चांद पर चंद्रयान 3 का एक हफ्ता पूरा, सात दिन में यान ने निपटा दिए ये बड़े बड़े काम, एक खोज अब भी बाकी
- चंद्रयान-3 ने चांद पर पूरे किए हॉफ लूनर डे
- रोवर प्रज्ञान ने ढूंढे कई बेशकीमती पदार्थ
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। चंद्रयान-3 को चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग किए हुए आज यानी 30 अगस्त को 7 दिन हो गए हैं। इन सात दिनों में चंद्रयान-3 के लैंडर से निकला हुआ रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर सर्च ऑपरेशन कर रहा है। बीते दिन यानी 29 अगस्त को इसरो ने दुनिया को जानकारी साझा करते हुए बताया था कि, रोवर प्रज्ञान ने चांद पर ऑक्सीजन की खोज कर ली है और हाईड्रोजन की खोज में निकला हुआ है। अगर हाईड्रोजन मिल जाता है तो चांद पर जीवन बसाना आसान हो सकता है। इसरो ने यह भी बताया कि, ऑक्सीजन के अलावा रोवर प्रज्ञान ने चांद पर कई ऐसे अहम पदार्थ और रसायनों की खोज कर ली है, जो भविष्य में काफी मूल्यवान साबित हो सकते हैं।
इसरो के मुताबिक, रोवर प्रज्ञान ने चांद की सतह पर सल्फर, एल्यूमिनियम, कैल्शियम, लोहा, क्रोमियम, टाइटैनियम, मैन्गेनीज और सिलीकॉन जैसे पदार्थों को ढूंढा है। इन सभी को खोजने में सहायता रोवर में लगे LIBS पेलोड यानी यंत्र लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी ने किया है। इसरो के मुताबिक, इस यंत्र को केवल चांद की सतह पर खनिजों और रसायनों की खोज एवं पुष्टि के लिए भेजा गया है।
क्या है LIBS?
लिब्स (LIBS) चांद की सतह पर तीव्र लेजर किरणें फेंक कर उससे निकलने वाले प्लाज्मा का विश्लेषण करता है। ये लेजर किरणें बेहद तीव्रता के साथ पत्थर और मिट्टी पर गिरती है। जिससे उस स्थान पर बेहद गर्म प्लाज्मा पैदा होता है। ठीक वैसा ही जैसा सूरज की तरफ से किरणें आती है। प्लाज्मा से यही निकलने वाली रोशनी यह बताती है कि सतह पर किस तरह के खनिज या रसायनों की मौजूदगी है।
इन पदार्थों का भविष्य में क्या होगा फायदा?
इसरो के मुताबिक, चांद पर ऑक्सीजन मिल गया है लेकिन लिब्स (LIBS) हाईड्रोजन की खोज कर रहा है। अगर चांद पर हाईड्रोजन मिल जाता है तो पानी बनाया जा सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इंसानों की बस्ती भविष्य में चांद पर कभी बस्ती है तो उसके लिए दोनों रसायनों की जरूरत पड़ेगी। ऑक्सीजन और हाईड्रोजन ही चांद पर जीवन स्थापित कर सकते हैं।
सल्फर
चांद पर सल्फर मिलने की पुष्टि हुई है। यह हल्के पीले रंग का रसायन होता है, जो इलेक्ट्रिसिटी का कमजोर कंडक्टर है। पानी में घुलता नहीं है। इसकी विशेषता है कि ये सोना और प्लैटिनम को छोड़कर सभी धातुओं से रिएक्ट करता है। जिससे सल्फाइड्स का निर्माण होता है।
चांद पर इस्तेमाल
चंद्रमा पर इसका इस्तेमाल एसिड, फर्टिलाइजर, कार बैटरी, तेल रिफाइनिंग, पानी की सफाई, खनिजों के खनन में उपयोग के लिए किया जा सकता है। जिसका अर्थ है कि अगर सबकुछ सामान्य रहा तो चांद पर महज यंत्र लेकर जाना होगा क्योंकि सारी चीजें पहले से ही वहां संभव है।
एल्यूमिनियम
चांद पर भारी मात्रा में एल्यूमिनियम भी मिला है। जिसका मतलब है कि इंसान इस पदार्थ का उपयोग कर सैकड़ों तरह की चीजों का निर्माण कर सकता है। एल्यूमिनियम फॉस्फेट की सहायता से कांच बनाया जा सकता है। इस पदार्थ से अन्य वस्तुएं पल्प या पेपर प्रोडक्ट,कॉस्मेटिक्स, पेंट, वार्निश, धातु की प्लेट जैसे चीजें बनाई जाती हैं। एल्यूमिनियम हल्का और मजबूत होता है।
कैल्शियम
इसरो के मुताबिक, चांद पर कैल्सियम भी भरपूर मात्रा में मिला है। जिसका इस्तेमाल कई तरह के मेडिकल प्रोडक्ट्स में होता है। कैल्शियम कार्बोनेट की मदद से सीमेंट या मोर्टार बनाया जा सकता है। इस धातु का उपोयग कांच बनाने में भी किया जाता है। साथ ही इसका उपयोग दवा, खाद्य पदार्थ, पेपर ब्लीच, इलेक्ट्रिकल इंसुलेटर्स और साबुन बनाने में किया जाता है।
लोहा
चांद की दक्षिणी सतह पर लोहा मिलने की भी पुष्टि की गई है। यह ऐसा तत्व है जो पूरी पृथ्वी, हर जीव, हर इंसान में पाया जाता है। यह हमारे खून में भी है साथ ही जमीन की मिट्टी में भी मौजूद है। इसका उपयोग चारों तरफ होता है। जैसे- दवाओं में, ढांचा बनाने में, यातायात के सामान बनाने, हथियार बनाने आदि।
मैग्नीज
मैग्नीज जैसे अहम पदार्थ भी चांद की सतह पर पाए गए हैं। जिसका इस्तेमाल औद्योगिक और बायोलॉजिकली होता है। इंसानी शरीर में यह कोशिकाओं को डैमेज होने से बचाता है। यह उर्जा पैदा करने में मदद करता है। इनसे हड्डियां मजबूत होती हैं, इम्यूनिटी बूस्ट होता है। साथ ही मैन्गेनीज का उपयोग विगमंट्स और बैटरी बनाने में भी किया जाता है। ये स्टील की डीऑक्सीडाइज करने और अल्यूमिनियम को मजबूत बनाने में मदद करता है। फर्टिलाइजर बनाने, जानवरों का खाना, पानी का ट्रीटमेंट करने वाला रसायन बनाने में भी मदद करता है।
चांद इंसानों के लिए अनुकूल?
ये वो पदार्थ हैं, जो पृथ्वी पर मौजूद हैं जिनकी खोज अब चांद पर चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान ने किया है। अगर भविष्य में तांद पर जीवन इंसानों के लिए अनुकूल होता है तो इन रसायनों और पदार्थों की वजह से मानव जीवन संभव हो सकता है लेकिन यह उतना आसान नहीं है इस काम को सिद्ध करने के लिए वर्षों लग सकते हैं।
Created On :   30 Aug 2023 3:10 PM IST