हो पाई। लिहाजा अब इस मामले पर सुनवाई हो और निकाह हलाला-बहुविवाह को असंवैधानिक घोषित किया जाए।"
- अपनी पिटीशन में उन्होंने कहा कि "कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वो ट्रिपल तलाक को IPC के सेक्शन-498A के दायरे में लाए। साथ ही निकाह हलाला को सेक्शन-375 (रेप) और बहुविवाह को सेक्शन-494 (शादी में रहते हुए दूसरी शादी करना) के दायरे में लाया जाए।"
क्या होता है निकाह हलाला?
जानकारी के मुताबिक, अगर कोई पति अपनी पत्नी को तलाक दे देता और बाद में वो फिर से अपनी पत्नी के साथ रिश्ते बहाल करना चाहता है। तो इसके लिए पत्नी को निकाह हलाला से गुजरना होता है। निकाह हलाला के तहत, तलाकशुदा महिला को किसी दूसरे आदमी से निकाह करना होगा और उसके साथ संबंध बनाने होंगे। फिर उसे तलाक देकर वो अपने पहले पति से निकाह कर सकती है। इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि निकाह हलाला इसलिए बनाया गया है ताकि कोई मजाक में ही अपनी पत्नी को तलाक न दे दे।
क्या होता है बहुविवाह?
इसके साथ ही इस्लाम में बहुविवाह का चलन है। इसके तहत एक आदमी को 4 शादियां करने की इजाजत है। इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि अगर कोई महिला विधवा या बेसहारा है तो उसे सहारा दिया जाए। समाज में ऐसी औरतों को बुरी नजर से न देखा जाए, इसलिए आदमियों को शादी करने की इजाजत दी गई है।
Created On :   6 March 2018 9:05 AM IST