सौंपी रिपोर्ट: रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने राष्ट्रपति को 'एक देश एक चुनाव' पर सौंपी 18000 से ज्यादा पन्नों की रिपोर्ट

रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने राष्ट्रपति को एक देश एक चुनाव पर सौंपी 18000 से ज्यादा पन्नों की रिपोर्ट
  • 'एक देश एक चुनाव' पर राष्ट्रपति को सौंपी गई रिपोर्ट
  • 18 हजार से ज्यादा पन्नों की है रिपोर्ट
  • रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित हुई थी कमेटी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यभता में गठित समिति ने 'एक देश एक चुनाव' पर तैयार की गई रिपोर्ट आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू कौ सौंपी। समिति का गठन पिछले साल सितंबर में की गई थी। 191 दिन के रिसर्च के बाद कमेटी ने आज 18,626 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट तैयार करने वाली 8 सदस्यीय कमेटी में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अलाव एक वकील, तीन राजनेता और तीन अफसर शामिल थे। मुख्य तौर पर इस कमेटी का गठन देश में एकसाथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव करवाने की संभावना तलाशने और चुनावी फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए किया गया था।

2029 से लागू करने का प्रस्ताव

कमेटी ने रिपोर्ट में 'एक देश एक चुनाव' को 2029 से लागू करने का प्रस्ताव रखा है। इसके अलावा एक मतदाता सूची रखने की भी सिफारिश की गई है। दरअसल, फिलहाल लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए अलग-अलग मतदाता सूची बनाई जाती है। 2029 में 'एक देश एक चुनाव' लागू करने के लिए 2026 तक 25 राज्यों में विधानसभा चुनाव करवाना होगा। इसके अलावा मध्यप्रदेश, छत्तीसगढं, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा का कार्यकाल 6 महीने यानि जून 2029 तक बढ़ाने की बात कही गई है। पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ करवाने के लिए संविधान में संशोधन करने की भी जरूरत हो सकती है।

कमेटी में कौन-कौन थे?

'एक देश एक चुनाव' पर विचार करने के लिए 2 सितंबर 2023 को एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया जिसकी पहली बैठक 23 सितंबर को हुई थी। पूर्व राष्ट्रपित रामनाथ कोविंद सहित इस उच्च स्तरीय कमेटी में कुल आठ लोगों को शामिल किया गया। विधि पक्ष मजबूत रखने के लिए इस कमेटी में एक वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को शामिल किया गया। इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद कमेटी के मेंबर्स थे। तीन पूर्व अफसर भी कमेटी का हिस्सा रहे जिसमें एनके सिंह (15वें वित्त आयोग के पू्र्व अध्यक्ष), संजय कोठारी (पूर्व मुख्य सतर्कता आयुकत) और डॉ. सुभाष कश्यप (लोकसभा के पूर्व महासचिव) का नाम शामिल है।

पहले एक साथ ही होते थे चुनाव

एक देश एक चुनाव की संकल्पना काफी पुरानी है जो कुछ दशक पहले हमारे देश में व्यवहारिक तौर पर लागू भी था। हालांकि, कुछ परिस्थितियों के कारण लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ करवाने की परंपरा टूट गई। आजादी के बाद 1967 तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ ही करवाए जाते थे लेकिन साल 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं भंग कर दी गई और बीच में ही चुनाव करवाना पड़ा। इसके बाद 1970 में लोकसभा भंग कर दी गई जिस वजह से एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव करवाने की परंपरा टूट गई।

Created On :   14 March 2024 12:51 PM IST

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