मंदिर मस्जिद विवाद: सुको ने भोजशाला मामले में एएसआई सर्वे पर रोक से किया इनकार

सुको ने भोजशाला मामले में एएसआई सर्वे पर रोक से किया इनकार
  • सूफी संत कमाल मौलाना की दरगाह मानते है मुस्लिम लोग
  • कई सालों से विवादों में धार में स्थित भोजशाला
  • 11वीं सदी की पुरातत्व धरोहर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को मध्यप्रदेश के धार में भोजशाला विवाद पर सुनवाई की, सुको ने मुस्लिम पक्ष की ओर से सर्वे के रोक वाली दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए भोजशाला में एएसआई सर्वे पर रोक लगाने से मना कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एएसआई सर्वे के नतीजे के आधार पर उसकी अनुमति के बिना कोई फैसला न लिया जाए। आपको बता दें मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित पुरातन भोजशाला पर हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिम भी दावा करते हैं।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बैंच के 11 मार्च के वैज्ञानिक सर्वे के आदेश के खिलाफ मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी ने टॉप कोर्ट में याचिका दायर लगाई है। जिस पर आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट जस्टिस ऋषिकेश रॉय और पीके मिश्रा की बेंच ने केंद्र, मध्य प्रदेश सरकार, एएसआई और अन्य को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब देने को कहा है।

खबरों के मुताबिक परिसर को 11वीं सदी की पुरातत्व धरोहर मानते है। हिंदू भोजशाला को सरस्वती देवी का मंदिर मानते हैं। जबकि मुस्लिम इसको कमाल मौला मस्जिद मानते हैं। यहां हर मंगलवार को हिंदू आकर पूजा करते हैं। वहीं मुस्लिम समाज शुक्रवार को नमाज पढ़ते हैं।

दरअसल यहां विवाद की शुरुआत 1902 से तब हुई, जब धार के शिक्षा अधीक्षक काशीराम लेले ने मस्जिद के फर्श पर संस्कृत के श्लोक खुदे देखे थे और इसे भोजशाला बताया था। विवाद का दूसरा पड़ाव 1935 में आया, जब धार महाराज ने इमारत के बाहर तख्ती टंगवाई जिस पर भोजशाला और मस्जिद कमाल मौलाना लिखा था। आजादी के बाद ये मुद्दा सियासी गलियारों से भी गुजरा। मंदिर में जाने को लेकर हिंदुओं ने आंदोलन किया। जब-जब वसंत पंचमी और शुक्रवार साथ होते हैं, तब-तब तनाव बढ़ता है। विवादों के चलते ही इसे इलाके की अयोध्या भी कहा जाता

आपको बता दें मध्यप्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला कई सालों से विवादों में है। हिंदू पक्ष इसे राजा भोज द्वारा स्थापित सरस्वती स्थल मानता है। यहां से अंग्रेज मां सरस्वती की प्रतिमा निकाल कर ले गए जो कि वर्तमान में लंदन के संग्रहालय में सुरक्षित भी है। मुस्लिम लोग लंबे समय से नमाज अदा कर रहा है। वो इसे सूफी संत कमाल मौलाना की दरगाह मानते है।

Created On :   1 April 2024 5:10 PM IST

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